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अनुषी का पिटारा "अंग प्रदेश "
सब ने माना गरीबी के नाम पर अनगिनत घोटाला हुआ 1996 में एक अद्भुत घोटाला देश में चारा घोटाला हुआ क्या इस मामले में निष्पक्ष सही अब तक इन्साफ हुआ या "दिगभ्रमित" हुए हम-सब अभी तक नहीं साफ हुआ बेशब्र झुर्रियाँ पड़ी चेहरे पर कुछ का 'लीला' साफ हुआ हर बार नये-नये घोटाले में सरकारी खजाना साफ हुआ कमिटियाँ बनी जाँच हुआ, रुपया का पता ना साफ हुआ चलते- चलते सोचा कानून के लम्बे हाथ क्या खाक़ हुआ सबके बच्चे सुखी हैं सिर्फ बाप का वक्त "सर्पकाल" हुआ सबने देखा "बाबा" के सृजित "विधि" का क्या हाल हुआ ©Anushi Ka Pitara #पढ़ें #जरुर #और #सोचे
Piyush Gupta
"प्राइमरी का मास्टर", को प्रतिलिपि पर पढ़ें : https://hindi.pratilipi.com/story/udcpliaihnlo?utm_source=android&utm_campaign=content_share भारतीय भाषाओमें अनगिनत रचनाएं पढ़ें, लिखें और सुनें, बिलकुल निःशुल्क!
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"वनदेवी (खण्ड काव्य)", को प्रतिलिपि पर पढ़ें : https://hindi.pratilipi.com/series/xmsdy8ej93rs?utm_source=android&utm_campaign=content_series_share भारतीय भाषाओमें अनगिनत रचनाएं पढ़ें, लिखें और सुनें, बिलकुल निःशुल्क!
read moreShweta Sinha
"तलाश", को प्रतिलिपि पर पढ़ें : https://hindi.pratilipi.com/series/4abgfgmgtavj?utm_source=android&utm_campaign=content_series_share भारतीय भाषाओमें अनगिनत रचनाएं पढ़ें, लिखें और सुनें, बिलकुल निःशुल्क!
read moreपवन कुमार अल्पज्ञ
"कागज कलम की लड़ाई", को प्रतिलिपि पर पढ़ें : https://hindi.pratilipi.com/story/qahqfujaygfv?utm_source=android&utm_campaign=content_share भारतीय भाषाओमें अनगिनत रचनाएं पढ़ें, लिखें और सुनें, बिलकुल निःशुल्क!
read moreतेजस
आकर मिली थी दो राहें एक चौराहे पर मैं खोया सा था और तुम थी दोराहे पर थी ज़रूरत शायद एक दूसरे के साथ की थाम कर चल पढ़ें उस हाथ की एक दूजे को बाहों का सहारा दे कर डगमगाती कश्ती को किनारा दे कर बढ़ चले कदमताल में भर के मस्ती अपनी चाल में कुछ अनसुलझे सवालों का जवाब मिला उसके आँखों से बावस्ता ख़्वाब मिला (पूरी कविता पढ़ें कैप्शन में...) आकर मिली थी दो राहें एक चौराहे पर मैं खोया सा था और तुम थी दोराहे पर थी ज़रूरत शायद एक दूसरे के साथ की थाम कर चल पढ़ें उस हाथ की एक दूजे को बाहों का सहारा दे कर डगमगाती कश्ती को किनारा दे कर बढ़ चले कदमताल में भर के मस्ती अपनी चाल में
आकर मिली थी दो राहें एक चौराहे पर मैं खोया सा था और तुम थी दोराहे पर थी ज़रूरत शायद एक दूसरे के साथ की थाम कर चल पढ़ें उस हाथ की एक दूजे को बाहों का सहारा दे कर डगमगाती कश्ती को किनारा दे कर बढ़ चले कदमताल में भर के मस्ती अपनी चाल में
read moreKailash Yadav
"मेरी चाहत", को प्रतिलिपि पर पढ़ें : https://hindi.pratilipi.com/story/l5qfh0gjsssq?utm_source=android&utm_campaign=content_share भारतीय भाषाओमें अनगिनत रचनाएं पढ़ें, लिखें और सुनें, बिलकुल निःशुल्क!
read moreRahul Kumar
"मैं और मेरे दादाजी ।", को प्रतिलिपि पर पढ़ें : https://hindi.pratilipi.com/story/jrrysvrbckh3?utm_source=android&utm_campaign=content_share भारतीय भाषाओमें अनगिनत रचनाएं पढ़ें, लिखें और सुनें, बिलकुल निःशुल्क!
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"कठिन परिश्रम ।", को प्रतिलिपि पर पढ़ें : https://hindi.pratilipi.com/story/xi392eosx0f2?utm_source=android&utm_campaign=content_share भारतीय भाषाओमें अनगिनत रचनाएं पढ़ें, लिखें और सुनें, बिलकुल निःशुल्क!
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