Find the Latest Status about हज़रत अली from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, हज़रत अली.
MohammedYunus Sahib
मुर्शीद अली कफील अली पेशवा अली (अ.स) मकसद अली मुराद अली मुद्दूआ अली (अ.स) मीर तकी मीर ©Saheb Ahmedabadi हज़रत अली अ.स #creativeminds
हज़रत अली अ.स #creativeminds
read moreTafseer Ansari
कोई तुम्हारा दिल दूखाए तो नाराज़ मत होना क्यों कि अक्सर लोग पत्थर भी उसी को मारते हैं जिस दरख्त मे फल मीठे हों हज़रत अली (रज़िo) के कौल
हज़रत अली (रज़िo) के कौल #विचार
read moreVaseem Akhthar
मसाइल में तू ही तो मुश्किल-कुशा है मेरे हर ज़ख़्म की तो तू ही दवा है मा'क़ूल नही मैं तेरी बरकतों का ये है तेरी ममता जो 70-गुना है मुश्किल-कुशा= मुश्किल दूर करने वाला (यहां हज़रत अली (र.आ) का लक़ब मुराद नही है) मा'क़ूल= मुनासिब Urdu_Word_Collab_Challenge_ Collab करें मेर
मुश्किल-कुशा= मुश्किल दूर करने वाला (यहां हज़रत अली (र.आ) का लक़ब मुराद नही है) मा'क़ूल= मुनासिब Urdu_Word_Collab_Challenge_ Collab करें मेर #Problems #YourQuoteAndMine #समस्या #aamirshaikh #मसाइल #vaseemakhthar
read moreVaseem Akhthar
मसाइल में तू ही तो मुश्किल-कुशा है मेरे हर ज़ख़्म की तो तू ही दवा है मा'क़ूल नही मैं तेरी बरकतों का ये है तेरी ममता जो 70-गुना है मुश्किल-कुशा= मुश्किल दूर करने वाला (यहां हज़रत अली (र.आ) का लक़ब मुराद नही है) मा'क़ूल= मुनासिब Urdu_Word_Collab_Challenge_ Collab करें मेर
मुश्किल-कुशा= मुश्किल दूर करने वाला (यहां हज़रत अली (र.आ) का लक़ब मुराद नही है) मा'क़ूल= मुनासिब Urdu_Word_Collab_Challenge_ Collab करें मेर #Problems #YourQuoteAndMine #समस्या #aamirshaikh #मसाइल #vaseemakhthar
read moreVaseem Akhthar
ज़हरा के चमन में जो फूल खिले थे। करबला की ख़ाक में आज बिखरे पड़े थे।। कैसा समाँ, कैसा ज़ुल्म-ओ-सितम होगा। सिसकियाँ लेते बच्चों में जब तीर गढ़े थे।। सर पे सजाए सेहरा, चेहरे पे लिए मुस्कान। शहादत के लिए क़ासिम, दूल्हे से सजे थे।। करते थे प्यार से हुसैन नाना की सवारी। उनसे गले लगने को आज तैयार खड़े थे।। पहने नाना की पगड़ी, बाबा की थामे ज़ुलफ़िक़ार। शहादत को हुसैन मर्तबा दिलवाने चले थे।। जिन की अदब में सर-ए-ख़म उठने से था क़ासिर। उनके ही सर-ए-अक़दस आज नेज़ों पे चढ़े थे।। क्यूं ना बहाऊं आँसू, क्यूं ना मनाऊं सोग अख़्तर। तुझ को पहुंचाने दीन-ए-हक़, अहल-ए-बैत कटे थे।। زہرا کے چمن میں جو پھول کھلے تھے کربلا کی خاک میں آج بکھرے پڑے تھے کیسا سماں، کیسا ظلم و ستم ہوگا سسکیاں لیتے
زہرا کے چمن میں جو پھول کھلے تھے کربلا کی خاک میں آج بکھرے پڑے تھے کیسا سماں، کیسا ظلم و ستم ہوگا سسکیاں لیتے
read moreVaseem Akhthar
ज़हरा के चमन में जो फूल खिले थे। करबला की ख़ाक में आज बिखरे पड़े थे।। कैसा समाँ, कैसा ज़ुल्म-ओ-सितम होगा। सिसकियाँ लेते बच्चों में जब तीर गढ़े थे।। सर पे सजाए सेहरा, चेहरे पे लिए मुस्कान। शहादत के लिए क़ासिम, दूल्हे से सजे थे।। करते थे प्यार से हुसैन नाना की सवारी। उनसे गले लगने को आज तैयार खड़े थे।। पहने नाना की पगड़ी, बाबा की थामे ज़ुलफ़िक़ार। शहादत को हुसैन मर्तबा दिलवाने चले थे।। जिन की अदब में सर-ए-ख़म उठने से था क़ासिर। उनके ही सर-ए-अक़दस आज नेज़ों पे चढ़े थे।। क्यूं ना बहाऊं आँसू, क्यूं ना मनाऊं सोग अख़्तर। तुझ को पहुंचाने दीन-ए-हक़, अहल-ए-बैत कटे थे।। زہرا کے چمن میں جو پھول کھلے تھے کربلا کی خاک میں آج بکھرے پڑے تھے کیسا سماں، کیسا ظلم و ستم ہوگا سسکیاں لیتے
زہرا کے چمن میں جو پھول کھلے تھے کربلا کی خاک میں آج بکھرے پڑے تھے کیسا سماں، کیسا ظلم و ستم ہوگا سسکیاں لیتے
read moreAkthari Begum
🙌🙌 زہرا کے چمن میں جو پھول کھلے تھے کربلا کی خاک میں آج بکھرے پڑے تھے کیسا سماں، کیسا ظلم و ستم ہوگا سسکیاں لیتے
زہرا کے چمن میں جو پھول کھلے تھے کربلا کی خاک میں آج بکھرے پڑے تھے کیسا سماں، کیسا ظلم و ستم ہوگا سسکیاں لیتے #YourQuoteAndMine
read moremohammad ishaque qadri
*मनकबत* *हज़रत मौला अली की शान में* *मोहब्बतो को बढ़ाओ अली अली कह कर* *हसद दिलों से मिटाओ अली अली कह कर* *दिलों का ज़नग छुड़ाओ अली अली कह कर* *दीवानों बज़्म सजाओ अली अली कह कर* *जो उन का होता है रब उन का होही जाता है* *अरे खुदा को मनाओ अली अली कह कर* *दिले हजिं को मिले कुछ सुकून हासिल के* *हवाउं नगमा सुनाओ अली अली कह कर* *अली के नाम का सदका तो बट्ता है हर सू* *मुरादें पाओ गदाओ अली अली कह कर* *अली का नाम बलाओ को टालता है जब* *तो उन को दूर भगाओ अली अली कह कर* *अली की याद में आंसू बहा के यारो तुम* *नसीब बिगड़ा बनाओ अली अली कह कर* *अली का जो नहीं वह फिर नबी का किया होगा* *यह बात सब को बताओ अली अली कह कर* *शराबे इश्क़ आे मोहब्बत आए पीरे मयखाना* *नज़र से अपनी पिलाओ अली अली कह कर* *अगर इरादा है कुरबे इलाही पाने का* *तो अश्क खूब बहाओ अली अली कह कर* *नबी का खास करम हाेही जायेगा इस्हाक* *मदीने पाक को जाओ अली अली कह कर* *मोहम्मद इस्हाक रिज़्वी* हज़रत मौला अली मुश्किल कुशा
हज़रत मौला अली मुश्किल कुशा
read more