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VATSA

सब कुछ ठीक है 
पर जंग की तैयारी है
जबरन इश्क़ करना 
बेमतलब की बीमारी है #जबरन #dsvatsa #vatsa  #yqbaba #yqdidi #hindishayari

Ek villain

#brokenlove #जबरन मनतारण को रोकना होगा नहीं तो देश में हो सकती है समस्या

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जबरन मंत्रण के मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय के सख्त रुख अख्तियार करने और केंद्र सरकार की ओर से गंभीर प्रयास करने संबंधी निर्णय का सभी को स्वागत करना चाहिए हमारा देश पंथनिरपेक्ष और विविधता वाला देश है जहां पर रीति रिवाज खानपान आचार विचार भाषा और बोली 100 किलोमीटर की दूरी पर बदल जाते हैं यहां यह आवश्यक है कि सभी धर्म समुदाय अपनी पूजा पद्धति के अनुसार आस्था रखे लेकिन किसी दूसरे समुदाय के लोगों को लोग लालच और जबरन पूजा प्रधान मनाने की कोशिश ना करें यदि लोग लालच और जबरन किसी समुदाय के लोगों को मतदान के लिए व्यक्ति समूह संस्थाओं द्वारा तैयार किया जाता है तो इस कठोर कार्रवाई की आवश्यकता है यदि सुप्रीम कोर्ट ने यह माना है कि जबरन मन तारण देश की सुरक्षा के लिए खतरा है तो निश्चित रूप से केंद्र सरकार को ही नहीं बल्कि सरकार और सभी देशवासियों को आवश्यक विचार करना चाहिए

©Ek villain #brokenlove #जबरन मनतारण को रोकना होगा नहीं तो देश में हो सकती है समस्या

kavi Dhananjay (dhanuj) Sankpal

_#कवी'धनूज.
जबरन का इश्क़
और जबरन की जिंदगी
दोनों नहीं कटती

©Dhananjay(dhanuj) Sankpal #जबरन
#धनूज
#शायरी

Prem Dilwale Lovely

attitude

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#आँख उठाकर भी न देखूँ, 
                     #जिससे मेरा दिल न मिले, 
#जबरन सबसे हाथ मिलाना, 
                #मेरे बस की बात नहीं
@JIVA ____________________########
😁😁👉👉👉👉👉👉👉 attitude

Nirdesh Kudeshiya

मेरी जान बार-बार रुलाओगे तुम
कब तक वो रब्त निभाओगे तुम
यूँ जबरन कब तक भुलायेंगे तुम्हें
यूँ जबरन कब तक याद आओगे तुम

nk #nojotohindi #hindishayri #shayri #love #sad

Khushboo Jain ( मेरी कलम से )

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section  41 - B (memorandum of arrest )
पुलिस द्वारा जबरन गिरफ्तार करने पर अपने अधिकार के लिए लडें व बोलें
पुलिस द्वारा memorandum of arrest न बनाए जाने पर पुलिस आपको जबरन गिरफ्तार नही कर सकती है...जागरुक बनें

Samar Shem

kabir singh movie meri najro m बहुत बहस हो चुकी है कबीर सिंह पर। मुझे बहस नहीं करनी है। साबित करने वालों ने उसे बुरा भी साबित कर दिया और बहुत अच्छा भी। मुझे बात करनी है लड़कों की। फिल्म देखकर निकले हुए मुश्किल से 2 घंटे हुए थे। भिवाड़ी से घर जाने के लिए ई रिक्शा का इंतजार था। ई रिक्शा आया उसमें आमने सामने लड़का-लड़की बैठे थे। मैं ई रिक्शा में बैठने लगा। झट से लड़का उठा और लड़की की तरफ बैठ गया। मैं भी उधर ही बैठ रहा था, क्योंकि ड्राइवर के जस्ट पीछे वाली सीट के मुकाबले सबसे पीछे वाली सीट आरामदा

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kabir sinhg movie 
meri najaro m

बहुत बहस हो चुकी है कबीर सिंह पर। मुझे बहस नहीं करनी है। साबित करने वालों ने उसे बुरा भी साबित कर दिया और बहुत अच्छा भी। मुझे बात करनी है लड़कों की। 
फिल्म देखकर निकले हुए मुश्किल से 2 घंटे हुए थे। भिवाड़ी से  घर  जाने के लिए ई रिक्शा का इंतजार था। ई रिक्शा आया उसमें आमने सामने लड़का-लड़की बैठे थे। मैं ई रिक्शा में बैठने लगा। झट से लड़का उठा और लड़की की तरफ बैठ गया। मैं भी उधर ही बैठ रहा था, क्योंकि ड्राइवर के जस्ट पीछे वाली सीट के मुकाबले सबसे पीछे वाली सीट आरामदायक होती है। लड़का लड़की को सिक्योर करते हुए मुझसे बोला कि उधर बैठ जाओ। 

ये लड़का कबीर सिंह नहीं था, क्योंकि कबीर तो गुस्से पर कंट्रोल नहीं कर सकता था। हां अगर मैंने उस लड़की को छू भी दिया होता तो यकीनन वो कबीर सिंह बन जाता। अगर इस बात पर यकीन ना हो तो किसी लड़के के सामने छूकर देख लेना। जबरन रंग लगाने पर कबीर सिंह ने भी वही किया जो गुस्से में एक इंसान कर पाता है। 

मैंने लड़कों को देखा है, अपनी प्रेमिकाओं की फिक्र करते हुए। भीड़ से बचाते हुए  मेट्रो में, लिफ्ट में। बस में। उसे अपने आगे ऐसे खड़ा करते हैं ताकि कोई और उसको टच ना कर पाए। पता है क्यों खड़े होते हैं। क्योंकि वो लड़का है। उसे पता है लड़के लड़की को देखकर क्या सोचते हैं। उसे पता है लड़के कहां टच करना चाहते हैं। उसे पता है लड़की के साथ वो क्या चाहते हैं। कबीर सिंह भी जानता है ये बात। तभी तो दुपट्टा संभालने को कह देता है, ताकि कोई उसकी छाती का नाप दूर से ही ना ले सके। अब ये सवाल मत करना कि लड़की ही क्यों छाती छिपाए। लड़के क्यों नहीं। ये सवाल ऐसे लगते हैं ज़मीन ही नीचे क्यों रहे आसमां क्यों नहीं। औरत वो ज़मीन है, जिसने हर भार अपने ऊपर उठाया है, मर्द का भी। उससे ताकतवर कोई नहीं। बस उस ताकत को ही पहचानना है। 

कबीर सिंह औरत की ताकत को जानता है। तभी तो वो उस दर्द को जानता है, जिसपर कोई समाज खुलकर बात भी नहीं करता। पीरियड्स का दर्द। वो बताता है कैसे प्रेमिका को गोद में बैठाकर पुचकारना है। ये दर्द मेरे आसपास के लड़के नहीं जानते। उन्हें प्यार के नाम पर सिर्फ सेक्स करना आता है। लड़की का बैग कंधे से उतारना नहीं आता। कबीर आंसू पोंछता है, बैग संभालता है। ये प्यार है। मैंने तो ये देखा है कि मर्द लड़की का बैग पकड़ना शर्म का काम समझते हैं। कबीर लड़की को सिखाता है कि वो अपने परिवार से अपनी चॉइस की बात करे। वो अपने परिवार को प्यार और ज़िंदगी का फलसफा समझाता है। तभी तो कहता है कि पैदा होना, प्यार करना और मर जाना। 10 पर्सेंट ज़िंदगी यही है, बाकी तो 90 पर्सेंट रिएक्शन है।

दुनिया रिएक्शन है। कबीर प्रेमी है। वो प्रेमी जो दूरी बर्दाश्त नहीं कर पा रहा। इसलिए कबीर नशा ले रहा है। नहीं तो प्यार में कोई मर जाता है। कोई भाग जाता है। कोई भूखा रहकर मर जाना चाहता है। कोई लड़की को नुकसान पहुंचाता है। ये सुकून वाला था इतने गुस्से वाला कबीर जानता है कि प्यार क्या होता है। तभी तो वो लड़की के घर वालों को प्यार के मायने समझा रहा है। वो लड़की को चोट नहीं पहुंचाता। वो उसके घर वालों को नहीं पीटता। बल्कि लड़की के भाई के गाल को चूमकर किस के मायने समझा देता है। कबीर प्यार में है तभी तो कहता है कि ये उसकी बंदी है। बिल्कुल वैसा ही लगा जैसे कह रहा हो, खबरदार अगर मेरी बहन की तरफ आंख उठाकर देखी तो..। ये मेरी मां है। ये मेरी दादी है। ये मेरे पापा हैं। ये मेरा भाई है...। हां ये मेरी बंदी है कहना इसलिए अजीब लगता है कि अभी लड़की ये नहीं कहना सीख पाई है कि ये मेरा बंदा है। जैसे एक औरत दूसरी औरत से लड़ जाती है कि ये मेरा पति है। दूर रहना। डोरेे डाले तो आंखें नोच लूंगी। 

प्यार पैमाना साथ लेकर नहीं किया जा सकता कि पहले माप लें कि कहीं अधिकारों का तो उल्लंघन नहीं हो रहा है। चाकू उठाकर कपड़े उतरवाने वाला कबीर देखते हैं तो हमें रेप की कोशिश लगती है। मैंने लड़कों से सुना है कैसे उन्होंने लड़की की सलवार का नाड़ा तोड़ दिया। वो पकड़ती और रोकती रह गई। लेकिन उसके बाद लड़की विरोध नहीं करती। बस ये कहती रही, अभी जाओ कोई देख लेगा। फिर कभी करेंगे ये। लेकिन फिर भी दोनों छिप छिपकर करने वाले प्यार का सुख भोग लेते हैं। शायद राइटर ने भी लड़कों से ये बातें सुनी होंगी। तभी उसने जबरन वाला सीन लिख दिया। सिनेमा में समाज का सच दिखाने की हिम्मत होनी चाहिए, ताकि सही गलत की बहस शुरू हो सके। और वो इस सीन पर हुई भी। ये फिल्म की कामयाबी है। 

शादी का झांसा देकर रेप करने की खबरों से अखबार भरे रहते हैं। अगर कबीर जबरन रेप करने वाला होता तो हीरोइन के साथ में उस वक़्त सेक्स करने से रुक नहीं जाता, जब हीरोइन कहती है- आई लव यू कबीर। ये सुनकर क्यों रुका कबीर। वो तो चाकू की नोंक पर कपड़े उतरवा रहा था। फिर उसे क्यों लगा कि ये हीरोइन के साथ धोखा होगा। जो कह रहे हैं कि कबीर सिंह देखकर समाज पर बुरा असर पड़ेगा तो मैं तो चाहता हूं वो कम से कम कबीर ही बन जाएं। जो लड़की को पहले ही बता दें कि उसे फिजिकल सपोर्ट चाहिए। और ये सपोर्ट लेने के लिए लड़की की हां का इंतजार करे। जब लड़की उसे आई लव यू बोले तो सेक्स तभी करें जब वो भी उससे प्यार करते हो। नहीं तो कबीर की तरह ये सोचकर रुक जाएं कि उसके साथ धोखा है। अगर ऐसा हो तो शादी का झांसा देकर रेप की खबरों से अखबार नहीं भरेंगे। मुझे कबीर में वो कई लड़के नज़र आए, जो लड़की को देखकर सिर्फ अपने ज़हन में उसके साथ सेक्स करने की हसरत पालते हैं। जो किसी लड़की को अपनी बपौती समझते हैं। जो तथाकथित प्रेमी सनकी हो जाते हैं। इन्हीं वजहों से हमें कबीर का फेमिनिज्म, कबीर का प्रेम, कबीर का ज़िंदगी जीने का नज़रिया नज़र नहीं आता। इसलिए हम कबीर को अपने पैमाने से मापकर आदर्श देखना चाहते थे, कबीर ने हमारे ज़हन के दरीचे खोले। लोगों ने उसपर बहस की, इस फिल्म से और क्या चाहिए समाज को। ये ही तो दर्पण है। 
हां बस कोई लड़की प्रीति ना बने, जो हर मौके पर चुप रह जाए। लड़का टच करे तो पलटकर जवाब न दे। परिवार वाले अपनी मर्ज़ी थोपें तो ये ने बता सके कि उसका फैसला क्या है। लड़के ज़बरदस्ती करें तो पुलिस स्टेशन तक ना जा सके!

samar shem। kabir singh movie 
meri najro m

बहुत बहस हो चुकी है कबीर सिंह पर। मुझे बहस नहीं करनी है। साबित करने वालों ने उसे बुरा भी साबित कर दिया और बहुत अच्छा भी। मुझे बात करनी है लड़कों की। 
फिल्म देखकर निकले हुए मुश्किल से 2 घंटे हुए थे। भिवाड़ी से घर  जाने के लिए ई रिक्शा का इंतजार था। ई रिक्शा आया उसमें आमने सामने लड़का-लड़की बैठे थे। मैं ई रिक्शा में बैठने लगा। झट से लड़का उठा और लड़की की तरफ बैठ गया। मैं भी उधर ही बैठ रहा था, क्योंकि ड्राइवर के जस्ट पीछे वाली सीट के मुकाबले सबसे पीछे वाली सीट आरामदा

Traveling poet 🎠

जबरन नहीं होता प्यार 
आँखे जब शुरुआत करें 
चाँद चकोरी बात करें 
सपनों का सजने लगे संसार 
जबरन नहीं होता प्यार

 #NojotoQuote #दोटूक #शायरी

Pushkar Bhardwaj

जबरन इश्क

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#जबरन इश्क
कल किसी की सादगी को टूटते देखा था
झुकी पलकों को गैर के सामने सिमटते देखा था
उस कमसिन के दिल में शायद ये एहसास नहीं था
वो इश्क चाह का जालिम भले पास ही था
में किसी से बात नही करती हूँ  ये जताना जरूरी हो गया था
सब छोटी- छोटी बातो को उसे बताना जरुरी हो गया था
शायद उसके दिल में मुहब्बत का कोई राज नही था
पर बैठा आशिक सामने  कोई बेआवाज नही था
सरकी जब वो चाय की महफिल से जालिम साथ चलने लगा
फिर वहीं सब इश्क की बात करने लगा
में हैरान हूँ , बेआवाज हूँ  कुछ कह नहीं सकती दिल के मुजरिम को
जब हल्की मुस्कान दे चली वो अपनी किसी महफिल को
शायद अबकी बार मृग शिकार से पहले भाग जायेगा
तन्हा सफर में उसका प्यार शायद जाग जायेगा..... 
                                               #भारद्वाज पुष्कर
     
. जबरन इश्क


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