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Parasram Arora
जिस चितकबरी तितली को मैंने कल रात अपने स्वप्न मे देखा था आज वही तितली मेरे सामने रखे गमले क़े फूल पर बैठी हुई दिख रही है और .मुझे देख आश्चर्य से उछल पढ़ी और कहने लगी "आप निश्चय ही वही व्यक्ति हैँ जिसे मैंने कल रात अपने सपने मे देखा था ' '" अभी तक मै तय नहीं कर पाया हूँ मै . एक हकीकत हूँ या फिर तितली द्वारा देखे गए सपने का सच हूँ तितली का स्वप्न.......
तितली का स्वप्न.......
read morehema Sinha
जा रहा है कुछ मीठी यादें लेकर ये साल आयेगा नव वर्ष कुछ नवीन स्वप्न सजाकर भर देगा दिलों में उमंगें हज़ार। ©hema Sinha नवीन स्वप्न का सृजन
नवीन स्वप्न का सृजन #ज़िन्दगी
read moreJitendra Kumar Som
भगवान विष्णु का स्वप्न एक बार भगवान नारायण वैकुण्ठलोक में सोये हुए थे। उन्होंने स्वप्न में देखा कि करोड़ों चन्द्रमाओं की कांतिवाले, त्रिशूल-डमरू-धारी, स्वर्णाभरण-भूषित, सुरेन्द्र-वन्दित, सिद्धिसेवित त्रिलोचन भगवान शिव प्रेम और आनन्दातिरेक से उन्मत्त होकर उनके सामने नृत्य कर रहे हैं। उन्हें देखकर भगवान विष्णु हर्ष से गद्गद् हो उठे और अचानक उठकर बैठ गये, कुछ देर तक ध्यानस्थ बैठे रहे। उन्हें इस प्रकार बैठे देखकर श्रीलक्ष्मी जी पूछने लगीं, ``भगवन! आपके इस प्रकार अचानक निद्रा से उठकर बैठने का क्या कारण है?'' भगवान ने कुछ देर तक उनके इस प्रशन का कोई उत्तर नहीं दिया और आनंद में निमग्न हुए चुपचाप बैठे रहे, कुछ देर बाद हर्षित होते हुए बोले, ``देवि, मैंने अभी स्वप्न में भगवान श्रीमहेश्वर का दर्शन किया है। उनकी छवि ऐसी अपूर्व आनंदमय एवं मनोहर थी कि देखते ही बनती थी। मालूम होता है, शंकर ने मुझे स्मरण किया है। अहोभाग्य, चलो, कैलाश में चलकर हम लोग महादेव के दर्शन करें।'' ऐसा विचार कर दोनों कैलाश की ओर चल दिये। भगवान शिव के दर्शन के लिए कैलाश मार्ग पर आधी दूर गये होंगे कि देखते हैं भगवान शंकर स्वयं गिरिजा के साथ उनकी ओर चले आ रहे हैं। अब भगवान के आनंद का तो ठिकाना ही नहीं रहा। मानों घर बैठे निधि मिल गयी। पास आते ही दोनों परस्पर बड़े प्रेम से मिले। ऐसा लगा, मानों प्रेम और आनंद का समुद्र उमड़ पड़ा। एक-दूसरे को देखकर दोनों के नेत्रों से आनन्दाश्रु बहने लगे और शरीर पुलकायमान हो गया। दोनों ही एक-दूसरे से लिपटे हुए कुछ देर मूकवत् खड़े रहे। प्रशनोत्तर होने पर मालूम हुआ कि शंकर जी को भी रात्रि में इसी प्रकार का स्वप्न हुआ कि मानों विष्णु भगवान को वे उसी रूप में देख रहे हैं, जिस रूप में अब उनके सामने खड़े थे। दोनों के स्वप्न के वृत्तान्त से अवगत होने के बाद दोनों एक-दूसरे को अपने निवास ले जाने का आग्रह करने लगे। नारायण ने कहा कि वैकुण्ठ चलो और भोलेनाथ कहने लगे कि कैलाश की ओर प्रस्थान किया जाये। दोनों के आग्रह में इतना अलौकिक प्रेम था कि यह निर्णय करना कठिन हो गया कि कहां चला जाय? इतने में ही क्या देखते हैं कि वीणा बजाते, हरिगुण गाते नारद जी कहीं से आ निकले। बस, फिर क्या था? लगे दोनों उनसे निर्णय कराने कि कहां चला जाय? बेचारे नारदजी तो स्वयं परेशान थे, उस अलौकिक-मिलन को देखकर। वे तो स्वयं अपनी सुध-बुध भूल गये और लगे मस्त होकर दोनों का गुणगान करने। अब निर्णय कौन करे? अंत में यह तय हुआ कि भगवती उमा जो कह दें, वही ठीक है। भगवती उमा पहले तो कुछ देर चुप रहीं। अंत में वे दोनों की ओर मुख करते हुए बोलीं, ``हे नाथ, हे नारायण, आप लोगों के निश्चल, अनन्य एवं अलौकिक प्रेम को देखकर तो यही समझ में आता है कि आपके निवास अलग-अलग नहीं हैं, जो कैलाश है, वही वैकुण्ठ है और जो वैकुण्ठ है, वही कैलाश है, केवल नाम में ही भेद है। यहीं नहीं, मुझे तो ऐसा प्रतीत होता है कि आपकी आत्मा भी एक ही है, केवल शरीर देखने में दो हैं। और तो और, मुझे तो स्पष्ट लग रहा है कि आपकी भार्याएँ भी एक ही हैं। जो मैं हूं, वही लक्ष्मी हैं और जो लक्ष्मी हैं, वही मैं हूँ। केवल इतना ही नहीं, मेरी तो अब यह दृढ़ धारणा हो गयी है कि आप लोगों में से एक के प्रति जो द्वेष करता है, वह मानों दूसरे के प्रति ही करता है। एक की जो पूजा करता है, वह मानों दूसरे की भी पूजा करता है। मैं तो तय समझती हूं कि आप दोनों में जो भेद मानता है, उसका चिरकाल तक घोर पतन होता है। मैं देखती हूं कि आप मुझे इस प्रसंग में अपना मध्यस्थ बनाकर मानो मेरी प्रवंचना कर रहे हैं, मुझे असमंजस में डाल रहे हैं, मुझे भुला रहे हैं। अब मेरी यह प्रार्थना है कि आप लोग दोनों ही अपने-अपने लोक को पधारिये। श्रीविष्णु यह समझें कि हम शिव रूप में वैकुण्ठ जा रहे हैं और महेश्वर यह मानें कि हम विष्णु रूप में कैलाश-गमन कर रहे हैं। इस उत्तर को सुनकर दोनों परम प्रसन्न हुए और भगवती उमा की प्रशंसा करते हुए, दोनों ने एक-दूसरे को प्रणाम किया और अत्यंत हर्षित होकर अपने-अपने लोक को प्रस्थान किया। लौटकर जब श्रीविष्णु वैकुण्ठ पहुंचे तो श्रीलक्ष्मी जी ने उनसे प्रशन किया, ``हे प्रभु, आपको सबसे अधिक प्रिय कौन है?'' भगवन बोले, ``प्रिये, मेरे प्रियतम केवल श्रीशंकर हैं। देहधारियों को अपने देह की भांति वे मुझे अकारण ही प्रिय हैं। एक बार मैं और श्रीशंकर दोनों पृथ्वी पर घूमने निकले। मैं अपने प्रियतम की खोज में इस आशय से निकला कि मेरी ही तरह जो अपने प्रियतम की खोज में देश-देशान्तर में भटक रहा होगा, वही मुझे अकारण प्रिय होगा। थोड़ी देर के बाद मेरी श्री शंकर जी से भेंट हो गयी। वास्तव में मैं ही जनार्दन हूं और मैं ही महादेव हूं। अलग-अलग दो घड़ों में रखे हुए जल की भांति मुझमें और उनमें कोई अंतर नहीं है। शंकरजी के अतिरिक्त शिव की चर्चा करने वाला शिवभक्त भी मुझे अत्यंत प्रिय है। इसके विपरीत जो शिव की पूजा नहीं करते, वे मुझे कदापि प्रिय नहीं हो सकते।'' इस तरह जो शिव की पूजा करता है वह वैकुंठवासी विष्णु को भी स्वीकार है और जो श्री विष्णु की वंदना करता है, वह त्रिपुरारी को भी मना लेता है। ©Jitendra Kumar Som #Health भगवान विष्णु का स्वप्न
#Health भगवान विष्णु का स्वप्न #पौराणिककथा
read moreMitu Adwiteey
स्वप्न भारत का.. मीतु अद्वितीय
स्वप्न भारत का.. मीतु अद्वितीय #कविता #nojotophoto
read moreVaibhav Kumresh
India quotes सपनों का भारत स्वप्न स्वप्न स्वप्न जागृत अवस्था का स्वप्न होश पूर्ण स्वप्न स्वप्न देता स्वरूप संकल्प को संकल्प संकल्प दृढ़ संकल्प को संकल्प से ही होता है सृजन विधायक सृजन ©Vaibhav Kumresh सपनों का #भारत स्वप्न स्वप्न #स्वप्न जागृत अवस्था का स्वप्न होश पूर्ण स्वप्न स्वप्न देता स्वरूप #संकल्प को संकल्प संकल्प दृढ़ संकल्प को संकल
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read moreVijay patil
आज काल लोकांना व्यसन लागलं आहे, "जातीच" जोपर्यंत हे व्यसन सुटणार नाही तो पर्यंत माणसात माणुसकी आणि प्रेम शिल्लक राहणार नाही.😢 _विजय वाईट लोक आणि त्यांच्या वाईट सवयी #जातीभेद
वाईट लोक आणि त्यांच्या वाईट सवयी #जातीभेद
read moreSatish Deshmukh
वाईट आज दिसतो, आधी भलाच होतो ! निष्पाप अन् निरागस झुलता झुलाच होतो ! प्रत्येक माणसाने दिधला दगा मनाला स्वार्थात गांजलेल्या गावातलाच होतो ! भिक्षेकरी म्हणा मज आश्चर्य त्यात नाही मी आळशी जनांच्या शहरातलाच होतो ! रत्नास उर्मटाची बाधा कशी जहाली गर्वात माळलेल्या माळेतलाच होतो ! झालो उगाच नाही स्थितप्रज्ञ आजच्याला आगीत पोळलेल्या चटक्यातलाच होतो ! सतीश देशमुख ©Satish Deshmukh वाईट #Missing
वाईट #Missing #मराठीकविता
read moreVithal B S
कोणताही व्यक्ती वाईट नसतो त्याची परिस्थिती वाईट असते
कोणताही व्यक्ती वाईट नसतो त्याची परिस्थिती वाईट असते #शायरी #nojotophoto
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