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Kunal Salve

खूपच आठवणी येतात गं तुझ्या 
LOCKDOWN मध्ये उल्लंघन खूप करतात हृदयातील CURFEW चे
शिथिल होईल LOCKDOWN मग ठरव 
काय करायचे गुन्हा केलेल्या शिक्षेचे !  #lockdown
#शिथिल 
#आठवणी

Amit Singhal "Aseemit"

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 9 ।।श्री हरिः।। 14 - कर्मण्येवाधिकारस्ते 'हमारा काम बहुत र्शीघ्र प्रगति करेगा।' बात यह है की कार्यारम्भ में ही आशा से अधिक सफलता मिली थी और इस सफलता ने श्री बद्रीप्रसादजी को उल्लसित कर दिया था। 'ग्राम-संगठन की ओर कोई ध्यान नहीं देता।' आज से एक सप्ताह पूर्व बद्रीप्रसादजी ने अपने एक मित्र के साथ मिलकर योजना बनायी। 'हम दोनों इस ओर लग जायें तो कार्य बहुत बड़ा नहीं है।'

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 9

।।श्री हरिः।।
14 - कर्मण्येवाधिकारस्ते

'हमारा काम बहुत र्शीघ्र प्रगति करेगा।' बात यह है की कार्यारम्भ में ही आशा से अधिक सफलता मिली थी और इस सफलता ने श्री बद्रीप्रसादजी को उल्लसित कर दिया था।

'ग्राम-संगठन की ओर कोई ध्यान नहीं देता।' आज से एक सप्ताह पूर्व बद्रीप्रसादजी ने अपने एक मित्र के साथ मिलकर योजना बनायी। 'हम दोनों इस ओर लग जायें तो कार्य बहुत बड़ा नहीं है।'

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 8 - जागे हानि न लाभ कछु राजकुमार श्वेत के आनन्द का पार नहीं है। आज उनका अभीष्ट पूर्ण हुआ। आज उनकी तपस्या सार्थक हुई। उन्हें लगता है कि आज उनका जीवन सफल हो गया। उन्होंने भगवान् पुरारि से वरदान प्राप्त किया है कि पृथ्वी पर वे सहस्त्र वर्ष एकच्छत्र सम्राट रहेंगे और सौ अश्वमेघ निर्विघ्न सम्पन्न कर सकेंगे। भविष्य में इन्द्रासन उनका स्वत्व बनेगा। पिता परम शिवभक्त हैं। श्वेत ने जब गुरुगृह को शिक्षा सम्पन्न करके कुछ काल तपोवन में रहने की अभिलाषा व

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8

।।श्री हरिः।।
8 - जागे हानि न लाभ कछु

राजकुमार श्वेत के आनन्द का पार नहीं है। आज उनका अभीष्ट पूर्ण हुआ। आज उनकी तपस्या सार्थक हुई। उन्हें लगता है कि आज उनका जीवन सफल हो गया। उन्होंने भगवान् पुरारि से वरदान प्राप्त किया है कि पृथ्वी पर वे सहस्त्र वर्ष एकच्छत्र सम्राट रहेंगे और सौ अश्वमेघ निर्विघ्न सम्पन्न कर सकेंगे। भविष्य में इन्द्रासन उनका स्वत्व बनेगा।

पिता परम शिवभक्त हैं। श्वेत ने जब गुरुगृह को शिक्षा सम्पन्न करके कुछ काल तपोवन में रहने की अभिलाषा व

Anil Siwach

|| श्री हरि: || 25 - शयन 'दादा!' कन्हाई नींद में ही अपने हाथ से अपने बड़े भाई को टटोल लेता है। दाऊ के हाथ इसके शरीर से हटे और यह चौंका। यह करवट लेगा और आंखें बंद किये ही पुकारेगा और टटोलेगा। दाऊ अपने छोटे भाई को निद्रा में भी अपने हाथ से मानों सम्हाले रहता है। यदि करवट लेने में वह हाथ हट जाय, मैया के थपकी देने पर भी श्याम दादा को ढूंढेगा। श्याम के नीलकमल के समान सुंदर शरीर पर दाऊ का प्रफुल्ल पद्मकर या फिर दाऊ के देह पर मोहन का नन्हा - सा अरुण सरोजपाणी - दोनों भाई एक - दूसरे को छूते ही सो सकते

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|| श्री हरि: ||
25 - शयन

'दादा!' कन्हाई नींद में ही अपने हाथ से अपने बड़े भाई को टटोल लेता है। दाऊ के हाथ इसके शरीर से हटे और यह चौंका। यह करवट लेगा और आंखें बंद किये ही पुकारेगा और टटोलेगा। दाऊ अपने छोटे भाई को निद्रा में भी अपने हाथ से मानों सम्हाले रहता है। यदि करवट लेने में वह हाथ हट जाय, मैया के थपकी देने पर भी श्याम दादा को ढूंढेगा।

श्याम के नीलकमल के समान सुंदर शरीर पर दाऊ का प्रफुल्ल पद्मकर या फिर दाऊ के देह पर मोहन का नन्हा - सा अरुण सरोजपाणी - दोनों भाई एक - दूसरे को छूते ही सो सकते

Bhaskar Anand

"कुछ कर के दिखलाओ" हे मानव मनुज पुत्र तुम,कुछ करके दिखलाओ शिथिल रहोगे कब तक तुम,अब कर्म योगी बन बतलाओ शैशव से ही देखो असीम संभावनाएं ईश्वर की भी तुम से है तुम ही हो सर्वश्रेष्ठ चराचर

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"कुछ कर के दिखलाओ"

हे मानव मनुज पुत्र तुम,कुछ करके दिखलाओ
शिथिल रहोगे कब तक तुम,अब कर्म योगी बन बतलाओ

शैशव से ही देखो असीम संभावनाएं 
ईश्वर की भी तुम से है
तुम ही हो सर्वश्रेष्ठ चराचर

Anil Siwach

श्री हरिः 14 - कर्मण्येवाधिकारस्ते 'हमारा काम बहुत र्शीघ्र प्रगति करेगा।' बात यह है की कार्यारम्भ में ही आशा से अधिक सफलता मिली थी और इस सफलता ने श्री बद्रीप्रसादजी को उल्लसित कर दिया था। 'ग्राम-संगठन की ओर कोई ध्यान नहीं देता।' आज से एक सप्ताह पूर्व बद्रीप्रसादजी ने अपने एक मित्र के साथ मिलकर योजना बनायी। 'हम दोनों इस ओर लग जायें तो कार्य बहुत बड़ा नहीं है।' 'पहिले एक ग्राम का संगठन हाथ में लेना होगा।' मित्र ने सलाह दी।

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श्री हरिः
14 - कर्मण्येवाधिकारस्ते
'हमारा काम बहुत र्शीघ्र प्रगति करेगा।' बात यह है की कार्यारम्भ में ही आशा से अधिक सफलता मिली थी और इस सफलता ने श्री बद्रीप्रसादजी को उल्लसित कर दिया था।

'ग्राम-संगठन की ओर कोई ध्यान नहीं देता।' आज से एक सप्ताह पूर्व बद्रीप्रसादजी ने अपने एक मित्र के साथ मिलकर योजना बनायी। 'हम दोनों इस ओर लग जायें तो कार्य बहुत बड़ा नहीं है।'

'पहिले एक ग्राम का संगठन हाथ में लेना होगा।' मित्र ने सलाह दी।


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