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B.L Parihar

#fogg वाली दिल्ली #सच #फोग

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तुम्हारी फाइलों में शहर का मौसम गुलाबी है
मगर ये आंकड़े झूठे हैं ये दावा हकीकत ओ किताबी है !!


#सच में दिल्ली मे #फोग ही चल रहा है... #Fogg वाली दिल्ली

Chintoo Choubey

ये दिल्ली वाली ट्रेन

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ये मेरा घर जो छूटा है या मैं खुद से हि बिछडा हूँ,
दिल्ली को जाने वाली ट्रेन आयी है,
और मैं फूट फूट कर बजता हूँ,
शायद कभी दिल्ली वाली ट्रेन रद्द हो जाए,
मैं मन हि मन भजता हूँ,
मगर कम्बख्त आ हि जाती है,
मेरी विदाई का सन्देश सुनाती है,
ये विरह कि बेला मेरे मुखमंडल पर शोभा नहीं है?
मैं दुःखी हूँ नहीं यह कह पाता हूँ,
उन चरण कमलों को छू कर वापस परदेशी हो जाता हूँ,

ये मेरा घर जो छूटा है या मैं खुद से हि बिछडा हूँ, ये दिल्ली वाली ट्रेन

Pankaj Kumar

दिल्ली वाली दिल ले गई #कॉमेडी

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AJAY JAISWAL

Dilli Wali Kursi. दिल्ली वाली कुर्सी #शायरी

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ਸੀਰਿਯਸ jatt

धंधा करती है धंधे वाली है 🌚 दिल्ली की लड़कियां! #Videos

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savitri mishra

VeRbAl ThInKeR

फौजी #Poetry

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VeRbAl ThInKeR

फौजी #Poetry

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Amit Kumar

फौजी

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आशिकी से दिल रखने वाले किसी की फिकर कहाँ करते हैं, जिसके दिल में बसता हो वतन वह मरने से कहाँ डरते हैं, जो अपनों को पीछे छोड़ सरहद पर जान छिड़कते हैं, पूरे जहान में हम शान से फौजी- ए- वतन कहलाते हैं, तपती धूप हो या हो बर्फीली पहाड़ी हर जगह बेखौफ तैनात हम रहते हैं, करते हैं सामना बेखौफ दुश्मनों का क्योंकि हर दम अपने हमारा हाथ थामे रहते हैं, लगता है कभी डर तो कभी हँसी याद बहुत आती है उनकी फिर भी करके आँखें नम सिर्फ दिल में बसी भारत माँ को हम याद करते हैं, उतारने इस माँ का कर्ज जन्मदात्री से अपनी दूर हम आ गए, इस जन्म उतारकर इसका कर्ज अगले जन्म के लिए हम उसके ऋणी हो गए, तुम क्या जानो दिल हमारा किस कश्मकश में हर पल धड़कता है, जीते हैं अपने वतन के लिए हम, पर दिल हमारा अपनों से मिलने को तरसता है, नहीं पता अगले पल क्या हमारी जिंदगानी होगी, मिल भी पायेंगे कभी अपनों से या अखबार में छपी शहीदों की कहानी में एक कहानी हमारी भी होगी, फिर भी बेपरवाह सरहद पर सीना तान हम खड़े रहते हैं, महफूज रहे देश हमारा, इसके लिए जीवन अपना कुर्बान करते हैं।।

©Amit Kumar फौजी

vijay chauhan

फौजी

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मेरी दुआ  वो मुस्कुरा तो रही थी,
पर उसकी नन्ही मुस्कुराहट बहुत सारी वेदनाएं सह रही थी।

उसकी आंखे बता रही थी हाल उसका,
वो शायद कुछ दिन और रुक जाने के लिए कह रही थी।

मेरी आंखो में ये सोच के आंसू आ गए,
"जनाब" वो बिना पापा के इतने दिन,
कैसे रह रही थी...।

©vijay chauhan फौजी
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