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Gudvin Barche
Travel सफर में तेज चलने से नजारे छूट जाते हैं जिंदगी में तेज चलने से अपने रूठ जाते हैं धीरे चलने का भी हुनर लोगों मैं होना चाहिए सूरज भी आसमा को धीरे-धीरे छूता है शाम ढलते ही धीरे-धीरे जमीन को चूमता है आब- ए -चश्म (आशु) भी अब्सार ( आंख) से धीरे धीरे ही टपकते हैं तेज चलने से अक्सर लोग जिंदगी में फिसल जाते हैं धीरे धीरे चलते हैं जो लोग वह मंजिल तक सलामत पहुंचते हैं Gudvin.barche@g धीरे धीरे चलो सलामत रहो
धीरे धीरे चलो सलामत रहो
read morePriti yadav
#DearZindagi ज़िंदगी! जरा धीरे चलो कि संभलकर,, चलने का हुनर याद करना होता है।। ज़िंदगी धीरे चलो।।
ज़िंदगी धीरे चलो।। #DearZindagi #poem
read moreSaurabh Roy Mahakal Bhakt
जब भी अपने चेहरे पर जुल्फ को बिखेरा, हसरतों की दुनिया में दूर तक अंधेरा है ,दिन तो गुजर जाता है; रात कैसे गुजरेगी, मुझे आज शाम से ही तो उनकी यादों ने गिरा है, यह शक्ल सूरत है ,कौन किसे पहचाने आदमी मुसाफिर है आदमी लूटेरा ,धीरे-धीरे लेकर चलो अब मेरे जनाजे को धीरे धीरे लेकर चलो अब मेरे जनाजे को दिलरुबा की गलियों में आखरी यह फेरा है!!!! धीरे-धीरे लेकर चलो मेरे जनाजे को...
धीरे-धीरे लेकर चलो मेरे जनाजे को...
read moreKAVI AKELA
वाह री सखी हमसे का वैर रहा,काहे छिपाए बैठी हो ,, छम्मक छल्लो सी नाचती तुम टिक टोक पर रानी बनी बैठी हो। बड़ी मासूमियत से मेरी सखी ने कहा मुझसे ,,, अरे जिज्जी मैं लड़का हूं, का मजाक कर बैठी हो।। कवि अकेला 13 जून 2020 #Light छम्मक छल्लों बने गया भाई
Aparna Sachan
धीरे चलो-प्रेरक कहानी #कहानी #story #storytelling #Inspiration #SachanAparna #BemisaalKahaniya
read moreSangeeta Verma
कूछ खास हो जाने लगे धीरे-धीरे वो मेरे दिल को भाने लगे तन्हा होती हूँ जरा भी मै धीरे-धीरे वो पास अपने बूलाने लगे कैसे करूँ यकीन मै धीरे-धीरे वो मूझ से नाराज रहेने लगे कहाँ ढूंढू गली गली मैं धीरे-धीरे वो मूझ से लूका छिपी रहेने लगे बहूत बाते होती है अकसर उनसे धीरे-धीरे वो मूझे अनदेखा करने लगे मेरा प्यार एक तरफा ही सही लगा यूँ आज धीरे-धीरे वो भी मूझे दिल से चहाने लगे । (चाँदनी) ©Sangeeta Verma धीरे-धीरे
धीरे-धीरे #लव
read moreAnjana Sarkar
धीरे-धीरे हम निकल पड़े उस खुबसूरत जहान की खोज में जहाँ होगी ख्वाइशों पूरी और अरमान सारे कब तक जिएंगे बेजान लाशों की तरह ना कोई मंजिल हे नांहि कुछ पाने की चाह ऐसे जीना भी कोई जीना है इससे तो बेहतर थोड़ी बगावत ही सही है पीछे छोड़ जाउँ इस जालिम दुनिया को ख्वाब सजाउँ और उसे पूरा करने का प्रण लो तोर के सारे बंदिशों को पंख लगा के तुम उड़ चलो चलो चलें उस हसिन जन्नत को पाने जहाँ होगी पूरी हमारे हर एक सपनें। ©Anjana Sarkar #धीरे-धीरे
#धीरे-धीरे
read moreParasram Arora
उम्र गुजर रही है धीरे धीरे जैसे उधारी चुक रही हो धीरे धीरे नहीं थकी है कुदारी अभी तक पर थक चुके हाथ पाँव धीरे धीरे गरीबी आड़े आती रही धीरे धीरे कुंवारी बिटिया ब्याही धीरे धीरे अब तो तप चुकी है भट्टी भी अब तो पुराना सोना भी चमकेगा धीरे धीरे फूल कही कर न दे शिकायत काँटों से डरती हुई तितली घुस आयी बाग मे धीरे धीरे उठ रहा था ज़ो दर्द दिल मे कई दिनों से बह जाएगा वो आंसुओं क़े साथ धीरे धीरे ©Parasram Arora धीरे धीरे.......
धीरे धीरे.......
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