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Prerna Singh
White बोने के लिए लोग केसर बोते हैं लेकिन जो चुपके से केसर के नाम पर नरक बो जाते हैं उस अथाह पीडा की व्यथा धरती,आकाश और पाताल से कहीं अधिक विस्तृत होती हैं.... जो बारी बारी से अपनी मियाद पुरी करती हैं। ©Prerna Singh #wallpaper
Kumar Dinesh
White लिपटे हैं मुझसे यादों के कुछ तार..और मैं ठंडी हवाएं सुब्ह की,अख़बार.. और मैं जागते रहे हैं साथ ही अक्सर ही तमाम शब मेरी ग़ज़ल के कुछ नए अशआर..और मैं क्या जाने अब कहाँ मिलें,कितने दिनों के बाद लग जाऊँ क्या तेरे गले इक बार..और मैं अपनी लिखी कहानी को ही जी रहा हूँ अब इक जैसा ही तो है ..मेरा क़िरदार और मैं पहले तो खूब तलुओं को छाले अता हुए अब हमसफ़र है रास्ता पुरखार.. और मैं ग़म था न कोई इश्को मुहब्बत की फ़िक्र थी जीते थे ज़िंदगी को मेरे यार..और मैं अक्सर ही करते रहते हैं ख़ामोश गुफ़्तगू लग कर गले से आज भी..दीवार और मैं अशआर =शे'र का बहुवचन पुरखार=काँटो भरा ©Kumar Dinesh #wallpaper
Jaswinder Singh Jassi
White ਨਾ ਤੂੰ ਮਿੱਲੀ ਨਾ ਤੇਰੇ ਨਾਲ ਨਜ਼ਰ ਮਿੱਲੀ, ਤੇਰੇ ਤੇ ਹੀ ਲਿੱਖਦੇ ਰਹਿੰਦੇ ਆ ਤੈਨੂੰ ਕੋਲ ਮਹਿਸੂਸ ਕਰਨ ਲਈ, 5-ਸਾਲਾਂ ਪਿੱਛੋਂ ਤੇਰੀ ਅੱਜ ਫਿਰ ਯਾਦ ਆਈ, ਤਰਸ ਦੇ ਰਹਿੰਨੇ ਆਂ ਅੱਜ ਵੀ ਤੈਨੂੰ ਦੇਖਣ ਲਈ ਪਰ ਤੇਰਾ ਨਾ ਸਾਨੂੰ ਦੀਦਾਰ ਹੋਇਆ, ਸੱਤਾ ਜਨਮਾਂ ਲਈ ਤੇਰਾ ਸਾਥ ਚਾਹੁੰਦੇ ਸੀ ਪਰ ਰੱਬ ਨੂੰ ਨਾ ਇਹ ਮੰਨਜ਼ੂਰ ਹੋਇਆ, ਕੀ ਹਾਲ ਆ ਮੇਰਾ ਕਿਸੇ ਨੂੰ ਪੁੱਛ ਤਾਂ ਸਹੀ ਜੇ ਗੱਲ ਨਹੀਂ ਕਰਨੀ ਬੁੱਝ ਤਾਂ ਸੀ, ਯਾਰ ਤੂੰ ਪਹਿਲੀ ਤੇ ਆਖਰੀ ਸੀ ਜਿਹਦੇ ਨਾਲ ਇਕਰਾਰ ਹੋਇਆ, ਬੜੇ ਦਿਲ ਨਾਲ ਦਿੱਲ ਮਿੱਲੇ ਇਸ ਮਹਿਫਿਲ ਵਿੱਚ ਬਹੁਤ ਇਨਸਾਨ ਮਿੱਲੇ, ਪਰ ਕਿਸੇ ਨਾਲ ਓਵੇਂ ਪਿਆਰ ਨਹੀਂ ਹੋਇਆ, ਚੱਲ ਤੂੰ ਨੀ ਤੇਰੀਆਂ ਯਾਦਾਂ ਤਾਂ ਕੋਲ ਹੀ ਨੇ ਜੋ ਮੈਂ ਸਾਂਭ ਕੇ ਰੱਖੀਆਂ ਨੇ, ਇੱਕ ਤੂੰਹੀ ਸੀ ਜਿਹਦੇ ਨਾਲ ਪਿਆਰ ਬੇਸ਼ੁਮਾਰ ਹੋਇਆ, ਤੇਰਾ ਜੱਸੀ ✍️💔 ©Jaswinder Singh Jassi #wallpaper
अनुज
White इतने ऊंचे ऊंचे पर्वत, इतनी नीची नदिया क्यों कल ही छोड़ा साथ तुम्हारा, लगती जैसे सदियां क्यों, आओ ! हमारे पास रहो, जैसे बादल से पर्वत मिलते है, मैं बन कींच,कमल तुम बनो, चलो साथ में खिलते है, दिन में रोज उजाला है, पर अंधकार में रतियाँ क्यों, इतने ऊंचे ऊंचे पर्वत, इतनी नीची नदिया क्यों..... तुमको वन उपवन समझूं खुद को बारिश की बूंदे इतना प्रेम समर्पण है, फिर गहराई में क्यों कूदे सारे वृक्ष बुजुर्गो ने, हिल-हिल कर सहमति दे डाला, सबने सहज रूप स्वीकार किया, फिर पीछे इतनी बतिया क्यों इतने ऊंचे ऊंचे पर्वत, इतनी नीची नदिया क्यों... ©अनुज #wallpaper
MR VIVEK KUMAR PANDEY
White "कर्म करते रहिए,समय बर्बाद मत करो".। ©MR VIVEK KUMAR PANDEY #wallpaper
Devinder singh
White ਲੱਖ ਮਾੜਾ ਹੋ ਸਕਦਾਂ ਮੈਂ ਪਰ ਕਿਸੇ ਦਾ ਮਾੜਾ ਕਰਕੇ ਆਪਣਾ ਚੰਗਾ ਨੀ ਕੀਤਾ ਕਦੇ ,,, !! ©Devinder singh #wallpaper
समीर तिवारी
White प्रचार के आदी धर्माचार्य धार्मिक विचार से शून्य हो चुके है धर्म की हानि धर्म के नाम पर बनी संस्थाओ ने जितना किया है और कर रही है उतना तो मुगल भी नही कर सके , बड़े बड़े मठ मंदिर बनाकर उसमे बैठे मठाधीश केवल खुद का प्रचार करते है, भगवान और भगवा के नाम का आवरण ओढ़कर ,जबकि आचरण से म्लेच्छ बन गये है समीर तिवारी ©समीर तिवारी #wallpaper
Me Nobita S
White मेरे कड़वे अल्फाज़ चुभ गए उन्हें, मगर मेरा साफ दिल उन्हें नजर तक ना आया। ©Me Nobita #wallpaper
Eknath Dhanke
White माझा माझा म्हणणाऱ्यांना कळलो असतो कशाला तुझ्यासाठी वणवण फिरलो असतो हटता हटता राहिला जरा पडदा बाकी नाहीतर आपण सगळ्यांना दिसलो असतो शुभेच्छाच देऊ शकतो मी याच्या नंतर याच्या आधी तुला वाचवू शकलो असतो कठीण असते स्वतः पासुनी तुटणे नाथा नाहीतर केव्हाचा तुझ्यात मिटलो असतो . . . . (मी उतरवले असतेही बाजारात मला पण कोणा कोणाला मी परवडलो असतो?) एकनाथ ©Eknath Dhanke #wallpaper