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prahlad mandal

मैंने महसूस किया #prahlad_mandal Poetry #Hope #कविता

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किसी ने कहा कुछ त्रुटियां हैं
जरा गौर से देखों"
मैं देखता गया मन के शौर को
 जिसके हलचल से बनी थी कविताएं..
कविताओं में शब्द दिखें लोगों को
और मुझे दिख रहें थें किसी की स्मृतियां जो
घर कर गया हैं मुझमें...
मैंने बताना चाहा कई बार अपने आप के बारे में
फिर भी लोगों ने कहा 
पीड़ाओं को सहकर नहीं रहते
दर्द बांटने से बंटता हैं...!!
और मैंने महसूस किया ये सुनकर कि 
अक्सर ओर परेशानियां बढ़ जाती हैं
दर्द बताने से.....

©prahlad mandal मैंने महसूस किया 
#prahlad_mandal #Poetry 
#Hope

prahlad mandal

ऊंचाईयां बढ़ रही अपने ज़िद से मंजिल की,
इनके बीच फासला अब कोई ओर आया हैं...
अब मंजिल का मेहनत हरवक्त नहीं हों पाता,
हालात अब कुछ पैसे कमाने को कहता हैं...
😔😔

©prahlad mandal #Apne #follow #prahlad_mandal 

#BatBall

prahlad mandal

मैं नहीं मानता हूं... #prahlad_mandal #poem #sunrays

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मैं नहीं मानता खुद को अधूरा
और ना ही खुद को पूरा मानता हूं....
मैं खुद को मध्य बिंदु पर रखा हुआ 
ना अच्छे से पूरा और ना ही 
बिल्कुल खाली ही मानता हूं.....
मैं खुद को अधूरा इसलिए मानता हूं
क्योंकि मैं किसी भी पेड़ को 
बिन मिट्टी के सहारे लगे नहीं देखा हूं...
और मैं खुद को पूरा भी 
इसलिए भी नहीं मानता हूं..
क्योंकि सामने बैठे किसी भी जंतु को 
चाहकर भी उनकी जरूरते पूरी करने के लिए
पेड़ अपने फल को उनके समक्ष लाने के लिए
तेज हवा की जरूरत होती हैं .. ठीक उसी प्रकार
हमें भी ज़रूरत पड़ती हैं कई चीज की...
मैं नहीं मानता सुविचार 
सिर्फ और सिर्फ मानव के पास होता हैं...
हां पक्षियां बोल नहीं पाती हैं समझाने के लिए
मनुष्य के जुवान के तरह
लेकिन अनुभव सवेरे से कराना शुरु कर देती हैं..
सूर्य के किरणों से पहले निवाला ढूंढने निकलकर
और सूर्य ढलते ही अपने झुंड के साथ
अपने बने बनाए घर में अपनों के साथ प्रेम बांटकर....
और मैं ये कदापि नहीं मानता कि
सफलता सिर्फ अकेले मिलता हैं...
अकेले गेहूं से आटा बनने की तों छोड़िए
गजूर भी उनमें आने के लिए
 नमी की भी जरूरत पड़ता हैं ...
तों बिन चक्की के घूरे आटा कैसे 
निकल सकता हैं.....

~ प्रहलाद मंडल 🌾

©prahlad mandal मैं नहीं मानता हूं...

#prahlad_mandal #poem 

#sunrays

prahlad mandal

#AzaadKalakaar बड़े नदियां का छोड़,
छोटे नदियां भी ठहरती हैं क्या?
पानी लिए अपनी एक जगह!!

बंदिशों से आजाद हैं 
मन से लिख तकदीर अपनी
किसी के अंदर की चिराग
किसी को दिख पाया हैं क्या...

जय हिन्द 🇮🇳

©prahlad mandal #prahlad_mandal 

#AzaadKalakaar

prahlad mandal

चमकाएंगे तिरंगे को हर ओर..#IndependenceDay #jaihind #prahlad_mandal #Independence2021 #कविता

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रक्त बहे हैं 
धड़ भी कटे हैं..
निंदो को रख सलाखों में
जाग के लड़ाई लड़ी हैं..

अंग्रेजों की हुकूमत को
बल बुद्धि दोनों शस्त्रों के
 प्रहार से हरायी हैं।

नदियां की जल निर्मल ना देख
धरती की हरियाली सुंदर ना देख
कश्मीर की वादियों की 
बर्फीली चट्टानें ना देख...

देख मेरे वतन के प्यारें
लहु सनी मिट्टी में वीर जवानों की ओर..
हर स्थिति में ऊंचा कैसे रखा
जान हमारे प्राण हमारे तिरंगे को हर ओर...

ले लो प्रण हर रोज
सूर्य की किरणों सा चमकाएंगे
तिरंगे को हर ओर 
तिरंगे को हर ओर 🇮🇳
          जय हिन्द 🇮🇳❤️
वन्दे मातरम् 🇮🇳

©prahlad mandal चमकाएंगे तिरंगे को हर ओर..#independenceday #jaihind  #prahlad_mandal 

#Independence2021

prahlad mandal

जैसे किसी को समझने के लिए 
हमें उसे शुरू से जानना होता हैं...
अगर हम सूर्योदय से पहले दिन को
समझना शुरू कर दें तो 
सूर्य की कड़ी धूप हों या फिर दिन में
परेशानी की पहाड़ हम उसपर खुद को
 संभालना सीख सकते हैं...

©prahlad mandal #prahlad_mandal 

#Forest

prahlad mandal

prahlad mandal

परोपकार

सूर्य की किरणों के उपकार से,
रोशनी मिलती है हमसब को राह की।
कोई भूखे कोई प्यारे है उसको  है आश,
बिन निज कोई फायदा से जैसे देता सूर्य प्रकाश।
जहां तक  हो संभव  करिए परोपकार।

नदियां की पानी भी कितना सहन कर लेती है,
इस भूमि के सारे प्रदूषण खुद में समेट लेती है।
प्यासे को फिर भी देती जल का उपहार ।
किसी के कष्ट को सहन कर भी ,
जैसे करता नदियां परोपकार ।
 वैसे जहां तक संभव हो करिए परोपकार।

वृक्ष की भांति कुछ सीखिए ,
कैसे कितना कुछ सहन करती है ।
कड़ी धूप में छाया देकर फिर भी परोपकार करती है ।
होती है इस जिंदगी में सबसे गलतियां,
गलतियों को माफ कर जहां तक संभव करिए परोपकार।

स्वरचित एवं मौलिक रचना
✍️प्रहलाद मंडल

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#Motivation 
#Motivational 
#motivasnal_quotes 
#poemkiduniya 

#SunSet


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