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Vishnu shankar
रास्ते कितने भी कठिन क्यूं ना हो अगर आपके हौसले और इरादे मजबूत हैं तो आपको अपनी मंज़िल पाने से कोई नहीं रोक सकता -vishnu shankar #मंज़िल दूर नहीं
#मंज़िल दूर नहीं
read moreMR VIVEK KUMAR PANDEY
सफर से ज्यादा मंज़िल दूर है #सफरसे ज्यादा मंज़िल दूर है
#सफरसे ज्यादा मंज़िल दूर है
read moreAkanksha Soni
मंजिले तो हमने भी तय कर रखी थी, पर शायद खुदा को और ही कुछ मंजूर था। पर हम मुसाफिर इतने कमजोर तो नहीं, कि रास्ता बदलने पर मंज़िल ही छोड़ दे, हम तो उनमें से है जो गिर कर फिर से। उठ कर दुगनी मेहनत से के साथ , अपनी मंज़िल की और आगे चल पड़ा हैं। 👀🙌❤ मंज़िल दूर नहीं नहीं, फिर से उठ और मंज़िल को जीत le....🖤🔸️
मंज़िल दूर नहीं नहीं, फिर से उठ और मंज़िल को जीत le....🖤🔸️
read moreSanjay Ni_ra_la
मंज़िल अभी दूर नजर आती है बातेँ तुम्हारी, बहुत भरमाती है तुम्हें याद नहीं आता गुजरे पल हाँ, तुम्हारी याद बहुत आती है 01 Jul 2023 ©Sanjay Ni_ra_la मंज़िल नजर नहीं आती है
मंज़िल नजर नहीं आती है #शायरी
read morekirti mishra
कहानी का आगाज तो कर दिया पर अंजाम क्या है पता नहीं रास्ते तो तय कर लिए हैं पर मंज़िल क्या है पता नहीं यू निकल पड़ा हूं मुसाफिर होता इस जिंदगी के जंगल में भीड़ बहुत है अपना कौन है पता नहीं मंज़िल क्या है पता नहीं
मंज़िल क्या है पता नहीं
read moreLeela Rani Mukeshleela
मंज़िल दूर है तो एक दिन जरूर मिलेगी अगर चलोगे ही नहीं तो कभी नहीं
मंज़िल दूर है तो एक दिन जरूर मिलेगी अगर चलोगे ही नहीं तो कभी नहीं
read moreInternet Jockey
मंज़िल दूर है तो एक दिन जरूर मिलेगी अगर चलोगे ही नहीं तो कभी नहीं मिलेगी मंज़िल दूर है तो एक दिन जरूर मिलेगी अगर चलोगे ही नहीं तो कभी नहीं मिलेगी
मंज़िल दूर है तो एक दिन जरूर मिलेगी अगर चलोगे ही नहीं तो कभी नहीं मिलेगी
read moreMR VIVEK KUMAR PANDEY
सफर सभ जानते है पर मंज़िल नहीं जानते #सफरसभ जानते है पर मंज़िल नहीं जानते
#सफरसभ जानते है पर मंज़िल नहीं जानते
read moreShankar Kumar
मंजिल दूर नही है थक कर बैठ गये क्या भाई मंज़िल दूर नहीं है चिंगारी बन गयी लहू की बूंद गिरी जो पग से चमक रहे पीछे मुड़ देखो चरण-चिन्ह जगमग से शुरू हुई आराध्य भूमि यह क्लांत नहीं रे राही; और नहीं तो पांव लगे हैं क्यों पड़ने डगमग से बाकी होश तभी तक, जब तक जलता तूर नहीं है थक कर बैठ गये क्या भाई मंज़िल दूर नहीं है अपनी हड्डी की मशाल से हृदय चीरते तम का, सारी रात चले तुम दुख झेलते कुलिश निर्मम का। एक खेप है शेष, किसी विध पार उसे कर जाओ; वह देखो, उस पार चमकता है मन्दिर प्रियतम का। आकर इतना पास फिरे, वह सच्चा शूर नहीं है; थककर बैठ गये क्या भाई! मंज़िल दूर नहीं है। दिशा दीप्त हो उठी प्राप्त कर पुण्य-प्रकाश तुम्हारा, लिखा जा चुका अनल-अक्षरों में इतिहास तुम्हारा। जिस मिट्टी ने लहू पिया, वह फूल खिलाएगी ही, अम्बर पर घन बन छाएगा ही उच्छ्वास तुम्हारा। और अधिक ले जा्च, देवता इतना क्रूर नहीं है थककर बैठ गये क्या भाई! मंज़िल दूर नहीं है। ©Shankar Kumar #मंजिल दूर नहीं है।
#मंजिल दूर नहीं है।
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