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उमाकान्त तिवारी 'प्रचण्ड'
नासमझों को समझाना , आसान नहीं था। मोदी का फरमान कोई नुकसान नहीं था।। सदा बड़े छोटों पर हाबी होते आये, सत्यमेव जयते इतना आसान नहीं था।। Umakant Tiwari prachand, ©उमाकान्त तिवारी "प्रचण्ड" आन्दोलन
आन्दोलन #विचार
read moreProgati Uriya
लड़ेंगें लड़ेंगे। हम सब लड़ेंगे, लड़ेंगे आपने हक के लिए। लड़ेंगे आपने कलचार के लिए। चाय जनजाति के लिए हर एक युव संगठन करेंगे आज आन्दोलन परवाह नही अभी का सोचना है वास कल के लिए हम सब बनेंगे एक सोलजर छोटे-बड़े हर एक के हाथ में होंगे तिरंगा । आंखों में कुछ पानें का जुनून फिर चल पड़ेंगे। आन्दोलन आन्दोलन हम करेंगे आन्दोलन आन्दोलन करने हर घर से नगर- शहर,गाव-वसती से निकलेंगे लोग हर घर से आवाज निकलेंगे आन्दोलन आन्दोलन हम एक साथ जमा होकर लाईन लाईन से जाते हुए नहलाएंगे हर गली में तिरंगा आवाज देते हुए आन्दोलन आन्दोलन ©Progati Uriya #Chhuan आन्दोलन
Author Harsh Ranjan
असत्य में भी सत्य छिपा है, कु के साथ कुकर्म, स के साथ पुराने हो चुके सत्कर्म का नया संस्करण है! कहा उसने किताबें खोलकर, संत को चाहिए सत, चित, आनंद! चोर की भी वही प्रेरणा होती है। संत उपवास कर उसे पाते हैं और चोर, चोरी का माल बेच दारू, गांजा, मुर्गा पेलकर भव-सागर तर जाते हैं। लेकिन उसने जोर देकर कहा, उपवास अन्नपूर्णा माँ का अपमान है, और जो खाद्य पदार्थों का जिक्र हुआ वो भूखे के लिए जीवन वरदान हैं। मैंने शाबासी ठोंककर उसे कहा, अब डिग्री या धंधे के लिए किसी यूनिवर्सिटी या दल मत जाना, और हाँ नागरिक सुविधा के कार्ड बनवाने चेहरे नहीं पिछवाड़े की फोटो खिंचाना!End. वामपंथी से वार्तालाप
वामपंथी से वार्तालाप
read moreAuthor Harsh Ranjan
असत्य में भी सत्य छिपा है, कु के साथ कुकर्म, स के साथ पुराने हो चुके सत्कर्म का नया संस्करण है! कहा उसने किताबें खोलकर, संत को चाहिए सत, चित, आनंद! चोर की भी वही प्रेरणा होती है। संत उपवास कर उसे पाते हैं और चोर, चोरी का माल बेच दारू, गांजा, मुर्गा पेलकर भव-सागर तर जाते हैं। लेकिन उसने जोर देकर कहा, उपवास अन्नपूर्णा माँ का अपमान है, और जो खाद्य पदार्थों का जिक्र हुआ वो भूखे के लिए जीवन वरदान हैं। मैंने शाबासी ठोंककर उसे कहा, अब डिग्री या धंधे के लिए किसी यूनिवर्सिटी या दल मत जाना, और हाँ नागरिक सुविधा के कार्ड बनवाने चेहरे नहीं पिछवाड़े की फोटो खिंचाना!End. वामपंथी से वार्तालाप
वामपंथी से वार्तालाप
read moreAuthor Harsh Ranjan
जब कविताएं लिखी जाने लगीं, आत्मा हम हैं, परमात्मा और नहीं कोई, हमारे प्रियतम हैं! रति-क्रिया ही साधना है, सिसकारी प्रार्थना है और सुरतान्त शयन बस वैकुंठादि में वास है... मैंने समझ लिया सर्वनाश है कि किलविष के शैतान और तुलसी-मीरा के भगवान भी तर्क और तुलना के दायरे में हैं! शैतान भगवानियत से अंधेरा फैलाने में लगा है और भगवान शैतानियत से प्रकाश थोप रहा है! झण्डे और नंगे विश्व-विद्यालय का बुजुर्ग छात्र निर्गुण-लय में बोल रहा है- कहो कैसी लगी! Cont... वामपंथी से वार्तालाप
वामपंथी से वार्तालाप
read moreAuthor Harsh Ranjan
जब कविताएं लिखी जाने लगीं, आत्मा हम हैं, परमात्मा और नहीं कोई, हमारे प्रियतम हैं! रति-क्रिया ही साधना है, सिसकारी प्रार्थना है और सुरतान्त शयन बस वैकुंठादि में वास है... मैंने समझ लिया सर्वनाश है कि किलविष के शैतान और तुलसी-मीरा के भगवान भी तर्क और तुलना के दायरे में हैं! शैतान भगवानियत से अंधेरा फैलाने में लगा है और भगवान शैतानियत से प्रकाश थोप रहा है! झण्डे और नंगे विश्व-विद्यालय का बुजुर्ग छात्र निर्गुण-लय में बोल रहा है- कहो कैसी लगी! Cont... वामपंथी से वार्तालाप
वामपंथी से वार्तालाप
read moreMaickal Amit
"किसान" जमीन का सीना चीर के पूरे विश्व का पेट भरने वाला कहने को तो ये 3 अक्षरों का शब्द है लेकिन इन शब्द की महानता समझ पाना बहुत कठिन मैं भी किसान हूँ मुझे पता है। क्या क्या झेलता है किसान न तो वो सर्दी देखता है न गर्मी न बरसात दिन रात मेहनत करता है। बस किसके लिए ताकि दुनिया भूखी उठे लेकिन भूखी सोए न आज जब उस किसान के हितों पर आन पड़ी तो सभी चुप बैठे हैं। कोई कहता मुझे क्या मेरे पास तो खेत ही नही कोई कहता। मैं तो शहरी हूँ मुझे क्या लेना देना। बस जब ये लोग ये कहना बंद कर देंगे। उस दिन किसान को जवान के समान सम्मान मिलने लगेगा। अगर जिंदा रहने के लिए जवान जरूरी है। तो जिंदा रखने के लिए किसान भी उससे कम नही। लेकिन चाहे जितना लिख पढ़ लिया जाय किसान के लिए लोग उसे हमेशा हीन भावना से ही देखते हैं। सोचो अगर अनाज न हुआ तो क्या खाओगे भक्त तो गोबर खा लेंगे उनकी दिक्कत नही लेकिन जो वास्तव में इंसान है वो क्या खायेंगे। जितना हो सके किसान के लिए लिखो जितना हो सके उसके लिए आवाज उठाओ। ©Maickal Amit किसान आन्दोलन #bharatband
किसान आन्दोलन #bharatband
read morePramod Mishra
चाय का स्वाद, और हाथ में प्रभात ख़बर सच्ची खबरों से तर-बतर #अखवार नहीं यह आन्दोलन है