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srikant singh

"Meri baatein"

gumnaam_writer011

में कल रहूं या ना रहूं...
मेरे लिखें बोल, मेरी लिखीं कहानी याद रखना...
असल तो मुझे कभी अपना ना सके तुम...
मगर हो सके तो मुझे एहसासों और जज्बातों मे याद रखना ।।

©gumnaam_writer011 #मेरी_कहानी

Durgesh Tiwari Payesh

Abhi bhi hu mai jo tujhse pyaar krta tha
Apni najro sa door dakhne se darta tha
Aaj bhi tere tasbir dakh kar apna din shuru krta hu
Teri yaado ke saharo ke saath sham gujara krta hu #मेरी_कहानी #मेरीक़लमसे #yqdidi #yqbaba  #YourQuoteAndMine
Collaborating with Chhaya Jha

Sarita gautam

अgni

आज से कुछ तीन साल पहले, मैं अपनी आदत के मुताबिक रात को खाना खाने के बाद छत पर गाने गुनगुनाते हुए टहल रही थी की तभी टाँगों पर किसी की छुअन का एहसास हुआ, मैंने फौरन पलट कर देखा तो वो मुस्कुरा रहा था। ये पहली बार था जब उसने मुझे छुआ था और पता नहीं क्यों मैं उस छुअन को मैं समझ नहीं पाई उस वक़्त या शायद समझ कर भी भरोसा नहीं कर आया रही थी। मैंने उससे पूछा "क्या हुआ?" उसने जवाब में उसी मुस्कुराहट के साथ कहा "कुछ नहीं।" मैं छत के दूसरे कोने में चली गयी, उसे नजरअंदाज करने के लिए और वो वहीं बैठा रहा उस मुस्कुराहट के साथ, कुछ देर बाद मैं नीचे आ गयी छत पर जो हुआ उसके बारे में सोचा और फिर खुद को समझाया कि शायद मैं गलत समझ रही हूँ उसे, बचपन से जानती हूँ उसे फिर भी। 

दो-चार दिन बाद मेरे बाथरूम के बाहर कोई स्पर्म छोड़ गया था, उस वक़्त वहाँ उस मंजिल पर अकेली थी मैं और ये बात वो शख़्स जानता था। उस लम्हे ने झकझोर दिया था मुझे अंदर तक, कुछ पल को जैसे पत्थर हो गयी थी मैं, ऐसा नहीं है कि बदतमीजी पहले कभी नहीं हुई, लेकिन ऐसा पहली बार हुआ था। मेरे आँसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे और पहली बार मुझे अपने ही घर में डर लग रहा था। मम्मी और भाई घर आए तो समझ नहीं आया उन्हें क्या बताऊँ, फिर कोशिश करके मम्मी को बताया लेकिन....न किसी को आते देखा न जाते तो इल्ज़ाम भी किस पर लगाती। रोकर शांत हो गयी लेकिन मन में ख़ौफ़ बैठ गया था इस बात का की अगले कुछ घंटों या मिनटों में पता नहीं क्या हो जाएगा। कुछ देर के लिए भी अकेले रहने से डर लगने लगा था।  

कुछ दिन और बीते फिर, जब एक दिन मैं छत पर अपने बालों को सुखा रही थी तब वो भी छत पर आ गया, मैंने चाहा कि नीचे वापस चली जाऊँ लेकिन तभी उसने कहा "दीदी एक बात कहूँ?" मुझे लगा शायद जो मैं सोच रही हूँ वो गलत है, फिर मैंने वहीं सीढ़ियों पर बैठते हुए कहा "हाँ बोल क्या हुआ" मेरे इतना कहते ही जिस तरह वो मेरे करीब आने लगा मुझे सब साफ़ समझ आ गया। पीछे हटते   हुए मैंने कहा "पूछ" मैं उसके मुँह से सुनना चाहती थी कि वो क्या कहता है ताकि उसके माता पिता को बताने के लिए मेरे पास उसके शब्द हों। उसने कहा "तुम मुझे बहूत पसंद हो, मेरी गर्लफ्रैंड बनोगी?" उस वक़्त वो जिन नज़रों से मुझे देख रहा था वो किसी प्रेमी की नहीं बल्कि धाक लगाए बैठे किसी गिद्ध की तरह थी। इतना सुनते ही बीते दिनों में मेरे साथ हुई एक एक चीज़ कड़ी से बँध गयी, जी चाहा कि उसके गालों पर एक ज़ोरदार तमाचा लगा दूँ लेकिन नहीं लगा पाई, घिन आ रही थी मुझे उससे। मैं तुरंत नीचे आई और क्योंकि दिन रविवार का था तो घर में कुछ मेहमान आए हुए थे, मैं उनके जाने का इंतजार करने लगी लेकिन गुज़रे दिनों जिन भयानक लम्हों को मैंने जिया था उन्हें सोच कर डर से पहली बार मेरे हाथ पैर काँप रहे थे। मैं कमज़ोर नहीं हूँ लेकिन इतनी मज़बूत भी नहीं कि सब झेल जाऊँ। मेहमानों के जाते ही मैंने रोते रोते घर में सबकुछ बताया, माँ-पापा उसके घर गए, वहाँ जब उससे पूछा गया तो उसने कहा कि उसने तो कुछ किया ही नहीं। 

कुछ देर बाद उसकी माँ घर आई, मुझसे पूछा क्या हुआ था, मैंने भी सबकुछ बताया उन्हें और कहा कि मेरे सामने अपने बेटे से पूछिए। मेरे कहने पर उसके पापा उसे मेरे घर लाए और मैंने उससे सवाल करना शुरू किया, बहुत देर की चुप्पी के बाद उसने स्वीकारा लेकिन जब मैंने वो बाथरूम वाली हरकत के लिए उससे जवाब माँगा तो वो चुप था। हाँलाकि ये सब समझ गए थे कि वो सभी हरकतें उसी ने की थी, फिर भी उसकी माँ ने मुझे कहा "तूने ही कुछ किया होगा, मेरा बेटा यूँ ही तो ऐसा नहीं करेगा।" आसान शब्दों में वो मुझे "चरित्रहीन" कह रही थी, सुनने हैं आसान सा शब्द है लेकिन यक़ीन मानिए जिस पल इस शब्द को कोई आपके लिए इस्तेमाल करता है, उस पल जो चोट लगती है दिल पर वो कभी भरती नहीं है। ये वो शब्द थे जिन्हें मैं आख़िरी साँस तक भूल नहीं पाऊँगी। जिस चरित्र पर कभी एक तिनका भी नहीं उठा था, उस दिन मेरे उस चरित्र को गाली दी गयी थी जिसने सीधा आत्मा को जख़्मी किया था। 

उस दिन मैं इस सच से रूबरू हुई कि, मैं जिस समाज में रह रही हूँ वहाँ पुरुष चाहे जितनी भी बड़ी ग़लती करे लेकिन दोषी हर बार स्त्री को ही ठहराया जाएगा।

©अgni #life #ज़िन्दगी #चरित्रहीन  #मेरी_कहानी #अग्नि

Anand Tripathi 'रवि'

" हम जा रहे"
  कब?
"क्यों बताएं? तुम कौन?"
(उत्तर पहली पंक्ति में) #disabled #world_disability_day #irony #laddu #always #मेरी_कहानी  #कलम_तुम्हारी

Pihu Siddharth

मेरी_कलम_से✍️ #मेरी_कहानी

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परोपकार का फल✍️

एक बार एक गाँव में कुछ ग्रामीण मिलकर एक सांप को मार रहे थे,
 तभी उसी रस्ते से संत एकनाथ का निकलना हुआ| 
भीड़ को देख संत एकनाथ भी वहां आ पहुंचे, बोले – भाइयों इस प्राणी को क्यों मार रहे हो, 
कर्मवश सांप होने से क्या यह भी तो एक आत्मा है| 
तभी भीड़ में खड़े एक युवक ने कहा – “आत्मा है तो फिर काटता क्यों है ?”
व्यक्ति की बात सुनकर संत एकनाथ ने कहा – तुम लोग सांप को बेवजह मरोगे 
तो वह भी तुम्हे कटेगा ही, अगर तुम सांप को नहीं मरोगे तो 
वह भी तुम्हें क्यों काटेगा|ग्रामीण संत एकनाथ का काफी 
आदर सम्मान करते थे इसलिए संत की बात सुनकर लोगों ने सांप को छोड़ दिया!

कुछ दिनों बाद एकनाथ शाम के वक़्त घाट पर स्नान करने जा रहे थे| 
तभी उन्हें रास्ते में सामने फेन फैलाए एक सांप दिखाई दिया| 
संत एकनाथ ने सांप को रास्ते से हटाने की काफी कोशिश की
 लेकिन वह टस से मस न हुआ| आखिर में एकनाथ मुड़कर 
दुसरे घाट पर स्नान करने चले गए| उजाला होने पर लौटे तो देखा, 
बरसात के कारण वहां एक गड्डा हो गया था, 
अगर सांप ने ना बचाया होता तो संत एकनाथ उस गड्ढे में कबके समां चुके होते|

इसीलिए कहा गया है :-""दया और परोपकार हमेशा अच्छा फल लेकर आते हैं"|

©pihu Siddharth #मेरी_कलम_से✍️ 
#मेरी_कहानी

मरजानो_मनोजियो (The GamePlanner)

#मेरी_कहानी Swati Tyagi

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niharika nilam singh

हर रोज मेरे दिन की 
बस यही कहानी है 
होंठो से हंसना है
आंखों में पानी है

©niharika nilam singh #मेरी_कहानी #दर्द #Broken #love for #nojotohindi #nojotolucknow 

#rain
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