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Mr.Ravi Rajdev
White आयुष्यात काही जागा रिकाम्या राहील्या तरी चालतील पण चुकीच्या माणसाचा सहवास नको..!! ✍️🫅💯🙏 शुभ रात्री🌌 ©Ravi Rajdev #Nojoto #No_1trending #trendingpost #katha #STORY_CREATOR #love❤️ #love❤ #friendforever #follow4follow यशस्वी जीवन शिकवण लाईफ कोट्स चांगले विचार माणुसकीच नात
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read moreशीतल चौधरी(मेरे शब्द संकलन )
Jai shree ram राम कथा पढ़-पढ़ राम सा भयो न मन राम सी बस ख्याति ओर माया चाहे मन 16:04:2024 ©शीतल चौधरी(मेरे शब्द संकलन ) #JaiShreeRam #sabkeram #मेरेशब्दसंकलन #sheetalchoudhary #Sach #katha प्रज्ञा Sherni Mili Saha sana naaz Nîkîtã Guptā
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read moredoctor vishal Kumar
Rohit Ekka
आपकी बुराई वो ही लोग करते हैं जो लोग आपकी बराबरी नहीं कर सकते हैं। , किसी की गलतियों पर गुस्सा करने से पहले एक बार उसकी परिस्थितियों को समझने का प्रयास करें यकीन मानिए आपको गुस्सा ही नहीं आएगा ©Rohit Ekka #Hriday #jivan #katha #khani
Rohit Ekka
यदि आप के चंद मीठे बोलों से किसी का रक्त बढ़ता है तो यह भी रक्त दान है , , यदि आप के द्वारा किसी की पीठ थपथपाने से उसकी थकावट दूर होती है तो यह भी श्रम दान है , , यदि आप कुछ भी खाते समय उतना ही प्लेट में लें कि कुछ भी व्यर्थ ना जाए तो यह भी अन्न दान है। , ©Rohit Ekka #Shadow #katha #kahani #jivan #story #rohit
pradeep ji Mishra shehor Wale
तीन जगहों पर कभी भी झाडू ना रखे pradeep ji mishra #short #katha #Upay#shortsfeed
read moreरामजी की बेटी
रामदेव जी की कथा – इतिहासकारों के अनुसार श्री कृष्ण के अवतार रामदेव जी का अवतार सन 1442 में भादवा सुदी दूज के दिन राजस्थान के पोकरण के ताम्र वंशी राजा अजमल के यहां हुआ था। भादुड़ा री बीज रो जद चंदो करे प्रकाश। रामदेव बण आवसुं राखीजे विश्वास ।। राजा अजमल श्री कृष्ण की भक्ती में लीन रहने के साथ ही धर्मपरायण राजा भी थे। लेकिन उनकी भी विडंबना थी। वह निसंतान थे, जिसके कारण वह काफी दुखी रहते थे। रामदेव जी के पिता राजा अजमल जो कि द्वारकाधीश के परम भक्त थे, हमेशा अपने राज्य की सुख शांति की मनोकामना के लिए द्वारका जाते थे। ©रामजी की बेटी #yaadein #katha #Love #foryou part 1
रामजी की बेटी
महान प्रज्ञासम्पन्न सत्यनारायण व्रत करने के प्रभाव से दूसरे जन्म में सुदामा हुए और उस जन्म में भगवान श्रीकृष्ण का ध्यान करके उन्होंने मोक्ष प्राप्त किया। लकड़हारा भिल्ल गुहों का राजा हुआ और अगले जन्म में उसने भगवान श्रीराम की सेवा करके मोक्ष प्राप्त किया। महाराज उल्कामुख दूसरे जन्म में राजा दशरथ हुए, जिन्होंने श्रीरंगनाथजी की पूजा करके अन्त में वैकुण्ठ प्राप्त किया। इसी प्रकार धार्मिक और सत्यव्रती साधु पिछले जन्म के सत्यव्रत के प्रभाव से दूसरे जन्म में मोरध्वज नामक राजा हुआ। उसने आरे से चीरकर अपने पुत्र की आधी देह भगवान विष्णु को अर्पित कर के मोक्ष प्राप्त किया। महाराजा तुंगध्वज जन्मान्तर में स्वायम्भुव मनु हुए और भगवत्सम्बन्धी सम्पूर्ण कार्यों का अनुष्ठान करके वैकुण्ठलोक को प्राप्त हुए। जो गोपगण थे, वे सब जन्मान्तर में व्रजमण्डल में निवास करने वाले गोप हुए और सभी राक्षसों का संहार करके उन्होंने भी भगवान का शाश्वत धाम गोलोक प्राप्त किया। इस प्रकार श्रीस्कन्दपुराण के अन्तर्गत रेवाखण्ड में श्रीसत्यनारायणव्रत कथा का यह पाँचवाँ अध्याय पूर्ण हुआ। ©रामजी की बेटी #Mulaayam #katha part22
रामजी की बेटी
उसका सम्पूर्ण धन-धान्य एवं सभी सौ पुत्र नष्ट हो गये। राजा ने मन में यह निश्चय किया कि अवश्य ही भगवान सत्यनारायण ने हमारा नाश कर दिया है। इसलिए मुझे वहां जाना चाहिए जहां श्री सत्यनारायण का पूजन हो रहा था। ऐसा मन में निश्चय करके वह राजा गोपगणों के समीप गया और उसने गोपगणों के साथ भक्ति-श्रद्धा से युक्त होकर विधिपूर्वक भगवान सत्यदेव की पूजा की। भगवान सत्यदेव की कृपा से वह पुनः धन और पुत्रों से सम्पन्न हो गया तथा इस लोक में सभी सुखों का उपभोग कर अन्त में सत्यपुर वैकुण्ठलोक को प्राप्त हुआ। श्रीसूत जी कहते हैं - जो व्यक्ति इस परम दुर्लभ श्री सत्यनारायण के व्रत को करता है और पुण्यमयी तथा फलप्रदायिनी भगवान की कथा को भक्तियुक्त होकर सुनता है, उसे भगवान सत्यनारायण की कृपा से धन-धान्य आदि की प्राप्ति होती है। दरिद्र धनवान हो जाता है, बन्धन में पड़ा हुआ बन्धन से मुक्त हो जाता है, डरा हुआ व्यक्ति भय मुक्त हो जाता है - यह सत्य बात है, इसमें संशय नहीं। इस लोक में वह सभी ईप्सित फलों का भोग प्राप्त करके अन्त में सत्यपुर वैकुण्ठलोक को जाता है। इस प्रकार मैंने आप लोगों से भगवान सत्यनारायण के व्रत को कहा, जिसे करके मनुष्य सभी दुखों से मुक्त हो जाता है। कलियुग में तो भगवान सत्यदेव की पूजा विशेष फल प्रदान करने वाली है। भगवान विष्णु को ही कुछ लोग काल, कुछ लोग सत्य, कोई ईश और कोई सत्यदेव तथा दूसरे लोग सत्यनारायण नाम से कहेंगे। अनेक रूप धारण करके भगवान सत्यनारायण सभी का मनोरथ सिद्ध करते हैं। कलियुग में सनातन भगवान विष्णु ही सत्यव्रत रूप धारण करके सभी का मनोरथ पूर्ण करने वाले होंगे। हे श्रेष्ठ मुनियों! जो व्यक्ति नित्य भगवान सत्यनारायण की इस व्रत-कथा को पढ़ता है, सुनता है, भगवान सत्यारायण की कृपा से उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। हे मुनीश्वरों! पूर्वकाल में जिन लोगों ने भगवान सत्यनारायण का व्रत किया था, उसके अगले जन्म का वृतान्त कहता हूं, आप लोग सुनें। ©रामजी की बेटी #Chhuan #katha part 21
रामजी की बेटी
पाँचवाँ अध्याय श्रीसूत जी बोले - श्रेष्ठ मुनियों! अब इसके बाद मैं दूसरी कथा कहूँगा, आप लोग सुनें। अपनी प्रजा का पालन करने में तत्पर तुंगध्वज नामक एक राजा था। उसने सत्यदेव के प्रसाद का परित्याग करके दुख प्राप्त किया। एक बार वह वन में जाकर और वहां बहुत से पशुओं को मारकर वटवृक्ष के नीचे आया। वहां उसने देखा कि गोपगण बन्धु-बान्धवों के साथ संतुष्ट होकर भक्तिपूर्वक भगवान सत्यदेव की पूजा कर रहे हैं। राजा यह देखकर भी अहंकारवश न तो वहां गया और न ही उसने भगवान सत्यनारायण को प्रणाम ही किया। पूजन के बाद सभी गोपगण भगवान का प्रसाद राजा के समीप रखकर वहां से लौट आये और इच्छानुसार उन सभी ने भगवान का प्रसाद ग्रहण किया। इधर राजा को प्रसाद का परित्याग करने से बहुत दुख हुआ। ©रामजी की बेटी #Sunhera #katha part20