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rupesh sharma
शिव शंकर जय भोले भंडारी, मेरी भी दुःख हरलो हे त्रिपुरारी, शीश चंद्र जय जटाधारी, नमन नीलकंठ हे विषधारी। ©rupesh sharma शिव शंकर जय भोले भंडारी, मेरी भी दुःख हरलो हे त्रिपुरारी, शीश चंद्र जय जटाधारी, नमन नीलकंठ हे विषधारी।#Rupeshsharma #Shiva
शिव शंकर जय भोले भंडारी, मेरी भी दुःख हरलो हे त्रिपुरारी, शीश चंद्र जय जटाधारी, नमन नीलकंठ हे विषधारी।#RupeshSharma #Shiva
read moreNITISH KUMAR
जो भी आया-शरण तुम्हारी,रक्षक बन गई तुम त्रिपुरारी🙏🚩🚩🍂🎄🍁🌺_shortvideo_mahadev_viral #समाज
read morerupesh sharma
शिवशंकर जय भोले भंडारी, मेरी भी हर लो दुःख सारी, कब तक भटकूँ मैं हे त्रिपुरारी, शरण में ले लो हे जटाधारी। शिवशंकर जय भोले भंडारी, मेरी भी हरलो दुख सारी, कब तक भटकू मैं हे त्रिपुरारी, शरण में ले ले हे जटाधारी। #shivratri #bholebhandaari #tripuraar
शिवशंकर जय भोले भंडारी, मेरी भी हरलो दुख सारी, कब तक भटकू मैं हे त्रिपुरारी, शरण में ले ले हे जटाधारी। #shivratri #BholeBhandaari tripuraar #tripuraari #jatadhaari
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
🙏🙏ऊँ नमः शिवाय🙏🙏 हे उमा पति शिवा अविनाशी सुनो विनती करें जग वासी । अब कृपा करो हे भंडारी । है आस तुम्हीं से त्रिपुरारी ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR *🙏🙏ऊँ नमः शिवाय🙏🙏* *हे उमा पति शिवा अविनाशी* *सुनो विनती करें जग वासी ।* *अब कृपा करो हे भंडारी ।* *है आस तुम्हीं से त्रिपुरारी ।।*
Rk_karn1511 अनकही सी बातें
rupesh sharma
मोर पंख सर ,हाथ बाँसुरी, श्याम साँवले हर गोपी को प्यारी। माखन प्रिय अमृत है वाणी, जग में अमर जिनकी है यारी। नन्द के लाल श्री चक्रधारी, राधा मन बसते प्रभु त्रिपुरारी । देवकी अंश यशोदा के परछाईं, कंस संहारक जय बांकेबिहारी। ©rupesh sharma मोर पंख सर ,हाथ बाँसुरी, श्याम साँवले हर गोपी को प्यारी। माखन प्रिय अमृत है वाणी, जग में अमर जिनकी है यारी। नन्द के लाल श्री चक्रधारी, राधा
मोर पंख सर ,हाथ बाँसुरी, श्याम साँवले हर गोपी को प्यारी। माखन प्रिय अमृत है वाणी, जग में अमर जिनकी है यारी। नन्द के लाल श्री चक्रधारी, राधा #RupeshSharma #DearKanha
read moreKajal The Poetry Writer
हो त्रिभुवन में सर्वत्र तुम्हीं, विस्तार कौन नापे, तुम क्रोध में जब आ जाओ तो ब्रह्माण्ड सकल कांपे तुम्हें ध्यावें त्रिपुरारी, गावें महिमा तुम्हारी, तुम हो दिव्य सकल गुण धाम, नील वर्ण धनुर्धारी, प्रभु अवध बिहारी तुमसे बड़ा है,तुम्हारा नाम जय श्री राम ©KAJAL The poetry writer हो त्रिभुवन में सर्वत्र तुम्हीं विस्तार कौन नापे, तुम क्रोध में जब आ जाओ तो ब्रह्माण्ड सकल कांपे तुम्हें ध्यावें त्रिपुरारी गावें महिमा तुम
हो त्रिभुवन में सर्वत्र तुम्हीं विस्तार कौन नापे, तुम क्रोध में जब आ जाओ तो ब्रह्माण्ड सकल कांपे तुम्हें ध्यावें त्रिपुरारी गावें महिमा तुम #ramadan #पौराणिककथा
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