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Sneh Prem Chand
काश कोई योग गुरु ऐसा भी होता जो हमें ऐसा अनुलोम विलोम करना सिखा देता, जिसमें अंदर सांस लेते हुए संग प्रेम,सौहार्द,अपनत्व और स्नेह ले जाएं, और बाहर सांस छोड़ते हुए अपने भीतर के ईर्ष्या,द्वेष, अहंकार,क्रोध,लोभ,काम सब छोड़ देवें।। दिल की कलम से ©Sneh Prem Chand अनुलोम विलोम #Hope
अनुलोम विलोम #Hope
read moreparineeta
मैं जितना ही खुद को मज़बूत बनाती हूँ जितना ही खुद को बिखरने से बचाती हूँ जितना ही खुद की खुशी के उपाय निकालती हूँ जितना ही अतीत को भूलकर आगे बढ़ती हूँ उतना ही रास्तों को भी मैंने कठिन होते देखा है..... जितना ही दोनों पाँव की नज़दीकियां बढ़ा के पुनः चलने का प्रयास करती हूँ ये मार्ग उतना ही संकीर्ण हो जाती है....... #संकीर्ण #मार्ग पर #स्वयं ......
Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी तांडव हिंसा का मचा तरीके मिटाने के अजमाने लगे करुणा दया के भावों से पीछा छुड़ाने लगे बैर भाव की खाई से एटमबम बनाने लगे परिग्रह की भूख बढ़ाकर विश्व शांती पर खतरे बढ़ाने लगे जियो और जीने दो को विश्व पटल से हटाने लगे भगवान महावीर को संकीर्ण कर उनके दर्शन को भुलाने लगे प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #God भगवान महावीर के दर्शन को संकीर्ण बनाने लगे #nojotohindi
#God भगवान महावीर के दर्शन को संकीर्ण बनाने लगे #nojotohindi #कविता
read moreKrish Vj
भगवान ने हमें सबसे अनमोल चीज मानव जीवन दिया जो बहुत दुर्लभ है पर हम इस मानव जीवन को व्यर्थ ही गवा रहे हैं। हम समाज में रहते हैं, समाज एक विशाल रुप है पर उसका दायरा बहुत छोटा हो गया है । हमारी सोच जो हमे महान भी बना देती है और अपमान और घृणा का पात्र भी। संकीर्ण सोच का ही परिणाम है कि आज भारत देश अनेक जातियों संप्रदाय धर्मों में बट गया, और इन्हीं को आधार बनाकर हम एक दूसरे से लड़ते रहते हैं । यह सिर्फ सोच का ही तो परिणाम है, अगर हम सब सोच ले कि हम सब भारतवासी हैं। विचारों में मतभेद नहीं रहे, तो हम आसानी से अपना जीवन व्यतीत कर सकते हैं। मैं यह नहीं कह रहा कि हम सभी की सोच संकीर्ण हैं या गलत है पर कुछ हमारे भाई बंधुओं कि सोच बहुत संकीर्ण है और उन्हीं की वजह से हमारे देश के भीतर हमारे समाज में उन्मुक्त वातावरण नहीं रहा हम एक दूसरे से लड़ते रहते हैं। हम सभी भारतीयों को आत्ममंथन करने की बहुत जरूरत है ताकि हमारा देश खुशहाल रहे। छोटी छोटी चीजों पर हम लड़ाई झगड़ा नहीं करें ।सभी धर्मों संप्रदायों का आदर करें। एक दूसरे की भावनाओं को समझें ।परस्पर मिलकर सौहार्द पूर्ण अपना जीवन बसर करें। * मेरी द्वारा कहे गए किसी भी शब्दों से किसी की भावनाओं को ठेस पहुंची हो तो मैं क्षमा प्रार्थी हूं। #जश्न_ए_इश्क़ #कोराकाग़ज़ #अल्फाज_ए_कृष्णा #समाज #सोच #yqdidi #collabwithकोराकाग़ज़
Alok Vishwakarma "आर्ष"
विलोम लोम रात दिन, एक लगे तेरे बिन । असत्य सत्य वाक् मौन, मेरे लिये हुए गौण ।। अमत मत विराग राग, हृदय से रिसता पराग । अन्ध दीप्त तम अलोक, क्षण वियोग अश्रु शोक ।। "विलोम-लोम मिश्रण" एक कविता लोम व विलोम के पहलुओं को दर्शाती हुई। विलोम लोम रात दिन, एक लगे तेरे बिन । असत्य सत्य वाक् मौन, मेरे लिये हुए ग
"विलोम-लोम मिश्रण" एक कविता लोम व विलोम के पहलुओं को दर्शाती हुई। विलोम लोम रात दिन, एक लगे तेरे बिन । असत्य सत्य वाक् मौन, मेरे लिये हुए ग #Hindi #lovequotes #poetrylovers #yqdidi #yinyang #alokstates #oneness_of_souls #livinginyou
read moreREETA LAKRA
वो किसी का दुश्मन नहीं हो सकता। तुम जिसके यार हो न वो किसी का याराना भुला नहीं सकता। तुम जिसके मित्र हो न वो किसी का शत्रु नहीं हो सकता। तुम जिसके साथी हो न वो किसी का साथ नहीं छोड़ सकता। तुम जिसके दिलदार हो न वो तुमसे दिलदारी नहीं छोड़ सकता। ३२४/३६६ तुम जिसके दोस्त हो ना... #जिसकेदोस्तहो #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi विलोम yreeta-lakra-9mba
तुम जिसके दोस्त हो ना... #जिसकेदोस्तहो #Collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi विलोम yreeta-lakra-9mba
read moreDR. SANJU TRIPATHI
अनपढ़ चाहे कितना भी समझदार क्यों ना हो जाए, उसके लिए तो काला अक्षर भैंस बराबर ही रहता है। ईश्वर ने भी जाने कैसी मुसीबत सबके सर पर डाली है, बचे तो बचे कैसे कोई भी आगे कुआं तो पीछे खाई है। औरतें चाहे घर बाहर के सब काम सामंजस्य से कर लें, रहेंगी जीवन भर घर की मुर्गी दाल बराबर के जैसी ही। न रह गया अब रिश्तों में विश्वास कोई भी मान सम्मान, सभी एक दूजे से थोथा चना बाजे घना बनकर रहते हैं। करते हैं सभी न्याय की बड़ी बातें बताते हैं खुद को सही, डरते हैं सभी दूध का दूध और पानी का पानी कौन करें। प्रयुक्त विलोम शब्द काला अक्षर भैंस बराबर आगे कुआं पीछे खाई थोथा चना बाजे घना घर की मुर्गी दाल बराबर दूध का दूध पानी का पानी #काव्यसंग्
प्रयुक्त विलोम शब्द काला अक्षर भैंस बराबर आगे कुआं पीछे खाई थोथा चना बाजे घना घर की मुर्गी दाल बराबर दूध का दूध पानी का पानी काव्यसंग् #yqbaba #yqdidi #काव्यसंग्रह #kavyasangrahmanch #merivyakaranyatra #meriyatraeksoch #dusrapadav
read moreS.P.Singh
ख़ामोशी चोट पहुंचाती हैं, सहज सहज कर सबको रुलाती हैं, अंदर ही अंदर घाव कर समय न बांटने का नजारा दिखा, कुछ ना कहने का नतीजा सिखाती हैं, ये ही हैं जो चुप चाप से आती हैं, गहरे दर्द देकर, रुलाकर खामोशी से चली जाती हैं, रंग बदलने और ढंग बदलने भी चुपचाप से ही आती हैं, आंखों में अश्क लाकर मधुर गीत ये खुद गाती हैं, और जब धीरे से ये सताने आती हैं, क्षण भर में वो गहरी नींद भी भाग जाती हैं, ख़ामोशी संकीर्ण रास्ते से आती हैं। ©S.P.Singh #silence ख़ामोशी की डगर पर चल,जिंदगी कहां कुछ रह जाती हैं, ख़ामोशी संकीर्ण रास्ते से आती हैं।