Find the Best कालजयी Shayari, Status, Quotes from top creators only on Gokahani App. Also find trending photos & videos aboutकालजयी रचना का अर्थ, कालजयी का अर्थ, कालजयी कविता, कालजयी रचना,
amar gupta
ख्वाहिशों को पूरा करने के लिए बड़ी होना चाहती थी मगर देखो ना, ज़िंदगी ने जिमेदारियों से लाद दिया। बचपन ये सोच कर बीता की बड़ों को अपनी मन का करने की आज़ादी है। कुछ भी खा लो, कुछ भी पहन लो, किसी से भी दोस्ती कर लो। काश मैं भी बड़ी हो जाती ताकि ख्वाबों को मैं भी पूरा कर पाऊं। आज जब बड़ी हो गई हूं तो ज़िंदगी कहती है की मुझ पर जिमेदारियोंं का कर्ज़ है! अमन बेच कर, ख्वाब त्याग कर, उन्हे पूरा करना होगा, वो भी शायद ज़िंदगी भर! आज फिर से बच्चा होने को जी करता है। न ख्वाहिशें होती, नाही ज़िमेदारी, कमसेकम एक सुकून तो रहता! "ज़िन्दगी ने एक मुकाम पाया है, सतही पर दग्ध तमाम पाया है। श्रम
बचपन ये सोच कर बीता की बड़ों को अपनी मन का करने की आज़ादी है। कुछ भी खा लो, कुछ भी पहन लो, किसी से भी दोस्ती कर लो। काश मैं भी बड़ी हो जाती ताकि ख्वाबों को मैं भी पूरा कर पाऊं। आज जब बड़ी हो गई हूं तो ज़िंदगी कहती है की मुझ पर जिमेदारियोंं का कर्ज़ है! अमन बेच कर, ख्वाब त्याग कर, उन्हे पूरा करना होगा, वो भी शायद ज़िंदगी भर! आज फिर से बच्चा होने को जी करता है। न ख्वाहिशें होती, नाही ज़िमेदारी, कमसेकम एक सुकून तो रहता! "ज़िन्दगी ने एक मुकाम पाया है, सतही पर दग्ध तमाम पाया है। श्रम
read moreShruti Gupta
ख्वाहिशों को पूरा करने के लिए बड़ी होना चाहती थी मगर देखो ना, ज़िंदगी ने जिमेदारियों से लाद दिया। बचपन ये सोच कर बीता की बड़ों को अपनी मन का करने की आज़ादी है। कुछ भी खा लो, कुछ भी पहन लो, किसी से भी दोस्ती कर लो। काश मैं भी बड़ी हो जाती ताकि ख्वाबों को मैं भी पूरा कर पाऊं। आज जब बड़ी हो गई हूं तो ज़िंदगी कहती है की मुझ पर जिमेदारियोंं का कर्ज़ है! अमन बेच कर, ख्वाब त्याग कर, उन्हे पूरा करना होगा, वो भी शायद ज़िंदगी भर! आज फिर से बच्चा होने को जी करता है। न ख्वाहिशें होती, नाही ज़िमेदारी, कमसेकम एक सुकून तो रहता! "ज़िन्दगी ने एक मुकाम पाया है, सतही पर दग्ध तमाम पाया है। श्रम
बचपन ये सोच कर बीता की बड़ों को अपनी मन का करने की आज़ादी है। कुछ भी खा लो, कुछ भी पहन लो, किसी से भी दोस्ती कर लो। काश मैं भी बड़ी हो जाती ताकि ख्वाबों को मैं भी पूरा कर पाऊं। आज जब बड़ी हो गई हूं तो ज़िंदगी कहती है की मुझ पर जिमेदारियोंं का कर्ज़ है! अमन बेच कर, ख्वाब त्याग कर, उन्हे पूरा करना होगा, वो भी शायद ज़िंदगी भर! आज फिर से बच्चा होने को जी करता है। न ख्वाहिशें होती, नाही ज़िमेदारी, कमसेकम एक सुकून तो रहता! "ज़िन्दगी ने एक मुकाम पाया है, सतही पर दग्ध तमाम पाया है। श्रम
read more
About Nojoto | Team Nojoto | Contact Us
Creator Monetization | Creator Academy | Get Famous & Awards | Leaderboard
Terms & Conditions | Privacy Policy | Purchase & Payment Policy Guidelines | DMCA Policy | Directory | Bug Bounty Program
© NJT Network Private Limited