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alka mishra

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Sarita Kumari Ravidas

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Badal Meghwal

कविता कोश

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Mannu Mandal

कविता कोश

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कवि प्रभात

कविता कोश

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मेरे सँग आप रहो शिवजी, भले जग सँग ये न दे 
आप के दम से ये सेवक,, जुझेगा हर खतरे से
भले जग करता है वैसा  तेरी भक्ति नहीं भाती 2
तब भी साथ तुम मेरा, नही तजना शिव शंभू हे!

©कवि प्रभात  कविता कोश

मनु

कविता कोश

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madhur shuhana lawavdidht man
hai kan kan mai jivan 
bhor ki lali usm susm hai piyali se 
anth rkhna hai Khali si ye takdir hai nirali si

©मनु   कविता कोश

कवि प्रभात

कविता कोश

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पितर देवों स्वागत, करें पूजन स्वीकार |
अरु मुझे आशीर्वाद दें , विनती बारम्बार ||

©कवि प्रभात  कविता कोश

Aakansha shukla

कविता कोश

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पल भर के लिए कल्पना कीजिए,
फोन, दूरदर्शन, अन्य सभी,
बिजली चलित उपकरणों,
को खुद से दूर कर दीजिए।

कितना भयावह दृश्य वो होगा,
कितना शांत वातावरण होगा।
उस शांति में भी एक भय होगा,
मन में बस एक सवाल होगा।

कैसे अब दिन में गुजारा होगा,
कैसे अब किसी से बात होगा।
कैसे गर्मियों में पानी ठंडा होगा,
कैसे ठंड में हीटर चालू होगा।

इन सवालों के बाद हमारे,
पास बस एक रास्ता होगा।
संस्कृति से अपनी जुड़ने का,
सिर्फ एक ही वास्ता होगा।

फोन के बगैर किताबों, 
पर हम सब ध्यान देंगे।
फ्रिज के बगैर गगरे,
का ठंडा पानी पियेंगे।

त्योहार मनाने के लिए,
सभी से मिलने जायेंगे।
खेल-कूद कर अपनी,
स्फूर्ति और उम्र बढ़ाएंगे।

एक बार फिर दादी-नानी,
अपनी कहानियां सुनाएंगी।
पुरानी परंपराओं से हम,
अपने रिश्ते सुलझाएंगे।

बिन यंत्रों के अपने जीवन,
को हम खुशाहाल बनायेंगे।
बिन यंत्रों के भी जीवन में,
सुख-शांति हम पाएंगे।

©Aakansha shukla  कविता कोश

Sarvesh Kumar

कविता कोश

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कवि प्रभात

कविता कोश

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छल का महिषासुर सदा, करता अत्याचार |
विनती है माँ शूल से, शीघ्र उसे दो मार ||

©कवि प्रभात  कविता कोश
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