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Vikas Sharma Shivaaya'
हनुमान जी मंत्र:- अतुलित बलधामं,हेमशैलाभदेहमं. दनुजवनकृशानुं, ज्ञानिनामग्रगण्यम्. सकलगुण निधानं, वानराणामधीशम्. रघुपतिप्रिय भक्तं वातजातम् नमामि.. अतुलितबलधामं- अतुलित (अतुल्य बल के धाम/स्वामी) अतुलित-अमित, असीम जिसका कोई थाह ना ले सके, जिसे तौला/मापा ना जा सके, जो बहुत अधिक हो, तूल और अंदाज़ से बाहु, (मजाज़न) बेमिसाल । बल-शक्ति पराक्रम; ताकत; सामर्थ्य; आदि। धाम- स्वामी, रहने का घर, मस्कन, मकान आदि। हेमशैलाभदेहं-स्वर्ण के पर्वत के समान कांतिमय और प्रकाशित तन को धारण करने वाले, सुमेरु पर्वत के समान। दनुजवनकृशानुं- दैत्य रूपी वन/जंगल को समाप्त करने के लिए अग्नि रूप में। कृशानु -अग्नि, आग। ज्ञानिनामग्रगण्यम्-ज्ञानीजनों में अग्रणी रहने वाले। सकलगुणनिधानं-सपूर्ण गुणों को धारण करने वाले, निधान -स्वामी, ख़ज़ाना, वो शख़्स जिस में कोई ख़ासीयत हो, जहाँ पर मूल्य वस्तुओं को रखा जाता है। वानराणामधीशं- वानरों के प्रमुख। धीश-स्वामी, राजा, नेता। रघुपतिप्रियभक्तं - रघुपति, श्री राम के प्रिय। वातजातं नमामि-वायु पुत्र को नमन। प्रेम निकेतन श्रीबनहि आई गोबर्धन धाम ! लहयो सरन चित चाहि के जुगल रस ललाम !! रसखान श्री कृष्ण के लीला धाम वृन्दावन आ गए और अपने ह्रदय एवं मानस में राधाकृष्ण को बसाकर उनके प्रेम आनंद में डूब गए ! 🙏 बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' हनुमान जी मंत्र:- अतुलित बलधामं,हेमशैलाभदेहमं. दनुजवनकृशानुं, ज्ञानिनामग्रगण्यम्. सकलगुण निधानं, वानराणामधीशम्. रघुपतिप्रिय भक्तं वातजातम्
हनुमान जी मंत्र:- अतुलित बलधामं,हेमशैलाभदेहमं. दनुजवनकृशानुं, ज्ञानिनामग्रगण्यम्. सकलगुण निधानं, वानराणामधीशम्. रघुपतिप्रिय भक्तं वातजातम् #समाज
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हनुमान जी मंत्र:- अतुलित बलधामं,हेमशैलाभदेहमं. दनुजवनकृशानुं, ज्ञानिनामग्रगण्यम्. सकलगुण निधानं, वानराणामधीशम्. रघुपतिप्रिय भक्तं वातजातम् नमामि.. अतुलितबलधामं- अतुलित (अतुल्य बल के धाम/स्वामी) अतुलित-अमित, असीम जिसका कोई थाह ना ले सके, जिसे तौला/मापा ना जा सके, जो बहुत अधिक हो, तूल और अंदाज़ से बाहु, (मजाज़न) बेमिसाल । बल-शक्ति पराक्रम; ताकत; सामर्थ्य; आदि। धाम- स्वामी, रहने का घर, मस्कन, मकान आदि। हेमशैलाभदेहं-स्वर्ण के पर्वत के समान कांतिमय और प्रकाशित तन को धारण करने वाले, सुमेरु पर्वत के समान। दनुजवनकृशानुं- दैत्य रूपी वन/जंगल को समाप्त करने के लिए अग्नि रूप में। कृशानु -अग्नि, आग। ज्ञानिनामग्रगण्यम्-ज्ञानीजनों में अग्रणी रहने वाले। सकलगुणनिधानं-सपूर्ण गुणों को धारण करने वाले, निधान -स्वामी, ख़ज़ाना, वो शख़्स जिस में कोई ख़ासीयत हो, जहाँ पर मूल्य वस्तुओं को रखा जाता है। वानराणामधीशं- वानरों के प्रमुख। धीश-स्वामी, राजा, नेता। रघुपतिप्रियभक्तं - रघुपति, श्री राम के प्रिय। वातजातं नमामि-वायु पुत्र को नमन। प्रेम निकेतन श्रीबनहि आई गोबर्धन धाम ! लहयो सरन चित चाहि के जुगल रस ललाम !! रसखान श्री कृष्ण के लीला धाम वृन्दावन आ गए और अपने ह्रदय एवं मानस में राधाकृष्ण को बसाकर उनके प्रेम आनंद में डूब गए ! 🙏 बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' हनुमान जी मंत्र:- अतुलित बलधामं,हेमशैलाभदेहमं. दनुजवनकृशानुं, ज्ञानिनामग्रगण्यम्. सकलगुण निधानं, वानराणामधीशम्. रघुपतिप्रिय भक्तं वातजातम्
हनुमान जी मंत्र:- अतुलित बलधामं,हेमशैलाभदेहमं. दनुजवनकृशानुं, ज्ञानिनामग्रगण्यम्. सकलगुण निधानं, वानराणामधीशम्. रघुपतिप्रिय भक्तं वातजातम् #समाज
read moreKavi HemRaj Thakur
बहुत दिन के बाद वो रुहानी आईं है। हमें भी याद महोबत की हो कहानी आईं है।। 🌹🌹🏵️🌻🏵️🌹🌹 कवि " हेम राज " 8626884044 कवि " हेम राज " द्वारा रचित रचना।
कवि " हेम राज " द्वारा रचित रचना। #शायरी
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मेरी रातों की नीदों में एक सपना आता था। सुना - सुना लगता था फिर एक अपना आता था। मुझे ये जो बात समझ नहीं आती है,अभी तक, वो अपनों में सपना आता था या सपनों में अपना आता था। कवि, शायर " हेम राज " के द्वारा रचित रचना।
कवि, शायर " हेम राज " के द्वारा रचित रचना। #शायरी
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🇮🇳तिरंगा फहराएगा झुकेगा नहीं कभी🇮🇳 आंख उठाने वाला झुकेगा अभी अभी तिरंगे के रक्षक जागते हैं दिन रात लेकिन हम याद उन्हें करते हैं कभी कभी 🌹🌹🌸💮🌸🌹🌹 कवि " हेम राज " [ 8626884044 ] ✍️✍️✍️ युवा कवि एवं गीतकार " हेम राज " द्वारा रचित कविता।
युवा कवि एवं गीतकार " हेम राज " द्वारा रचित कविता।
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वीरों का जवानों का देश मेरा शहीदों की शहादत का देश मेरा उन अमर जवानों उन बलिदानों का उन संघर्षों में भी बलिदानों का देश मेरा 🌹🌹🌸💮🌸🌹🌹 कवि " हेम राज " [ 8626884044 ] ✍️✍️✍️ युवा कवि एवं गीतकार " हेम राज " द्वारा रचित कविता।
युवा कवि एवं गीतकार " हेम राज " द्वारा रचित कविता।
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फिसल गया दाना मुंह से,सोच इस बात को हताश होना क्यों! चींटी की तरह कोशिश जारी रखो, छोड़ कोशिश भी निराश होना क्यों! सामने पर्वत है तो क्या हुआ, फिसल फिसल के चढ़ जाओ,मन का भी विश्वास खोना क्यों! ( सर्वाधिकार सुरक्षित ) 🌹🌹🌸💮🌸🌹🌹 कवि " हेम राज " [ 8626884044 ] ✍️✍️✍️ युवा कवि एवं गीतकार " हेम राज " द्वारा रचित कविता।
युवा कवि एवं गीतकार " हेम राज " द्वारा रचित कविता।
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