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Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी नीतियां सैकड़ो बदलती रही देश की सूरत अब तक नही बदली है झूठे भाषणों और विज्ञापनो से जनता को आश्वासनों की ख़ुराक़ मिली है व्यवस्थायो के थप्पड़ कब तक सहने होंगे बदलाव के लिये सियासतों को कब तक अजमाते रहने होंगे डग्गा मारी से देश कब तक चलाओगे जनता को खून के आंसू कब तक रुलाओगे जाति धर्म भाषा के संघर्षों से कब ऊपर उठ पयोगे विभाजनकारी नीतियों से सामाजिक द्वंद कब तक बढ़ाओगे किया निजीकरण की नीतियों से जनता के सारे अधिकार ही बेच जाओगे देश बनाने के लिये कब अपने को खपाओगे किया नेक नियत को कभी अपनी प्राथमिकता बनवाओगे प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" व्यवस्थायो के थप्पड़ #Barrier
व्यवस्थायो के थप्पड़ #Barrier
read moreSweekriti Mishra
नफ़रत नफ़रत होती है ऐसी व्यवस्था से , जो हैवानियत का नंगा नाच हो फिर भी ख़ामोश हो,,,,, हाथ पर हाथ धरे बैठी हो। जहाँ इंसाफ के लिए ..... मासूमियत दम तोड़ दे!! फिर भी खामोश .... नफ़रत होती है.... #नफ़रत #व्यवस्थासे #मासूमियतकाखून #nojotohindi #nojoto #SweekritiMishra
#नफ़रत #व्यवस्थासे #मासूमियतकाखून #nojotohindi nojoto #SweekritiMishra #विचार
read moreसतीश तिवारी 'सरस'
डॉ. प्रकाश जी डोंगरे की पंक्तियाँ जलती सड़कों पर जो एक अकेला आदमी गुलमोहर की तलाश में नंगे पाँव जा रहा है व्यवस्था का सूरज सबसे अधिक उससे ही घबरा रहा है। ''बूढ़ा पिता और आम का पेड़'' काव्य संग्रह से साभार ©सतीश तिवारी 'सरस' #व्यवस्था
Author Harsh Ranjan
दुनिया के कानूनों ने मुझे ये सिखाया है कि घोड़ा और गधा एक है, व्यवस्था की नजर में! या कहें कि घोड़ापन अथवा है। दुनिया का गधों के लिए यही जज्बा है। सर्वत्र संसार में अकाल व्याप्त है! भूख और भूख का डर जल और वायु से भी पर्याप्त है। कमाने वालों को कम खाने के गुण बताए जा रहे हैं और लोग उनकी रसोई के आटे-दाल से भंडारे करवाये जा रहे हैं। किसी ने मेरे कानों में धीमे से कहा है, एक किसान दो फसल काटकर भी आयु में उतना कमाता है कि उसके तीन पुश्त एक भी रात भूखे न गुजारें! पर ये गांव वालों को कैसे समझाएं कि बेरोजगारी के दिन-रात बिस्तर पर न गुजारें! अगर धरती पर पड़ा होना ही अस्तित्व है तो ये व्यवस्था मानव से ज्यादा मवेशियों के निमित्त है। व्यवस्था
व्यवस्था
read moreAuthor Harsh Ranjan
दुनिया के कानूनों ने मुझे ये सिखाया है कि घोड़ा और गधा एक है, व्यवस्था की नजर में! या कहें कि घोड़ापन अथवा है। दुनिया का गधों के लिए यही जज्बा है। सर्वत्र संसार में अकाल व्याप्त है! भूख और भूख का डर जल और वायु से भी पर्याप्त है। कमाने वालों को कम खाने के गुण बताए जा रहे हैं और लोग उनकी रसोई के आटे-दाल से भंडारे करवाये जा रहे हैं। किसी ने मेरे कानों में धीमे से कहा है, एक किसान दो फसल काटकर भी आयु में उतना कमाता है कि उसके तीन पुश्त एक भी रात भूखे न गुजारें! पर ये गांव वालों को कैसे समझाएं कि बेरोजगारी के दिन-रात बिस्तर पर न गुजारें! अगर धरती पर पड़ा होना ही अस्तित्व है तो ये व्यवस्था मानव से ज्यादा मवेशियों के निमित्त है। व्यवस्था
व्यवस्था
read moresomnath gawade
प्रचलित व्यवस्थेविषयी 'व्यवस्थित' बोलले नाहीतर 'व्यवस्था' आपल्याला व्यवस्थित जागी पोहचविते. 🤣😂 #व्यवस्था
Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी व्यवस्थाओं को बांधने,संविधान लिखा था गुलामी की तस्वीर ओझल हो अधिकारों का गणतंत्र रचा था विकास का पहिया जन जन में घूमे प्रतिनिधियों को चुनने का हर वर्ग को अधिकार दिया था कर्तव्यों की श्रखंला देखो स्वाभिमान राष्ट्र का बढ़ता है तन मन धन से प्रेरित हर भारतीय गाथा भारत की गाता है संविधान के सम्मान में 26 जनवरी को गणतंत्र के रूप में मनाता है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" व्यवस्थाओं को बांध संविधान लिखा था
व्यवस्थाओं को बांध संविधान लिखा था #कविता
read moreMahesh Kumar
जब तक देश के गद्दारों को कानून का डर नहीं होगा । तब तक देश की समस्याओं का कोई भी हल नहीं होगा । कानून व्यवस्था
कानून व्यवस्था #विचार
read moreGodambari Negi
रहें सदा व्यवस्थित, बनी रहेगी व्यवस्था। दूर रहता संकट, बुरी न आये अवस्था।। अच्छा करो प्रबंध, रखें व्यवहार स्व कोमल। जीवन में मिले सुख, भाव जब रहता निर्मल।। ©Godambari Negi #trafficcongestion व्यवस्था
#trafficcongestion व्यवस्था #कोट्स
read moreDeepa Didi Prajapati
खुशनसीब होगी उस रोज धरा, वास्तविक खुशी से खिलखिलाएगी। कानून व्यवस्था कर सके ऐसी, सरकार कभी गर मिल पाएगी। ©Deepa Didi Prajapati # कानून व्यवस्था
# कानून व्यवस्था #कविता
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