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Vidhi
यक्ष: मंत्री जी कह रहे हैं कि नोटबंदी से केवल उनकी छँटनी हुई है जिनकी योग्यता संदेहजनक है। आपका का क्या कहना है इस पर? युधिष्ठिर: सौ प्रतिशत खरी बात है। छँटनी के शिकार हुए युवाओं ने उनकी ही IT सेल में नयी भर्तियाँ ली हैं। और उनके मुखारविंद से निकले शब्द उनकी योग्यता ही दर्शातें हैं। यक्ष: और वे लोग जिन्हें वहाँ भी जगह नहीं मिली, वे? युधिष्ठिर: उन्होंने स्किल इंडिया जॉइन कर ली। देखा नहीं कितने स्वरोजगार बढ़ रहे हैं? यक्ष: मगर ये जो रिपोर्ट्स और सर्वे आ रही हैं, उनका क्या? बढ़ती महँगाई का क्या? युधिष्ठिर: वे सब एज ऑफ डूइंग बिज़नेस के परिणाम हैं। #notebandi #इकॉनमी #यक्ष #YQbaba #YQdidi
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यक्ष: क्या सचमुच गीता ने अर्जुन की मदद की? युधिष्ठर: की ही होगी। स्त्रियाँ प्रायः ही उसके पीछे सम्मोहित हो जाती हैं। छिछोरेपन के सारे ही गुण पाए जाते हैं उसमें। यहाँ तक कि द्रौपदी भी.. (आवाज़ में चिढ़न साफ सुनाई दे रही थी) यक्ष: अ.. मैं आप लोगों के व्यक्तिगत मामलों पर प्रश्न नहीं कर रहा। मैंने तो बस उन श्लोकों की बात की, जिसे प्रभु ने स्वयं उसे सुनाई। युधिष्ठिर: सच पूछिए, तो ये हमारी सोची समझी योजना ही थी। आपको क्या लगता है प्रभु इतने सीधे हैं? यक्ष: तो क्या आपका मतलब है कि ये सब ड्रामा था? मोह? प्रवचन? ये सब कुछ? युधिष्ठिर: ओह यस। प्रभु महान हैं, मगर उनमें इतना भी टैलेंट नहीं कि सहवाग को द्रविड़ बना सकें। वो तो बस हमारे कहने से बकलोली कर रहे थे। ताकि तब तक में हम पीछे से व्यूह रचना कर सकें। यक्ष: तो यानी आपने जिस व्यूह की रचना की उसका नाम 'नीतीश' था? युधिष्ठिर: अरे, आपको कैसे पता? यक्ष: संजय की कमेंट्री केवल धृतराष्ट्र ही नहीं सुनते। उसका सीधा प्रसारण स्वर्ग में भी होता है। युधिष्ठिर: हाँ मैं भूल ही गया था अब तो पृथ्वी पे मौजूद सारी सुविधाएँ आधार से जुड़ी हुई हैं। #यक्ष #युधिष्ठिर #संवाद #गीता #मनोरोग #नीतीश #आधार #YQbaba #YQdidi
Parasram Arora
आज भी मेरा एक प्रश्न यक्ष प्रश्न बनकर मेरे ज़हन मे भटक रहा है क़ि आखिर मुझे इस उपग्रह पर कैसे और क्यों उतारा गया? मेरी जन्म तिथि क्या थी और तिथि बाह्य होने की समय सीमा क्या है? मै तो ये तक नहीं जानता की यहाँ मुझे किस मिशन . पर भेजा गया है? इसके अलवा मै अभी तक अनभिज्ञ हूँ की मुझे इस उपग्रह क़े कौनसी दिशा मे अपना घर बना कऱ बसना है ? ©Parasram Arora #यक्ष प्रश्न........
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read moreवेदों की दिशा
।। ॐ ।। स तस्मिन्नेवाकाशे स्त्रियमाजगाम बहुशोभमानामुमां हैमवतीं तां होवाच किमेतद्यक्शमिति ॥ वह (इन्द्र) उसी आकाश में अनेक रूपों में भासित हो रही एक स्त्री के समीप आया जो हिमवान् शिखरों की पुत्री 'उमा' है। वह उमा से बोला, ''यह बलशाली यक्ष क्या था? He in the same ether came upon the Woman, even upon Her who shines out in many forms, Uma daughter of the snowy summits. To her he said, “What was this mighty Daemon?” केनोपनिषद तृतीय खण्ड मंत्र १२ #केनोपनिषद #उपनिषद #उमा #हिमवंती #इन्द्र #यक्ष #बलशाली
वेदों की दिशा
।। ॐ ।। अथेन्द्रमब्रुवन् मघवन्नेतद्विजानीहि किमेतद्यक्शमिति तथेति तदभ्यद्रवत् तस्मात्तिरोदधे ॥ तब उन्होंने इन्द्र से कहा, ''हे सम्पदाओं के स्वामी (मघवन्), इसके विषय में ज्ञान प्राप्त करो कि यह बलशाली यक्ष क्या है।'' उसने कहा, ''तथा इति।'' वह द्रुतगति से 'उसकी' ओर गया। 'वह' इन्द्र के सामने से तिरोहित हो गया। Then they said to Indra, “Master of plenitudes, get thou the knowledge, what is this mighty Daemon.” He said, “So be it.” He rushed upon That. That vanished from before him. केनोपनिषद तृतीय खण्ड मंत्र ११ #केनोपनिषद #उपनिषद #वेदांत #इन्द्र #यक्ष #परब्रह्म
वेदों की दिशा
।। ॐ ।। तस्मै तृणं निदधावेतदादत्स्वेति तदुपप्रेयाय सर्वजवेन तन्न शशाकादातुं स तत एव निववृते नैतदशकं विज्ञातुं यदेतद्यक्शमिति ॥ उस यक्ष ने उसके सम्मुख एक तिनका रखा; ''इसे ले जाओ।'' वह अपने पूर्ण वेग से तिनके की ओर बढ़ा, पर उसे ले नहीं सका। वहीं निश्चेष्ट हो गया, और वहीं से वह वापिस लौट आया; ''मैं नहीं जान सका कि 'वह' बलशाली यक्ष क्या है। That set before him a blade of grass; “This take.” He went towards it with all his speed and he could not take it. Even there he ceased, even thence he returned; “I could not discern of That, what is this mighty Daemon.” केनोपनिषद तृतीय खण्ड मंत्र १० #केनोपनिषद #मंत्र #उपनिषद #वायु #वेग #यक्ष
वेदों की दिशा
।। ॐ ।। तदभ्यद्रवत्तमभ्यवदत् कोऽसीति वायुर्वा अहमस्मीत्यब्रवीन्मातरिश्वा वा अहमस्मीति ॥ वह 'उसके' (यक्ष के) प्रति द्रुतगति से गया; ‘उसने’ (यक्ष ने) वायु से कहा, ''तुम कौन हो? इसने कहा, ''मैं वायु हूँँ, मैं हीं वह तत्त्व हूँ जो वस्तुओं के ‘मातृ-तत्त्व' में विस्तीर्ण होता है(मातरिश्वा हूँ)। He rushed upon That; It said to him, “Who art thou?” “I am Vayu,” he said, “and I am he that expands in the Mother of things.” केनोपनिषद तृतीय खण्ड मंत्र ८ #केनोपनिषद #उपनिषद #वायु #यक्ष
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read moreवेदों की दिशा
।। ॐ ।। अथ वायुमब्रुवन् वायवेतद्विजानीहि किमेतद्यक्शमिति तथेति ॥ तब वे वायुदेव से बोले, ''हे वायु! यह पता करो यह बलशाली यक्ष क्या है? वायु ने कहा, ''तथा इति।'' Then they said to Vayu, “O Vayu, this discern, what is this mighty Daemon.” He said, “So be it.” केनोपनिषद तृतीय खण्ड मंत्र ७ #केनोपनिषद #उपनिषद #मंत्र #वायु #वायुदेव #यक्ष
Lokendra Thakur
मैं कालिदास तो नहीं हूं किंतु ,इतना अवश्य प्रयत्न करूंगा मन की यक्ष वेदना को, मेघो के संग तुम्हारे नगर भेजूंगा। बूंद बूंद की पाती पढ़ना, फिर अंजुली से बहा देना देना तुम भी संदेसा अपना, पर मेरी पीर कह जाने देना, अश्रु भरे नयनों में, रिक्त स्थान थोड़ा पर रखना वहां बसने को स्वप्न मिलन का, प्रवर भेजूंगा मैं कालिदास तो नहीं हूं किंतु ,इतना अवश्य प्रयत्न करूंगा मन की यक्ष वेदना को, मेघो के संग तुम्हारे नगर भेजूंगा। //निरंतर #लोकेंद्र की कलम से
#लोकेंद्र की कलम से
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