Nojoto: Largest Storytelling Platform

New स्त्री धन का उल्लेख Quotes, Status, Photo, Video

Find the Latest Status about स्त्री धन का उल्लेख from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, स्त्री धन का उल्लेख.

    LatestPopularVideo

Abhishek12

शेतकऱ्याच धन-बैल स्त्री अभिमान फॉलो स्टेटस #मराठीप्रेरक

read more

राणा नवीन सिंह

शब्दों का धन

read more
मैं आपके प्यार के लिए अपने सम्मान से समझौता नहीं कर सकता।  आप अपना प्यार रख सकते हैं, मैं अपनी इज्जत रखूंगा,
RANA..✍ शब्दों का धन

lokesh RATHORE

भाग्य का धन

read more

DR. LAVKESH GANDHI

# बेईमानी का धन #

read more
ईज्जत की खुदी हुई कब्र पर...
 बेज्जती  के पनपे हुए पेड़ से...
निर्लज्जता के उगे हुए फल को खाकर... 
उसकी संतान भी महादेवी वर्मा के  घीसा जैसी ही होती है... # बेईमानी का धन #

Kavya Suryavanshi

#स्त्री का सम्मान #Life

read more
White शब्द 

पुरुष - मेरा गुस्सा बोहोत खराब है, मैं डरता हूं कभी तुम पर हाथ ना उठा दूं !

स्त्री - क्या तुम्हारा गुस्सा शिव जी के तांडव से भी ज्यादा है ?

पुरुष  - नहीं उनके गुस्से के आगे मेरी क्या औकात !

स्त्री - तो क्या  तुमने कभी सुना है कि पूरी दुनिया को एक पल मे समाप्त करने की क्षमता रखने वाले शिव ने कभी अपनी अर्धांगिनी  पर हाथ उठाया ?


 शिव जी ने तो अपनी पत्नी के गुस्सा होने पर( प्रचंड रूप) में आने पर उनके कदमों में लेटकर उन्हें शांत किया है, लड़कर नहीं !

अर्थात -  स्त्री का सम्मान सदैव सर्वोपरि है !

©Kavya  #स्त्री का सम्मान

advocate Vibha Bajpai

स्त्री का मन #विचार

read more

sonia devraj

स्त्री का स्वभिमान

read more
में वो स्त्री नही जो हर बार टूट के बिखर जाऊंगी , जीवन जीना कैसे है हर बार की तरह यह भी सीखा जाऊंगी

©sonia devraj स्त्री का स्वभिमान

Kulbir Singh

#स्त्री का मान

read more

Kuldeep Shrivastava

स्त्री का सम्मान #विचार

read more
मर्यादा में रहने से अगर स्त्री का सम्मान है तो ,
स्त्री का सम्मान करना ही पुरुष की मर्यादा हैं ..!

©Kuldeep Shrivastava 
स्त्री का सम्मान

Dhirendra Dubey

स्त्री का जीवन #कविता

read more
स्त्री का जीवन

किरदार निभानें आएं हैं।
किरदार निभाकर जाएंगे।
मिट्टी के पुतले हैं हम सब।
मिट्टी में  ही मिल जाएंगे।
शाश्वत नियम यह सृष्टि का।
बदलेगा जो कभी नहीं।
उसमें भी नारी का जीवन।
दिन-रात बिखरता पत्तों सा।
पतझड़ के मौसम सा जीकर,
वह फूल खिलाती उपवन में।
वेदनाओंके पर्वत पर वह,
कुटज फूल सी खिलती है।
माँ के रूप में वह नवगान 
सृष्टि का करती है । 
लूटाकर प्यार अनोखा धरती पर।
वह मरती और बिखरती है। स्त्री का जीवन
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile