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Pradyumn awsthi
आदरणीय श्री ललित सक्सेना जी मेरी रचनाओं को सराहना देने के लिए आपका बहुत बहुत आभार ,बहुत बहुत धन्यवाद ©"pradyuman awasthi" #आभार
Parasram Arora
मै आभारी रहूंगा जीवनपर्यंत उस सूरज का जिसने मेरे भीतर स्वेद और पसीने की रचना की विटमिन d पिला कर मुझे पुष्ट किया और मुझे कर्मयोगी बना कर इस तपोभूमि पर जीवित रहने की काबलियत दी ©Parasram Arora आभार....
आभार.... #कविता
read moremilind sarkate
आपण सर्व मिञपरीवाराने काल माझ्या वाढदिवसाच्या निमित्ताने भरभरून शुभेच्छा दिल्या... तुमचे प्रेम,आणि स्नेहाने मी भारावून गेलो.. तुमचे प्रेम असेच वृद्धींगत होवो... कळत न कळत भूतकाळात माझ्याकडून कुणाच मन दुखावलं गेल असल तर त्यांची मनापासून माफी मागतो... - मिलिंद... # आभार
# आभार #बात
read moreGhanshyam Shah Advocate
💐💐आभार💐💐 जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए आप सभी का हृदय से आभार। शुभकामनायें हमेशा ही मनोबल को ऊँचा करती हैं तथा और अधिक कार्य करने के लिए प्रेरित करती हैं, आप सभी की मंगलकामनाओं के कारण मेरा आज का जन्मदिन अविस्मरणीय रहा हैं। आप सभी का स्नेह, सहयोग आशीष इसी तरह निरंतर मुझे मिलता रहेगा, इसी आशा और अपेक्षा के साथ पुनः आप सभी का आभार आपका अपना घनश्याम शाह #आभार
S@quotes
आज मेरे जज्बात को, थोड़ा पंख मिल गया.. वाह तेलंगाना पुलिस, आपने क्या कमाल किया - राणा आभार...
आभार... #विचार
read moreArora PR
न शिकायते हटी न शिकवे मिटे तो अब भीतर तुम्हारे प्रार्थना का जन्म होगा कैसे? जो मिला है हमें हमारी पात्रता से ज्यादा ही मिला है तो अब इसके लिए हम रब के प्रति आभार व्यक्त करें कैसे? ©Arora PR आभार
आभार #कविता
read moreParasram Arora
जिन बातुनियो के सानिध्य में मैंने शांत रहना सीखा और जिन असहिष्णु व्यक्तियों से सहनसीलता का पाठ सीखा और निर्दई लोगो के संपर्क में रह कर मेरे भीतर दयालुता का कीड़ा कुलबुलाया था.. क्या ये मेरा फर्ज़ नही कि इन. बातुनी. निर्दयी और असहिष्णु. लोगो क़ो अपना शिक्षक मानकर उनका आभार व्यक्त करू? ©Parasram Arora आभार......
आभार...... #कविता
read moreआकाश
आभार प्रथम प्रणाम माँ को जिसने दिया मुझे संसार, प्रथम गुरु मेरे जीवन की वंदन लाखों बार, मेरी जननी तुम ही तो हो मेरी पालनहार, हाथ जोड़ कर शीश नवा कर प्रकट करू आभार। नभ की भांति छाया जिनकी जीवन का आधार, प्रथम सखा और रक्षक मेरे दिया मुझे आकार, पिता जिनकी तुलना किसी से करनी है बेकार, हाथ जोड़ कर शीश नवा कर प्रकट करू आभार। शिक्षा दिक्षा देकर जिसने स्वप्न किये साकार, बिना मेरी क्षमता को जाने किया मुझे स्वीकार, गुरु सिखाते करना कैसे जीवन मे आचार, हाथ जोड़ कर शीश नवा कर प्रकट करू आभार। नटखट बचपन स्वछंद जीवन गलती बारम्बार, भाई बहन के बिना नही था पूर्ण कोई त्यौहार लड़ते और झगडते फिर भी करते थे हम प्यार, हाथ जोड़ कर शीश नवा कर प्रकट करू आभार। जब जवानी का अंकुर फूटा मित्र हुए दो चार, जीवन की हर दुबिधा में तुम मिले मुझे तैयार, सच्चे मित्र वही जो प्रेम का करते नही व्यापार, हाथ जोड़ कर शीश नवा कर प्रकट करू आभार। आकाश #आभार