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Divya Thakur
एक ही Room में सुबह से शाम हो जाना फिलहाल ऐसी चल रही है जिंदगी ।। ©Divya Kaushik #रूम
Upendraraj Devadhe
रूम बदलताना.... हे गाव ती खोली सारी उचलसाचल आहे. जुनी नाती तोडून नवीन जोडणे आहे नोकरदाराचा संसार,हिंदोळता आहे जणु विंचवाचे बि-हाड पाठीवर आहे. सप्तरंगी रूम बदलताना
रूम बदलताना
read moreगोरक्ष अशोक उंबरकर
White गणितं सोडवता आयुष्याची मित्रांना ही दुरावलो.. का कुणास ठाऊक यारो आपण का कसं हरवलो... एकमेकांच्या सुख दुःखी घास आपण भरवले.. मागे वळून बघताना डोळ्यात पाणी तरंगले.. आयुष्याच्या कहाणीने रात्रींना ही जागवले.. नसले पैसे कधीतरी भातावर ही भागवले.. असे कसे रे आपण कोण कुठे विसावलो.. काळजाच्या तुकड्यांना सहजा सहजी विसरलो.. ©गोरक्ष अशोक उंबरकर रूम मेट स
रूम मेट स #मराठीकविता
read moreगोरक्ष अशोक उंबरकर
White तुझं माझं - माझं तुझं असं कधीही मुळीच नसायचं.. आपल जणू सारं काही असच नेहमी भासायचं.. खिशात दमडी नसताना बिनधास्त आपण असायचं.. मिञ आहे म्हणून कोणी टेंशन कसलं घ्यायचं... उधारीच्या जगण्याला कोण कशाला भ्यायचं.. पगार कधी झाल्यावर ज्याचं त्याचं द्यायचं.. नसले कुणाकडे पैसे तरी तांदळाला शिजवायचं.. गुण्या गोविंदाने भाताला शिजवून साऱ्यांनी संपवायचं.. ©गोरक्ष अशोक उंबरकर रूम मेट स पार्ट २
रूम मेट स पार्ट २ #मराठीकविता
read moreSavita Nimesh
मैं कॉलेज हॉस्टल में न्यू आई थी वहां पता लगा मेरा रूम नम्बर 13 है । वहा खड़े कुछ स्टूडेंट के चेहरे का रंग उड़ गया था वो आखों ही आखों में ना जाने क्या बात कर रहे थे, खैर मैंने अपना सामान उठाया और अपने रूम की तरफ जाने लगी सभी मुझको बहुत अजीब सी नज़रों से देख रहे थे। मैं अपने रूम में आई और अपना सामान लगाने लगी। क्लास शुरू होने ही वाली थी मैने जल्दी से काम खत्म किया और क्लास में पहुंच गई। मैडम ने मेरा परिचय पूरी क्लास से कराया और सबने अपना परिचय मुझसे कराया, मुझे बहुत अच्छा लगा। लेकिन क्लास खत्म होने के बाद मैंने सबसे अपना पेंडिंग वर्क मांगा तो सबने को न कोई बहाना बना के मना कर दिया। तब मैं निराश सी होकर एक एकांत कोने में जा बैठी । तभी एक लड़की मेरे पास आई और बोली तुम क्लास में काम मांग रही थी ना, ये लो मेरा वर्क काम होने के बाद वापस कर देना। मेरे चेहरे पर एक तरफ खुशी थी तो दूसरी तरफ एक सवाल था कि ये लड़की क्लास में तो थी नहीं फिर इसको ये सब कैसे पता, पर खैर मुझे क्या मुझे तो वर्क मिल गया था मैं जैसे ही उसका नाम पूछने के लिए मुड़ी वो वहां नहीं थी। मै जब शाम को अपने रूम में पहुंची और पेंडिंग वर्क कंप्लीट करने में लग गई, 12 बज गए मेरा वर्क होने में, अचानक आंधी चलने लगी मेरे रूम की खिड़की बहुत तेज तेज बजने लगी। आसमान में बिजली कड़कने और बादल गरजने की आवाज से में सिहर गई , ऊपर से लाइट भी चली गई। मैंने मोबाइल टॉर्च जला के मोमबत्ती ढूंढ के जलाई , तभी मेरा डोर किसी ने बजाया ठक्क ठक्क ठक्क ठक्क्क मैं मोमबत्ती हाथ में लिए दरवाज़ा खोलने लगी दरवाजा अपने आप झटके से खुल गया और हवा के झोंके से मोमबत्ती बुझ गई मुझे कुछ भी साफ साफ नहीं दिख रहा था बस एक लड़की की परछाई दिखी मैने पूछा कौन हो इतनी रात गए क्या काम है मुझसे, अचानक मेरे पीछे की खिड़की फिर हवा से बजने लगी मैं खिड़की की तरफ बढ़ी तो लाईट भी आ गई, मैने जैसे ही पीछे मुड़कर दरवाज़े की तरफ देखा तो वहा कोई नही था। अगले दिन सुबह मैंने अपने आस पास के सभी रूम की लड़कियों से पूछा की क्या कल तुम मेरे रूम पर आई थी पर सभी ने मना कर दिया,खैर फिर मैं इस बात को भूल गई और अपने में व्यस्त हो गई। मैं वो सभी नोट्स वापस करने के लिए उस लड़की का इंतजार किया पर वो शायद आज आई ही नहीं थी। तभी मैंने कुछ लड़कियों को आपस में बाते करते सुना की कल फिर से रूम नम्बर 13 की सुधा फिर से होस्टल में घूमती हुई कुछ लोगो ने देखी, ये सब सुनते ही मुझे सब समझ आ गया और मैं वही बेहोश हो गई। ©Savita Nimesh होस्टल का रूम नंबर 13
होस्टल का रूम नंबर 13 #हॉरर
read moreगोरक्ष अशोक उंबरकर
एकमेकांच्या हातानी एकमेकांस भरवतील.. काही काही महाभाग नकळत पने रडवतील.. स्वयंपाक करताना सारे मोबाईल घेऊन बसायचे.. चल दादा _चाल भाऊ गोड बोललं की उठायचे .. जेवण बनल्यावर सारे समोर एकत्र दिसायचे.. जेवनानंतर भांडी घासायला सारेच गायब व्हायचे.. रूम भाडे भरताना एकेक कारण सांगायचे... कसेही असले तरी एकमेकांना सांभाळायाचे.. ©गोरक्ष अशोक उंबरकर रूम मेट स भाग ४
रूम मेट स भाग ४ #मराठीकविता
read moreगोरक्ष अशोक उंबरकर
एकमेकांचे चोरून खाण्यात एक वेगळी ती मजा होती.. पकडलो कधी गेल्यावर अनोळखी ती सजा होती.. मित्राचा बॉडी स्प्रे चां सुगंध खूप छान वाटायचा.. चोरून स्प्रे केल्यावर तो आनंद बेभान मिळायचा.. जो तो घरून येताना आईचा फराळ आणायचा.. मिञ नसताना खोलीवर इतरांनी डल्ला टाकायचा.. चहा प्यायचा म्हंटल्यावर सगळे सोबत असायचे.. बिल भरताना टपरीवरती कुणीही नाही दिसायचे... ©गोरक्ष अशोक उंबरकर रूम मेट स भाग ३
रूम मेट स भाग ३ #मराठीकविता
read moreSavita Nimesh
मैं कॉलेज हॉस्टल में न्यू आई थी वहां पता लगा मेरा रूम नम्बर 13 है । वहा खड़े कुछ स्टूडेंट के चेहरे का रंग उड़ गया था वो आखों ही आखों में ना जाने क्या बात कर रहे थे, खैर मैंने अपना सामान उठाया और अपने रूम की तरफ जाने लगी सभी मुझको बहुत अजीब सी नज़रों से देख रहे थे। मैं अपने रूम में आई और अपना सामान लगाने लगी। क्लास शुरू होने ही वाली थी मैने जल्दी से काम खत्म किया और क्लास में पहुंच गई। मैडम ने मेरा परिचय पूरी क्लास से कराया और सबने अपना परिचय मुझसे कराया, मुझे बहुत अच्छा लगा। लेकिन क्लास खत्म होने के बाद मैंने सबसे अपना पेंडिंग वर्क मांगा तो सबने को न कोई बहाना बना के मना कर दिया। तब मैं निराश सी होकर एक एकांत कोने में जा बैठी । तभी एक लड़की मेरे पास आई और बोली तुम क्लास में काम मांग रही थी ना, ये लो मेरा वर्क काम होने के बाद वापस कर देना। मेरे चेहरे पर एक तरफ खुशी थी तो दूसरी तरफ एक सवाल था कि ये लड़की क्लास में तो थी नहीं फिर इसको ये सब कैसे पता, पर खैर मुझे क्या मुझे तो वर्क मिल गया था मैं जैसे ही उसका नाम पूछने के लिए मुड़ी वो वहां नहीं थी। मै जब शाम को अपने रूम में पहुंची और पेंडिंग वर्क कंप्लीट करने में लग गई, 12 बज गए मेरा वर्क होने में, अचानक आंधी चलने लगी मेरे रूम की खिड़की बहुत तेज तेज बजने लगी। आसमान में बिजली कड़कने और बादल गरजने की आवाज से में सिहर गई , ऊपर से लाइट भी चली गई। मैंने मोबाइल टॉर्च जला के मोमबत्ती ढूंढ के जलाई , तभी मेरा डोर किसी ने बजाया ठक्क ठक्क ठक्क ठक्क्क मैं मोमबत्ती हाथ में लिए दरवाज़ा खोलने लगी दरवाजा अपने आप झटके से खुल गया और हवा के झोंके से मोमबत्ती बुझ गई मुझे कुछ भी साफ साफ नहीं दिख रहा था बस एक लड़की की परछाई दिखी मैने पूछा कौन हो इतनी रात गए क्या काम है मुझसे, अचानक मेरे पीछे की खिड़की फिर हवा से बजने लगी मैं खिड़की की तरफ बढ़ी तो लाईट भी आ गई, मैने जैसे ही पीछे मुड़कर दरवाज़े की तरफ देखा तो वहा कोई नही था। अगले दिन सुबह मैंने अपने आस पास के सभी रूम की लड़कियों से पूछा की क्या कल तुम मेरे रूम पर आई थी पर सभी ने मना कर दिया,खैर फिर मैं इस बात को भूल गई और अपने में व्यस्त हो गई। मैं वो सभी नोट्स वापस करने के लिए उस लड़की का इंतजार किया पर वो शायद आज आई ही नहीं थी। तभी मैंने कुछ लड़कियों को आपस में बाते करते सुना की कल फिर से रूम नम्बर 13 की सुधा फिर से होस्टल में घूमती हुई कुछ लोगो ने देखी, ये सब सुनते ही मुझे सब समझ आ गया और मैं वही बेहोश हो गई। ©Savita Nimesh होस्टल का रूम नंबर 13
होस्टल का रूम नंबर 13 #हॉरर
read moreMr. Kumar
बची हो अगर कोई और तोहमत, लाईए उसे भी मेरे ही सर रख दो तुम आज भी रोते हुए पसंद नहीं मुझे अपने सब इल्ज़ाम मेरे सर रख दो कुमार और यूं तो कुछ बचा नहीं मेरे पास, उसके बिछड़ जाने के बाद तुम कुछ यूं करो के उसकी यादों को मेरे हुजरे से कहीं बाहर रख दो (मि. कुमार) तोहमत - इल्ज़ाम हुजरा - जैसे कमरा (रूम)
तोहमत - इल्ज़ाम हुजरा - जैसे कमरा (रूम)
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