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Parasram Arora
कोई पुरखो को पानी पहुंचा रहा हैँ कोइ गंगाओ मे पाप धो रहा हैँ कोई पथर की प्रतिमाओं के सामने बिना भाव सर झुकाये बैठा हैँ धर्म के नाम पर हज़ार तरह की मूढ़ताएं प्रचलन मे हैँ धर्म से संबंध तो तब होता हैँ जब आदमी जागरण की गुणवत्ता हासिल कर लेता हैँ जहाँ जागरण होगा वहा अशांति कभी हो ही नहीं सकती क्यों कि जाग्रत आदमी विवेकी होता हैँ इर्षा क्रोध की वृतियो से ऊपर उठ चुका होता हैँ औदेखा जाय तो धर्म औऱ शांति पर्यायवाची शब्द हैँ धर्म औऱ शांति...... पर्यायवाची शब्द हैँ
धर्म औऱ शांति...... पर्यायवाची शब्द हैँ
read moreParasram Arora
खून को पानी का पर्यायवाची मत मान. लेना अनुभन कितना भी कटु क्यों न हो वो.कभी कहानी नही बन सकताहै उस बसती मे सच बोलने का रिवाज नही है यहां कोई भी आदमी सच.को झूठ बना कर पेश कर सकता है ताउम्र अपना वक़्त दुसरो की भलाई मे खर्च करता रहा वो ऐसा आदमी कुछ पल का वक़्त भी अपने लिये निकाल नही सकता है ©Parasram Arora पर्यायवाची......
पर्यायवाची...... #शायरी
read moreRAJU THAPA (RAJ MASTANA)
आज के हालात सियासत का जंगल उलझे हुए तार ,पुरानी इमारत जगह जगह दरार । कत्ल होकर पड़ी हैरात भर से लाश बेगुनाह हवालात मेंमुजरिम फरार । कोई करे हिन्दूकोई करे मुस्लिम आग लगे पेट कोनिकालो तलवार । महंगा है राशन पानी भी मोल सस्ता ज़मीर है सस्ते हथियार । पटरी पे आती नही ज़िन्दगी ये घर ने ही कैद है होके बेरीज़गार । शहर की सारीचकाचौंध झूटी सूली पे लटके अच्छे कलाकार । मानवता का दुनिया मेही रहा बलात्कार भूल जाओ यारो अब कोई चमत्कार । राजू थापा #सियासत का जंगल
Arora PR
खुदा के घर तक़ जाने का हमारा बड़ा मन था हम घर से निकले भी पर राह मे ख्वाहिशों के जंगल से हमे गुज़रना पड़ा जहा जंगल के हिंसक जानवरो ने हमारा रास्ता रोक लिया ©Arora PR ख्वाहिशों का जंगल
ख्वाहिशों का जंगल #कविता
read moreShashi Bhushan Mishra
दुनिया जैसे यादों का इक जंगल है, जीवन है तो सब मंगल ही मंगल है, हार-जीत है खेल-तमाशे का हिस्सा, वक़्त बड़ा बलवान जीतता दंगल है, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #यादों का जंगल#
Self Made Shayar
शेर को राजा बनाने का कोई समारोह नहीं होता वह खुद की काबिलियत से राजा होता है। ©Raj thakur #जंगल का राजा।
Author Munesh sharma 'Nirjhara'
असंख्य अनगिनत चेहरों को देख लगता विकसित हो रहा चेहरों का जंगल घना जैसे उगते हैं जंगल में विभिन्न पेड़-पौधे काँटों और फल-फूल के ऐसे ही भीड़ में दिखते हैं चेहरे प्रेम और वैर के प्रसन्नता और उदासी के जो दिखाते हैं उसे जंगल के समरूप ही आता है चेहरों के जंगल में वसंत भी और पतझड़ भी भाव-भंगिमा चेहरों की बयाँ कर देती हर मौसम को ही ऋतु आती और जाती रहती हैं असर दिखता रहता है कभी हरियाली कभी पतझड़ कभी बादल कभी सावन चेहरों से बरसता रहता है जंगल चेहरों का घना होता रहता यूँ ही जीवंत बना रहता "जंगल चेहरों का"...!💫 Muनेश...Meरी✍️ चेहरों का जंगल
चेहरों का जंगल
read more{¶पारसमणी¶}
राजा चैन से सोया था, वह जनाता था जुगनूओं का विद्रोह कितना ही! प्रबल क्यों ना हो, जंगल नहीं जला सकता! 🌹पागल/शायर/शुभ;🌹 #जुगनूओं #का #जंगल