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Sarita Singh

#yqdidi वो डरावनी रात ************** उस रात बिजली नहीं थी, और अंधेरा घना छाया था, गरजते बादलों ने फिल्मी माहौल बनाया था,

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वो डरावनी रात
**************

उस रात बिजली नहीं थी,
और अंधेरा घना छाया था,

गरजते बादलों ने
फिल्मी माहौल बनाया था,
 #yqdidi वो डरावनी रात
**************

उस रात बिजली नहीं थी,
और अंधेरा घना छाया था,

गरजते बादलों ने
फिल्मी माहौल बनाया था,

Vidya Jha

इस मुल्क की खातिर ना जाने कितनों ने सर कटाया है शरहद पर कुछ ऐसे ही कहानी है करगिल युद्ध की जो मुझे अपने लफ़्ज़ों में सुनानी है कब्ज़ा कि #kargilvijaydiwas

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#KargilVijayDiwas इस मुल्क की खातिर ना जाने
कितनों ने सर कटाया है शरहद पर 
कुछ ऐसे ही कहानी है 
करगिल युद्ध की 
जो मुझे अपने लफ़्ज़ों में सुनानी है 
कब्ज़ा किया पाकिस्तान ने हिन्दुस्तान के 
जम्मू कश्मीर के करगिल जिले पर
हज़ारो ने जान गवाया है
वो वक़्त याद करते ही
दहल उठता आज भी हमारा दिल है
करीबन 18 हजार ऊचाईयों पर
पाकिस्तानी सेना को भी 
मात दिया हिन्दुस्तानी सेनानियों ने
फिर फतह का परचम लहराया था
महज 22उम्र में कैप्टन 
विजयंत थापर का शहादत हुआ था
1196 लोग घायल हुए पड़े थे 
भले ही वो हमारे बीच नहीं 
उनकी यादो में ही हम 
करगिल युद्ध दिवस मनाते हैं....!! 

          ©विद्या झा इस मुल्क की खातिर ना जाने
कितनों ने सर कटाया है शरहद पर 
कुछ ऐसे ही कहानी है 
करगिल युद्ध की 
जो मुझे अपने लफ़्ज़ों में सुनानी है 
कब्ज़ा कि

शुभी

------------------------------------------------------ करगिल के दुर्गम रस्तों पे, दुश्मन ने बीज जंग के बोए थे। दहक उठी थी वादी, हम घरों में

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करगिल विजय दिवस पे सभी सैनिकों को नमन

(पूरी कविता अनुशीर्षक में)  ------------------------------------------------------
करगिल के दुर्गम रस्तों पे,
दुश्मन ने बीज जंग के बोए थे।
दहक उठी थी वादी,
हम घरों में

jagruti vagh

**शहीद शिरीष कुमार** ---------------------------- जिस उम्र में शब़ाब भटक जाते हैं गलत राह पर उस उम्र में शहीद ने ली थी चार गोलियां अपने फौल #yqdidi #कोराकाग़ज़ #होलीकेहमजोली #yqaestheticthoughts #होली2021 #collabwithकोराकाग़ज़ #kkhkh2021 #विशेषप्रतियोगिता

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**शहीद शिरीष कुमार**

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जिस उम्र में शब़ाब भटक जाते हैं गलत राह पर
उस उम्र में शहीद ने ली थी चार गोलियां अपने फौलादी सीने पर

ये शहीद है शिरीष कुमार ,जो अपने माँ की शिक्षा से प्रेरित हो,निकल पडे थे आजादी की राह पर
बस इतनी थी ख्वाहिश उनकी, मिले आजादी भारत वासियों को और मिले खुशियाँ भर भर कर

16 साल जैसी कम उम्र में उन्होंने देशभक्ति का जज्बा अपनाया था
"हिन्द छोड़ो" जैसे बडे़ आंदोलन में निकालकर रैली उसका इमामत संभाला था

दिखाकर अपनी भारतमाता की रक्षा का जज्बा गुस्से से लाल अंग्रेजों को कर डाला था
अपनी दिल-नवाज़ी मिट्टी पे अपना जिस्म छोड़ते समय "वन्दे मातरम्" यही एक ही नारा था

मरते वक़्त भी तिरंगा उन्होंने लहराया था
क्योंकि भारतवर्ष उन्हें अपनी जान से प्यारा था
 **शहीद शिरीष कुमार**

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जिस उम्र में शब़ाब भटक जाते हैं गलत राह पर
उस उम्र में शहीद ने ली थी चार गोलियां अपने फौल

Nisheeth pandey

फूलन देवी ..…........... कलियुग के भेड़िये पहले लूटी लाज फिर उसे घुमाया नंगा था... बचाने को कोई कलियुगी कृष्ण नहीं आया था.... देखती रहीं #poem #फूलनदेवी #phoolandevi #BanditQueen #AzaadKalakaar

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फूलन देवी 
..…...........

कलियुग के भेड़िये पहले लूटी लाज  फिर उसे घुमाया नंगा था...
 बचाने को कोई कलियुगी कृष्ण नहीं आया था....
देखती रहीं धूप ,न ही बादलों का बज्र गिरा था ....
जिश्म के लुटेरों ने नंगा खेल खेला था....
दर्शक बने लोग मगर किसी का आत्मा न जागा था ,...
हर उम्मीद सोया, इंसानियत नहीं जगा था....
मर गई आत्मा वही, एक लाश ने कसम खाया था....
बदले की भावना सिर चढ़ कर बोला था.…..
उस दिन फूलन में काली दुर्गा की शक्ति आई थी....
खुद को कर बुलन्द  बंदूक उठाई थी...
ठोक कर गोलियां दरिंदों को छटी का दूध याद दिलाया था....
नारी शक्ति को जागृत कर दिखाया था....
खुद के बदौलत फैसला सुनाया था .....
उस दिन फूलन इतिहास में अपना अध्याय लिखा था ....
उस दिन से फूलन का परचम लहराया था.....
ईज्जत के लुटेरों को औकाद बताने का दौर नया आया था......

©Nisheeth pandey फूलन देवी 
..…...........

कलियुग के भेड़िये पहले लूटी लाज  फिर उसे घुमाया नंगा था...
 बचाने को कोई कलियुगी कृष्ण नहीं आया था....
देखती रहीं

Sahil Bhardwaj

#MeraShehar जिसे अजातशत्रु ने बसाया था जिसे उदयिन ने राजधानी बनाया था वो जो शहर है गंगा किनारे का उस शहर का रहने वाला हूँ हाँ मैं प #Poetry #Life #Love #Hindi #lovequotes #poem #nojotohindi #sahilbhardwaj

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जहां से अशोक ने विशाल भारत बनाया था 
जहां से बौद्ध धर्म देश विदेश में लहराया था 
वो जो शहर है पौराणिक कथाओं का 
उस शहर का रहने वाला हूँ 
हाँ मैं पाटलिपुत्र का रहने वाला हूँ!
(Read it in caption) #MeraShehar

जिसे अजातशत्रु ने बसाया था 
जिसे उदयिन ने राजधानी बनाया था 
वो जो शहर है गंगा किनारे का 
उस शहर का रहने वाला हूँ 
हाँ मैं प

अरुण शुक्ल ‘अर्जुन'

nojoto shushantsinghrajpoot😪😪😪 हे सुशान्त! **************************** नहीं हो रहा है यकीन, मन दु:ख से बहुत भरा होगा। कुछ तो बात रही ह

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नहीं हो रहा है यकीन, मन दु:ख से बहुत भरा होगा।
कुछ तो बात रही होगी वो, जिससे  बहुत डरा होगा।
यूं मृत्यु-वरण कर लेना कोई फिल्मी सीन नहीं होता,
आज मृत्यु से पहले भी वह सौ - सौ बार मरा होगा।
अरुण शुक्ल अर्जुन 
प्रयागराज 
(पूर्णत: मौलिक स्वरचित एवं सर्वाधिकार सुरक्षित)
अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि!
😪😪😪 #nojoto
#shushantsinghrajpoot😪😪😪 


हे सुशान्त!
****************************
नहीं हो रहा है यकीन, मन दु:ख से बहुत भरा होगा।
कुछ तो बात रही ह

Shivank Shyamal

कविता- “स्वर्णिम विजय वर्ष” मैं स्वर्णिम 'विजय वर्ष' तुमको, अपनी आखों से दिखलाऊंगा। धीरे धीरे 'जग-जीत'ने की गाथा, इस कविता से बतलाऊंगा।। इ #India #kavita #IndianArmy #shivanksrivastavashyamal #प्रेरक #1971war #IndoPakWar #bangladeshliberation #vijayvarsh #swarnimvijayvarsh

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कविता- “स्वर्णिम विजय वर्ष”

मैं स्वर्णिम 'विजय वर्ष' तुमको, अपनी आखों से दिखलाऊंगा।
धीरे धीरे 'जग-जीत'ने की गाथा, इस कविता से बतलाऊंगा।।

इकहत्तर की जंग में, भारत की सेना ने ऊँचा नाम किया।
रण में 'दुर्गा', 'सैम बहादुर' की, नीति का जग ने सम्मान किया।।

सरहद, धरती, अम्बर, सागर, चहुं ओर परचम लहराया था।
दो हिस्सों में टूटा पाक, फ़िर घुटनों पर रोते आया था। 

'निर्मल', 'इक्का', 'होशियार' ने, 'अरुण' सा लोहा मनवाया था।
सीने में दुश्मन के 'तलवार', 'त्रिशूल', और 'ट्राइडेंट' घोप दिखलाया था।

'कुल दीप' के नेक इरादे, ना पाक मनसूबों पर भारी थे।
भारत के 'विक्रांत' सैनिक, ख़ुद में ही चिंगारी थे।।

मिट्टी में जीता, 'लोंगेवाला' और 'बसंतर', असमान में 'कैक्टस लिली' खिलाया है।
ना ये अंतिम बार हुआ था, ना ये पहली बार हुआ है,
भारत ने दुश्मन को, नाकों चने चबवाया है।।

वैसे तो सत्य, अहिंसा, सत्यशील के, सरगम के अनुयाई है।
पर भारत से न भिड़ने में ही, दुश्मन की भलाई है।।

©Shivank Shyamal कविता- “स्वर्णिम विजय वर्ष”

मैं स्वर्णिम 'विजय वर्ष' तुमको,
अपनी आखों से दिखलाऊंगा।
धीरे धीरे 'जग-जीत'ने की गाथा,
इस कविता से बतलाऊंगा।।

इ

Nadbrahm

मकरसंक्रांति का संकल्प खत्म हुआ खरमास, सभी अब आलस छोरो चावल तिल गुड़ खा कर, अब संकल्पित हो लो संकल्पों से सृजित, जगत में जीने वालों #कविता #makarsankranti #संकल्पितजीवन #MakarSankranti2021

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Nadbrahm

मकरसंक्रांति का संकल्प खत्म हुआ खरमास, सभी अब आलस छोरो चावल तिल गुड़ खा कर, अब संकल्पित हो लो संकल्पों से सृजित, जगत में जीने वालों #dawn #makarsankranti #संकल्पितजीवन

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मकरसंक्रांति का संकल्प 

खत्म हुआ खरमास, सभी अब आलस छोरो 
चावल तिल गुड़ खा कर, अब संकल्पित हो लो 
संकल्पों से सृजित, जगत में जीने वालों
संकल्पों की महिमा, को तुम यू न टालो 
सकल विष्व  प्रकटा ही तब था, श्री हरि ने जब संकल्प लिया
सृजित हुआ सब जड़ चेतन, यह वसुधा तभी प्रतिष्ठ हुआ 
उस से पहले न थी वायु, उस से पहले न नदिया थी 
न नीला अम्बर फैला था, न फूल न कोई कलियां थी 
था शून्य और था कुछ भी नही, अव्यक्त सृष्टि तब व्यक्त न था
एक मात्र संकल्प से ही, सब व्यक्त हुआ सुसज्ज हुआ 
इस संकल्प के बल पर, हनुमान समुंदर पार किये 
बधाए सुसरा बन उभरी, प्रभु ने उसके उद्धार किये 
धरा को मैं भैय मुक्त करूं, संकल्प राम ने ठाना था 
बिन साधन भी फिर हुए सफल, फिर सत्य ये सब ने जाना थ
पांडव ने जब संकल्प लिया, कुरुक्षेत्र जीत कर लाया था
सत्य को फिर स्थापित कर, धर्म का ध्वज लहराया था 
यवनों का अत्याचार देख, चाणक्य ने भी प्रण पाला था
भारत को पुनः सुरक्षित करने का, अपना दायित्व संभाला था 
है प्रण की शक्ति बड़ी प्रखर, जो जन इस व्रत को पालेगा 
कुछ भी न असंभव जग में है, यदि संकल्प में जीवन ढालेगा
आ आज तुझे भी दीक्षित कर दूं, उस श्रेष्ठ मनुज गुण जीवन मे 
तिल चावल और गुड़ खा कर, संकल्प का अमृत पिने में 
तिल है संकल्प का बीज मात्र, इस को यदि तुम स्वीकार करो 
तो जीवन भर आदर्श चरित का, अपने मे भीतर  आधार धरो 
यह चावल तुम्हे बताती है, की धर्म तत्व अक्षुण्ण रहे 
न कभी क्षति हो मनुज धर्म, अक्षत की तरह ये पूर्ण रहे 
यह गुड़ रस स्वाद है जीवन का, यदि गुणी और उत्कृष्ट हो तुम 
आदर्श जो जीवन जी पाओ, तो सब तत्वों में  अभीष्ट हो तुम

 #makarsankranti  #संकल्पितजीवन

©BK Mishra मकरसंक्रांति का संकल्प 

खत्म हुआ खरमास,
 सभी अब आलस छोरो 
चावल तिल गुड़ खा कर,
 अब संकल्पित हो लो 
संकल्पों से सृजित, 
जगत में जीने वालों
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