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LOL

बात सुनो...

गर तुम कभी तरक्की का इरादा रखो
ईमान की हथेली पर वजन कुछ ज्यादा रखो.. #घूस #yqdidi #yqbaba #yqquotes #yqdiary

TARUN KUMAR VIMAL

लेख बड़ा जरूर है लेकिन कुछ समजनें को मिलता है।...............
दुनिया के भ्रष्टाचार मुक्त देशों में शीर्ष पर गिने जाने वाले न्यूजीलैंण्ड के एक लेखक ब्रायन ने भारत में व्यापक रूप से फैंलें भष्टाचार पर एक लेख लिखा है। ये लेख सोशल मीडि़या पर काफी वायरल हो रहा है। लेख की लोकप्रियता और प्रभाव को देखते हुए विनोद कुमार जी ने इसे हिन्दी भाषीय पाठ़कों के लिए अनुवादित किया है। –

न्यूजीलैंड से एक बेहद तल्ख आर्टिकिल।

भारतीय लोग  होब्स विचारधारा वाले है (सिर्फ अनियंत्रित असभ्य स्वार्थ की संस्कृति वाले)

भारत मे भ्रष्टाचार का एक कल्चरल पहलू है। भारतीय भ्रष्टाचार मे बिलकुल असहज नही होते, भ्रष्टाचार यहाँ बेहद व्यापक है। भारतीय भ्रष्ट व्यक्ति का विरोध करने के बजाय उसे सहन करते है। कोई भी नस्ल इतनी जन्मजात भ्रष्ट नही होती

ये जानने के लिये कि भारतीय इतने भ्रष्ट क्यो होते हैं उनके जीवनपद्धति और परम्पराये देखिये।

भारत मे धर्म लेनेदेन वाले व्यवसाय जैसा है। भारतीय लोग भगवान को भी पैसा देते हैं इस उम्मीद मे कि वो बदले मे दूसरे के तुलना मे इन्हे वरीयता देकर फल देंगे। ये तर्क इस बात को दिमाग मे बिठाते हैं कि अयोग्य लोग को इच्छित चीज पाने के लिये कुछ देना पडता है। मंदिर चहारदीवारी के बाहर हम इसी लेनदेन को भ्रष्टाचार कहते हैं। धनी भारतीय कैश के बजाय स्वर्ण और अन्य आभूषण आदि देता है। वो अपने गिफ्ट गरीब को नही देता, भगवान को देता है। वो सोचता है कि किसी जरूरतमंद को देने से धन बरबाद होता है।

जून 2009 मे द हिंदू ने कर्नाटक मंत्री जी जनार्दन रेड्डी द्वारा स्वर्ण और हीरो के 45 करोड मूल्य के आभूषण तिरुपति को चढाने की खबर छापी थी। भारत के मंदिर इतना ज्यादा धन प्राप्त कर लेते हैं कि वो ये भी नही जानते कि इसका करे क्या। अरबो की सम्पत्ति मंदिरो मे व्यर्थ पडी है।

जब यूरोपियन इंडिया आये तो उन्होने यहाँ स्कूल बनवाये। जब भारतीय यूरोप और अमेरिका जाते हैं तो वो वहाँ मंदिर बनाते हैं।

भारतीयो को लगता है कि अगर भगवान कुछ देने के लिये धन चाहते हैं तो फिर वही काम करने मे कुछ कुछ गलत नही है। इसीलिये भारतीय इतनी आसानी से भ्रष्ट बन जाते हैं।

भारतीय कल्चर इसीलिये इस तरह के व्यवहार को आसानी से आत्मसात कर लेती है, क्योंकि

1 नैतिक तौर पर इसमे कोई नैतिक दाग नही आता। एक अति भ्रष्ट नेता जयललिता दुबारा सत्ता मे आ जाती है, जो आप पश्चिमी देशो मे सोच भी नही सकते ।

2 भारतीयो की भ्रष्टाचार के प्रति संशयात्मक स्थिति इतिहास मे स्पष्ट है। भारतीय इतिहास बताता है कि कई शहर और राजधानियो को रक्षको को गेट खोलने के लिये और कमांडरो को सरेंडर करने के लिये घूस देकर जीता गया। ये सिर्फ भारत मे है

भारतीयो के भ्रष्ट चरित्र का परिणाम है कि भारतीय उपमहाद्वीप मे बेहद सीमित युद्ध हुये। ये चकित करने वाला है कि भारतीयो ने प्राचीन यूनान और माडर्न यूरोप की तुलना मे कितने कम युद्ध लडे। नादिरशाह का तुर्को से युद्ध तो बेहद तीव्र और अंतिम सांस तक लडा गया था। भारत मे तो युद्ध की जरूरत ही नही थी, घूस देना ही ही सेना को रास्ते से हटाने के लिये काफी था।  कोई भी आक्रमणकारी जो पैसे खर्च करना चाहे भारतीय राजा को, चाहे उसके सेना मे लाखो सैनिक हो, हटा सकता था।

प्लासी के युद्ध मे भी भारतीय सैनिको ने मुश्किल से कोई मुकाबला किया। क्लाइव ने मीर जाफर को पैसे दिये और पूरी बंगाल सेना 3000 मे सिमट गई। भारतीय किलो को जीतने मे हमेशा पैसो के लेनदेन का प्रयोग हुआ। गोलकुंडा का किला 1687 मे पीछे का गुप्त द्वार खुलवाकर जीता गया। मुगलो ने मराठो और राजपूतो को मूलतः रिश्वत से जीता श्रीनगर के राजा ने दारा के पुत्र सुलेमान को औरंगजेब को पैसे के बदले सौंप दिया। ऐसे कई केसेज हैं जहाँ भारतीयो ने सिर्फ रिश्वत के लिये बडे पैमाने पर गद्दारी की।

सवाल है कि भारतीयो मे सौदेबाजी का ऐसा कल्चर क्यो है जबकि जहाँ तमाम सभ्य देशो मे ये  सौदेबाजी का कल्चर नही है

3- भारतीय इस सिद्धांत मे विश्वास नही करते कि यदि वो सब नैतिक रूप से व्यवहार करेंगे तो सभी तरक्की करेंगे क्योंकि उनका “विश्वास/धर्म” ये शिक्षा नही देता।  उनका कास्ट सिस्टम उन्हे बांटता है। वो ये हरगिज नही मानते कि हर इंसान समान है। इसकी वजह से वो आपस मे बंटे और दूसरे धर्मो मे भी गये। कई हिंदुओ ने अपना अलग धर्म चलाया जैसे सिख, जैन बुद्ध, और कई लोग इसाई और इस्लाम अपनाये। परिणामतः भारतीय एक दूसरे पर विश्वास नही करते।  भारत मे कोई भारतीय नही है, वो हिंदू ईसाई मुस्लिम आदि हैं। भारतीय भूल चुके हैं कि 1400 साल पहले वो एक ही धर्म के थे। इस बंटवारे ने एक बीमार कल्चर को जन्म दिया। ये असमानता एक भ्रष्ट समाज मे परिणित हुई, जिसमे हर भारतीय दूसरे भारतीय के विरुद्ध है, सिवाय भगवान के जो उनके विश्वास मे खुद रिश्वतखोर है 

लेखक-ब्रायन,
गाडजोन न्यूजीलैंड

 ( समाज की बंद आँखों को खोलने के लिए इस मैसेज  को जितने लोगो तक भेज
#tarun_kumar_vimal सकते हैं भेजने का कष्ट करें ।) #indian #politics #tarun_kumar_vimal

RV Chittrangad Mishra

घूसखोरी

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असफल कायर
घूस क्या है ?आप अच्छी तरह से जानते होंगे। 
हर असफल युवा यही कहता है कि बेरोजगारी है। 
नौकरी में घूसखोरी चल रही है। सरकार बेरोजगारी दूर नही कर रही है। आज से नही जब से मैने होश संभाला है  तब से सुन रहा हूँ। जो लोग घूस-घूस कर रहे हैं उनसे मैं पूछना चाहता हूँ कि इतने दिन से जो भर्तियाँ पूरी हो रही हैं क्या सब घूस देकर हुई। और आपने कितने प्रतियोगिता पास किया है। नियम के अनुसार कितने नौकरी का लक्ष्य पूरा कर दिया है। और आपसे किसने घूस मागा है।  
आज कल अधिकतर ये हो रहा है। हाईस्कूल, इण्टरमीडिएट नकल करके पास हुए। माँ बाप बच्चों का रिज़ल्ट देख कर उन्हें बाहर भेज दिये तैयारी के लिए। न मां बाप को पता है कि बच्चा करना क्या चाहता है। न बच्चे का कोई मंजिल है। 
बस जिस नौकरी का आवेदन आये सब डाल देना। बच्चा चार आवेदन करता है और दिमाग चार ओर दिमाग लगाता है। और माँ बाप जब सुनते हैं कि हमारा बच्चा चार नौकरी में आवेदन किया है तो उन्हें लगता है कि मेरा बच्चा  चारो नौकरी  पा गया। 
लेकिन बच्चा चार ओर दिमाग लगाने कि वजह से  किसी में  नहीं रह जाता और सब से हाथ धो बैठता है और माँ बाप सेकहता है कि आज कल घूस चल रहा है सरकारी नौकरी मिलना मुश्किल है। और माँ बाप ये भी नहीं पूछते कि तुम्हारा रिज़ल्ट कैसा है  पास हुए कि फेल। अरे मूर्खों इतना दिमाग लगाओ कि अगर कभी घूस मागा भी जायेगा तो लिखित परीक्षा में कभी नहीं।  जो माँ बाप अपने बच्चे को इतना पैसा खर्च करके पढा सकते हैं वो नौकरी के लिए घूस देने के लिए पीछे कभी नहीं करेंगे। लेकिन तुम उस योग्य बनो तो सही। 
मंजिल चुनना अतिआवश्यक है बिना मंजिल के ज़िन्दगी भटकते और दूसरे के ऊपर इल्जाम लगाते ही बीत जायेगी। अपनी असफलता पर अपनी कमी ढूंढना ही महानता है अपनी गलती पर दूसरे का दोष देना सबसे बड़ी कायरता है।  #NojotoQuote घूसखोरी


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