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Stories related to शीसे रेशा

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"Midnighter"

रेशा Midnighter #Poetry

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रेशा 

यादों के हवाले से, 
एक रेशा सम्भाल रक्खा था। 

जिन यादों ने दीं बेतहाशा चीखें, 
उन्हें यूँ ही टाल रक्खा था। 

आज फ़िर कुरेदा है, 
ज़ख्म अपना। 
देखो! खून रिस रहा है। 

उन्हीं यादों का रेशा, 
जो सम्भाल रक्खा था ।

अब बेहद चुभ रहा है। 💔

©“Midnighter” रेशा
Midnighter

Ravi Sharma

वो आएंगे , वो ना आए , हर बार यही बस होता है रेशा रेशा दिल छीलता है , हाल बुरा सा होता है। #lost #शायरी

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वो आएंगे , वो ना आए , हर बार यही बस होता है
रेशा रेशा दिल छीलता है , हाल बुरा सा होता है।

।। रवि ।।

©Ravi Sharma वो आएंगे , वो ना आए , हर बार यही बस होता है
रेशा रेशा दिल छीलता है , हाल बुरा सा होता है।

#lost

salik das

मेरा रेशा-रेशा मुझमें तेरे होने की गवाही देता है, क्या कम है कि मुझे हर जगह बस तू ही दिखाई देता है। #nojotophoto

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 मेरा रेशा-रेशा मुझमें तेरे होने की गवाही देता है,
क्या कम है कि मुझे हर जगह बस तू ही दिखाई देता है।

SHAILENDRA UPADHYAY

रेशा-रेशा बिखरे है, तेरी चाहत में.. हमें क्या मालूम था कि तुमसे यूं धागे-धागे से जुड़े हैं हम..!! 💖💖💖💖💖

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रेशा-रेशा बिखरे है, तेरी चाहत में..

हमें क्या मालूम था कि तुमसे यूं धागे-धागे से जुड़े हैं हम..!!

💖💖💖💖💖 रेशा-रेशा बिखरे है, तेरी चाहत में..

हमें क्या मालूम था कि तुमसे यूं धागे-धागे से जुड़े हैं हम..!!

💖💖💖💖💖

Yashpal singh gusain badal'

#Travel दिन निकला और ढल गया ,रात आई और गुजर गई । यूं ही जिंदगी बह गई , दिन- रात करके । तू एक अहसास थी मेरे अंदर ,मेरी रूह #शायरी

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ग़ज़ल
दिन निकला और ढल गया ,रात आई और गुजर गई ।
यूं   ही    जिंदगी    बह    गई ,  दिन- रात     करके ।

तू एक अहसास थी मेरे  अंदर ,मेरी  रूह की  तरह ,
मगर न जाने कब बिखर गयी,  कतरा-कतरा  करके ।

खुल   गए   सब   राज  , कुछ   दिन   साथ   रहकर ,
बेपर्दा    हो    गए    सब  चेहरे ,   एक- एक    करके ।

गुरुर   जख्मी   हो   गया   है  उनका ,     ये   देखकर,
कि  कैसे   चलने   लगा   है   वो,  सर    उठा   करके ।

 करके    नुमाइश     अपनी    ताकत  का, क्या  होगा ?
 इक  दिन  बिखर  जाओगे  तुम  भी ,रेशा-रेशा  करके,
 
 गर  दम  है  बाजुओं  में  तो  कर  लो  मंजिल हासिल ,
 दिखा   दो   तुम  भी, किसी  पर्वत  को  हिला   करके ,
 
 उसको   आना   ही   था   आखिर,   खून  था  अपना , 
 जाता   भी  दूर   कितना   आखिर ,  बगावत   करके ।
 
 हासिल  क्या  होगा "बादल" , उसको  दरबदर  करके, 
 वो  भी   तो   देखेगा   दुनियां   अपनी  बसा   करके ।
          रचना- यशपाल सिंह "बादल"

©Yashpal singh gusain badal' #Travel दिन निकला और ढल गया ,रात आई और गुजर गई ।
यूं   ही    जिंदगी    बह    गई ,  दिन- रात     करके ।

तू एक अहसास थी मेरे  अंदर ,मेरी  रूह

मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *

#मैं #अपनी #नजरो #मे #गुलाम #था *करोडो की मुस्कुराहात * आज एक चौरहे के Red Signal, पर अपनी गाडी मे बैठा मैं, बैठा मैं इधर उधर देख ही रहा था #Poetry #selfrealization

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#मैं अपनी नजरो मे गुलाम था#

*करोडो की मुस्कुराहात *
आज एक चौरहे के Red Signal,
पर अपनी गाडी मे बैठा मैं,
बैठा मैं इधर उधर देख ही रहा था कि,
मेरी नज़र सड़क पर खेलते बच्चे पर टिक गयी |
मैं शीसे के इस पार वो शीसे के उस पार,
उसकी वो कारोडो की मुस्कुराहाट दिल मे ऊतर गयी,
मैं लाखो की गाडी में बैठा बेचैन सा,
और वो सड़को पर घूमता बिन्दास था |
मैं फ़कीर और  शायद वो एक बादशाह था |
मैं अपनी नजरो मे गुलाम था,
वो हर पल का जशन मनाता सुलतान था |
मैं अपनी ही उधेड़ बुन मे खोया मामूली सा इंसान था,
वो दुनिया की चकाचौध से दूर एक आफताब था  |
मैं अपनी ख्वाहीशो के कर्ज मे ड़ूबा बदहाल था,
वो ख्वाहीशो के बोझ से अंजन था |
मैं गुजरा हुआ कल था वो आने वाले कल की आस था |
मैं फ़कीर और  शायद वो एक बादशाह था |
मैं अपनी नजरो मे गुलाम था,
वो हर पल का जशन मनाता सुलतान था |

©Ankur Mishra #मैं #अपनी #नजरो #मे #गुलाम #था

*करोडो की मुस्कुराहात *
आज एक चौरहे के Red Signal,
पर अपनी गाडी मे बैठा मैं,
बैठा मैं इधर उधर देख ही रहा था

Sugandh Mishra

Full poetry in caption मैं रहती हूं आज कल ,कुछ उलझी उलझी सी , अपने में खोई कुछ गुमसुम चुप चुप सी पानी पे तैरती परछाई सी , कभी यहां कभी वहा #Dreams #wait #waitingforyou

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मैं रहती हूं आज कल ,कुछ उलझी उलझी सी ,
अपने में खोई कुछ गुमसुम चुप चुप सी ,
पानी पे तैरती परछाई सी , कभी यहां कभी वहां ,
मै बावरी सी फिरती हूं, समेटे मुट्ठी में,
 तेरी कहीं बातों की निशानियां ।।
कभी जो मिलने आए तो ,
मै मिल जाऊंगी चांद तले ,
तेरे ख्यालों में लिपटी हुई
या बादलों  के पर्दों से झांक कर,
चुपके से देखती हुई तेरी नादानियां ।।
मुझे पाओगे तुम अनायास,
छलकती हंसी के झरनों में ,
तेरी अठखेलियों पे खिलखिलाती हुई,
मै मिलूंगी गुम  तेरी यादों के दामन में ।।
मुझे ढूंढ़ना ना तुम ,हकीकत की जमीन पे ,
मैं  वो कहानी हूं जो तुम सुनते हो ख्वाबों में ,
या बुना करते हो रेशा रेशा ख्वाहिशों से ।।
बंद पलकों के पीछे मेरा बसेरा है जहां,
मै ठहरी इंतेज़ार कर रही हूं तुम्हारा ,
सोचती हुई की तुम आओगे एक दिन,
तुम आओगे ना ? ~सुगंध
 Full poetry in caption
मैं रहती हूं आज कल ,कुछ उलझी उलझी सी ,
अपने में खोई कुछ गुमसुम चुप चुप सी 

पानी पे तैरती परछाई सी , कभी यहां कभी वहा

Vaishali Kahale

Palak Toor Dal Recipe आज की मेरी रेसिपी है Palak Toor Dal Recipe | यह एक आसान और स्वादिष्ट दाल  रेसिपी है |  पालक , अदरक, लहसुन #Food

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 Palak Toor Dal Recipe 
 आज की मेरी रेसिपी है Palak Toor Dal Recipe | यह एक आसान और स्वादिष्ट दाल  रेसिपी है |  पालक , अदरक, लहसुन

Deepak Kanoujia

मैं यहां हर सांझ बस रेशा भर उसका ख्याल करता हूँ... वो कहीं पूरी रात मुझे अपनी नींदों में चस्पा किये मेरे उसके उन किस्सों के ताने बाने बुनती #kisses #ladies #foreheadkisses #modishtro #deepakkanoujia #pradhunik #striyan

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कुछ स्त्रियां 
उर्वरित धरा सी होती हैं 
उन्हें कुछ दो 
तो दे जाती हैं 
बदले में उसका कई गुना... मैं यहां
हर सांझ
बस रेशा भर
उसका ख्याल करता हूँ...
वो कहीं
पूरी रात
मुझे अपनी नींदों में चस्पा किये
मेरे उसके उन किस्सों के ताने बाने बुनती

AK__Alfaaz..

#पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे #गुलमोहर उसकी, उम्र के अमावस की रात, तीसरे पहर, इक याद लुढ़क आती है, #yqbaba #yqdidi #yqhindi #yqquotes #bestyqhindiquotes

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उसकी,
उम्र के अमावस की रात,
तीसरे पहर,
इक याद लुढ़क आती है,
उसके मन के गलियारे में,
जहां,
इक आशाओं के,
रोशनदान से,
हर सुबह झांकती है,
उसके प्रेम की धूप,
वो जानती है,
गेहूं से..घुन की तरह,
प्रीत के सूपे से फटककर,
निकाली नही जा सकती हैं, #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे 

#गुलमोहर

उसकी,
उम्र के अमावस की रात,
तीसरे पहर,
इक याद लुढ़क आती है,
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