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~Deaर~गुरूजी
मारग प्रेम को को समझै 'हरिचंद' यथारथ होत यथा है। लाभ कछू न पुकारन में बदनाम ही होने की सारी कथा है। जानत है जिय मेरो भला बिधि और उपाय सबै बिरथा है। बावरे हैं ब्रज के सगरे मोहिं नाहक पूछत कौन विधा है (11th हिंदी का पसंदीदा पाठ्यक्रम) मारग प्रेम को को समझै 'हरिचंद' यथारथ होत यथा है। लाभ कछू न पुकारन में बदनाम ही होने की सारी कथा है। जानत है जिय मेरो भला बिधि और उपाय सबै बि
मारग प्रेम को को समझै 'हरिचंद' यथारथ होत यथा है। लाभ कछू न पुकारन में बदनाम ही होने की सारी कथा है। जानत है जिय मेरो भला बिधि और उपाय सबै बि #Love
read more~Deaर~गुरूजी
मारग प्रेम को को समझै 'हरिचंद' यथारथ होत यथा है। लाभ कछू न पुकारन में बदनाम ही होने की सारी कथा है। जानत है जिय मेरो भला बिधि और उपाय सबै बिरथा है। बावरे हैं ब्रज के सगरे मोहिं नाहक पूछत कौन विधा है (11th हिंदी का पसंदीदा पाठ्यक्रम) मारग प्रेम को को समझै 'हरिचंद' यथारथ होत यथा है। लाभ कछू न पुकारन में बदनाम ही होने की सारी कथा है। जानत है जिय मेरो भला बिधि और उपाय सबै बि
मारग प्रेम को को समझै 'हरिचंद' यथारथ होत यथा है। लाभ कछू न पुकारन में बदनाम ही होने की सारी कथा है। जानत है जिय मेरो भला बिधि और उपाय सबै बि #Love
read morekishan mahant
मन की दशा बिहाय, गुरु मारग निरखत चले । हंस लोक कहं जाय, सुख सागर सुख सों लहै ।। मन की दशा तो चलायमान एवं मर्यादाहीन है, अतः उसके अनुसार मत चलो । गुरु के ज्ञान -मार्ग पर देखते हुए सचेत होकर चलो । इस प्रकार हंस -जीव सुख के सागर सत्यलोक को जाता है और परम सुख प्राप्त करता है । ©kishan mahant #गुरु मारग 🙏♥️
CalmKrishna
........... ©CalmKrishna इसलिए साहब ने कहा - प्रेम-प्रेम सब कोइ कहैं, प्रेम न चीन्है कोय। जा मारग साहिब मिलै, प्रेम कहावै सोय॥ #प्रेम #मांग #प्यार #देना #मांगना #l
Sandeep L Guru
`धनआनँद `प्यारे सुजान सुनौ यहँ एक तैं दूसरौ आँक नहीं। तुम कौन धौं पाटी हौ मन लेहु पै देहु छटाँक नहीं।। अति सूधो सनेह को मारग है जहाँ नेकु सयानप बाँक नहीं।
अति सूधो सनेह को मारग है जहाँ नेकु सयानप बाँक नहीं। #कविता
read moreSandeep L Guru
अति सूधो सनेह को मारग है जहाँ नेकु सयानप बाँक नहीं। तहाँ साँचे चलैं तजि आपनपौ क्षुक्षुकैं कपटी जे निसाँक नहीं।। अति सूधो सनेह को मारग है जहाँ नेकु सयानप बाँक नहीं।
अति सूधो सनेह को मारग है जहाँ नेकु सयानप बाँक नहीं। #कविता
read morevikas palara
उसकी यादों में खोया रहता हूँ इस कदर की, लिख नहीं पता हूँ, जब भी लिखना चाहूँ अपनी कोई रचना, डायरी के पन्ने पर पेन की स्याही से बना तुम्हारा चेहरा पाता हूँ। ''विकास पलाड़ा'' #NojotoQuote प्रेम को समर्पित।
प्रेम को समर्पित।
read moreवंदना ....
प्रेम लिखने बैठूंगी ....…...........................!!!!!!! तो सोचों पहले क्या ...लिखूंगी ....... राम रहीम साथ ..लिखूंगी............. या अल्लाह को ईश्वर लिखूंगी .…...........!!!!!!! क्या फर्क पड़ता है...........…............ मैं प्रेम को प्रीत .…लिखूंगी .…................!!!!!!!! ©वंदना .... #प्रेम को#पंकज
Avani poetry
नदी को प्रेम कितना हो चाहे पर किनारा संग नही बहता, सब कहते हैं हम साथ तुम्हारे पर असल में साथ नहीं रहता। ©Avani poetry नदी को प्रेम...
नदी को प्रेम... #शायरी
read morePraveen Singh
प्रेम लिखूं सब यादों में चाहे प्रेम में डूबों के एक रात लिखूं प्रेम लिखूं चंचल लहरों में चाहे प्रेम में डूबों के उपमान लिखूं प्रेम लिखूं खनकती चूड़ी में चाहे प्रेम में डूबों के हमारा नाम लिखूं प्रेम लिखूं अपने किस्से में चाहे प्रेम में डूबों के अपनी बात लिखूं प्रेम लिखूं किसी दैनंदिनी में चाहे प्रेम में तुझे कुछ शब्द लिखूं प्रेम लिखूं तुझसे तड़पती दूरी में चाहे तुम्हारे प्रेम में डूबों के अभिसार लिखूं प्रेम लिखूं तेरी सरल स्वभाव में चाहे प्रेम में डूबों के होंठों का रसाल लिखूं प्रेम लिखूं तेरी खुशबू में चाहे प्रेम में किसी पुष्प जैसे तुझे मृणाल लिखूं प्रेम लिखूं मैं चहुं ओर पत्र में चाहे प्रेम में डूबों के एक पत्र लिखूं प्रेम लिखूं अपने प्रेम में चाहे प्रेम में एक कोना प्रेम लिखूं प्रेम लिखूं तेरे प्रेम में चाहे प्रेम में सर्वत्र जो है उसे प्रेम लिखूं प्रेम लिखूं अपनी कहानी में चाहे प्रेम में डूबों के स्वर्णाक्षर पहचान लिखूं प्रेम लिखूं मोह के बंधन में चाहे प्रेम में डूबों के प्राप्त निर्वाण लिखूं ©Praveen Singh प्रेम लिखूं मैं प्रेम को #प्रेम #Prem #Hindi #hindi_poetry #ColdMoon
प्रेम लिखूं मैं प्रेम को #प्रेम #Prem #Hindi #hindi_poetry #ColdMoon
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