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Priya Gour
आजादी के शुभ दिन की स्वर्णिम वेला है आई, जान की कुर्बानी जिसके ख़ातिर असंख्यों ने लगाई, कहा आसान थी मिलना देश को आजादी, गोरे थे अत्याचारी देश में मचा दी थी बर्बादी, उन परिस्थितियों में जिसने आवाज उठाई, क्रांति की लौ जिस-जिस ने जलाई, थे वो सब स्वतंत्रता सेनानी बड़े ही स्वाभिमानी, भारत माँ की आजादी ही जिन्होंने अंतिम साँस तक चाही, आज आजाद है मन से अब हकीकत में आजाद बनना, सोने की चिड़िया है अपना देश फिर किसीका ना गुलाम बनना, देशप्रेम की भावना को हर दिन बढ़ने देना, राम की पावन धरा को तुम ना बदनाम करना, गौरव हैं इतिहास निज धरा का वीरों की अमर बलिदानी हैं, तिरंगा लहराये सदा शान से यही हम सबने ठानी हैं, संवैधानिक देश अपना साम्प्रदायिकता इसका गहना, जाति-धर्म का भेद ना करना सब मिलकर प्यार से रहना, यही मेरी कलम का कहना जय हिंद कहने में ना झिझकना, बहुत बाँट दिया अब देश को और ना बाँटने देना, भारत का नाम हो चारों और अब यही प्रयास करते रहना। ©Priya Gour 75 वें स्वतंत्रता दिवस की सभी को हार्दिक शुभकामनाएं...❤😍🇮🇳 🇮🇳जय हिंद🇮🇳 जय भारत 🇮🇳भारत माता की जय...🇮🇳❣️ #Independence2021 #मेरादेश #भारत #साम्प्रदायिकता #15august 9:50
75 वें स्वतंत्रता दिवस की सभी को हार्दिक शुभकामनाएं...❤😍🇮🇳 🇮🇳जय हिंद🇮🇳 जय भारत 🇮🇳भारत माता की जय...🇮🇳❣️ #Independence2021 #मेरादेश #भारत #साम्प्रदायिकता #15august 9:50
read moreKrishna B. Gautam
#हैप्पीदीवाली अब हर घर में सुंदर दिये जलें भर- भरकर लोगों में खुशियाँ बटें किसान-मजदूर भी खुलकर हँसे भाईचारे की एक नई इबारत लिखे पटाखे नहीं, नफरतों का रूप जले भारत में एक ऐसी भी दिवाली मने दीवाली एक ऐसी भी।।।। #दीवाली #दीपावली #दीपोत्सव #प्रकाशोत्सव #त्योहार #प्यार #भाईचारा #अपने #पटाखे #फुलझड़ी #किसान #मजदूर #साम्प्रदायिकता #कृष्णा #समर्थ Missti Pandit Zara Siddiqui priya gautam priya puhup aman6.1
Sourav Jha
*एक लड़ाई अपनी भी* सत्य की कटुता को व्यक्तिगत लड़ाई के माध्यम से जितना आज हम सभी का मानो एक फितरत सी बन गयी है। आज का भारत का विश्वसनीयता। जहा पुरे में फैला हुआ है। वही आज भी हम अपने ही देश की विश्वसनीयता को एक दूसरे पर अनैतिक लांछन लगा कर मिटाने में लगे हुए। कहा गया वो सोने की चिड़िया , सब जानते है परंतु कैसे बनेगा फिर से सोने की चिड़िया ये कोई नहीं जानना चाहता । अपितु कहा जाये तो मनुष्य जाती केवल और केवल अपने औऱ अपनों में सिमट के रहना चाहता है । जबकि उन्हें भी यह ज्ञात है ,की शत्रुता भी अपने ही ल
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