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Best महेश्वर Shayari, Status, Quotes, Stories

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fasion box

गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु गुरुर देवो महेश्वरः
गुरुः साक्षात्परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नमः

©fasion box #guru #गुरु #ईष्ट #संसार #महेश्वर #happygurupurnima #देव

Parth Goswami

तो आओ तो जाने की जल्दी मत करना यार।। #महेश्वर #river Love #Poetry #for #you #Heart #Ka #Nature

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अँकित आजाद गुप्ता

🙏🏻गुरु की महिमा से इतिहास एवम आध्यात्म भरा पड़ा हैं, शास्त्रों में गु का अर्थ बताया गया है- अंधकार या मूल अज्ञान और रु का का अर्थ किया गया है- उसका निरोधक। गुरु को गुरु इसलिए कहा जाता है कि वह अज्ञान तिमिर का ज्ञानांजन-शलाका से निवारण कर देता है। अर्थात दो अक्षरों से मिलकर बने 'गुरु' शब्द का अर्थ - प्रथम अक्षर 'गु का अर्थ- 'अंधकार' होता है जबकि दूसरे अक्षर 'रु' का अर्थ- 'उसको हटाने वाला' होता है। 🙏🏻इन्ही कारणो से वेदो में उल्लेखित यें मंत्र विख्यात हैं, गुरुर्ब्रम्हा गुरुर्विष्णु गुरुदेवो महेश्

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🙏🏻गुरु की महिमा से इतिहास एवम आध्यात्म भरा पड़ा हैं,
शास्त्रों में गु का अर्थ बताया गया है- अंधकार या मूल अज्ञान और रु का का अर्थ किया गया है- उसका निरोधक। गुरु को गुरु इसलिए कहा जाता है कि वह अज्ञान तिमिर का ज्ञानांजन-शलाका से निवारण कर देता है। अर्थात दो अक्षरों से मिलकर बने 'गुरु' शब्द का अर्थ - प्रथम अक्षर 'गु का अर्थ- 'अंधकार' होता है जबकि दूसरे अक्षर 'रु' का अर्थ- 'उसको हटाने वाला' होता है। 

🙏🏻इन्ही कारणो से वेदो में उल्लेखित यें मंत्र विख्यात हैं,
गुरुर्ब्रम्हा गुरुर्विष्णु गुरुदेवो महेश्

Anil Siwach

|| श्री हरि: || 9 - श्रद्धा की जय आज की बात नहीं है; किंतु है इसी युगकी क्या हो गया कि इस बात को कुछ शताब्दियाँ बीत गयी। कुलान्तक्षेत्र (कुलू प्रदेश) वही है, व्यास ओर पार्वती की कल-कल-निदनादिनी धाराएँ वही हैं और मणिकर्ण का अर्धनारीश्वर क्षेत्र तो कहीं आता-जाता नहीं है। कुलू के नरेश का शरीर युवावस्था में ही गलित कुष्ठ से विकृत हो गया था। पर्वतीय एवं दूरस्थ प्रदेशों के चिकित्सक व्याधि से पराजित होकर विफल-मनोरथ लौट चुके थे। क्वाथा-स्नान , चूर्ण-भस्म, रस-रसायन कुछ भी तो कर सका होता। नरेश न उच्छृं

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|| श्री हरि: ||
9 - श्रद्धा की जय

आज की बात नहीं है; किंतु है इसी युगकी क्या हो गया कि इस बात को कुछ शताब्दियाँ बीत गयी। कुलान्तक्षेत्र (कुलू प्रदेश) वही है, व्यास ओर पार्वती की कल-कल-निदनादिनी धाराएँ वही हैं और मणिकर्ण का अर्धनारीश्वर क्षेत्र तो कहीं आता-जाता नहीं है।

कुलू के नरेश का शरीर युवावस्था में ही गलित कुष्ठ से विकृत हो गया था। पर्वतीय एवं दूरस्थ प्रदेशों के चिकित्सक व्याधि से पराजित होकर विफल-मनोरथ लौट चुके थे। क्वाथा-स्नान , चूर्ण-भस्म, रस-रसायन कुछ भी तो कर सका होता।

नरेश न उच्छृं


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