Find the Latest Status about पहाड़ पर कविता from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, पहाड़ पर कविता.
Arun Chandel Verma
_itni _si _baat _hai _vandana Upadhyay
हमारे आस -पास पहाड़ होने चाहिए ताकी जब भी हम दुख से भर जाए... उन्हें गले लगाकर मुक्त हो जाएं अपनी अनहद पीड़ाओं से.... ©वंदना उपाध्याय पहाड़
पहाड़ #कविता
read moreShivani Thapliyal
*मेरु पहाड़* मेरी अलग पहचान ची ; मैं उत्तराखंडी छो , जाणा छीन लोग मीता छोड़ी यख बतीन। कुछ यख छीन मेरा भूमयाल मां, क्वै क्वै लुकारी मैमा जान माया शक्ति ची। गो खाली वैग्या जन विनाश वैगी होलू मेरू , यूँ आँखी तरसी तूता देखरो आज भी । कुछ लोग घोर कुड़ी पुंगरी छवारी यन चलया, जन तुन पलटी भी नी देखर होलू अब। गो सुन करी कनके बसोला कुड़ी शहर मां, अपणी भाषा भूली कन बोल लेंदा शहर की भाषा । गो का बटा भूली के कन जाण लगया छोदा बटा बतीन, मेता भूली कर रोंदा गुमजवारू उन। जे चौक मा नालोडा ओर लोग बैठया रोंदा छा , तो देखी ता तख आज घास जमी छो । जै भीतरू मनखी रोंदा छा, तख मुशुन अपणु घोर जमेली। ज्यूँ पुंगुरू मा सदा अनाज रोंदू छो, तख बसेलु घासन आणु बड़ेली। कन पैसा वे कन शहर वे, जख पाणी भी बीन पैसान नी मीलदू। यख मनखी मनखी नी रे , सब मनखियों मा स्वार्थ वैगी। ©Shivani Thapliyal पहाड़
पहाड़
read moresandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3
इस तरह पहाड़ तोड़ा गया... गंगा आज भी रो रही है..। - ख़ब्तुल संदीप बडवाईक ©sandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3 पहाड़
पहाड़ #मराठीशायरी
read moreउमेश
तुम जब आओगी मेरे पहाड़ , मैं तुम्हें उस धार में ले जाऊँगा , जहाँ से दिखता है हिमालय , और उससे आती इक नदी , दृश्य कितने नयनाभिराम , उस धार के ढुंग पर , बैठकर हम करेंगे ढेरों बात , मैं तुम्हे दूँगा इक बुराँश का फूल , जुड़े में गुँथने के लिये नहीं , खाने के लिये , राधे राधे ©उमेश पहाड़
पहाड़ #जानकारी
read morevikash devrani
मेरु पहाड़ मेरु मुलुक टीम किले जाणा छा छोड़ी पहाड़ा, पितरों की भूमि आपणू को प्यार. धात लगुनी यो गाढ़ धारा, नी जाओ कुनी छोड़ी पहाड़ा .. पहाड़
पहाड़
read moreNidhi Pant
बनकर मुसाफिर मैं आगे बढ़ता गया और पहाड़ पीछे छूटता चला गया। ज़िन्दगी को ही पीछे छोड़कर क्या है ज़िन्दगी, यह ढूंढने निकल पड़ा। हाड़ मांस ये रास्ते पार करता गया और आत्मा पहाड़ में इधर उधर भटकती रही।अनजान डगर पर खूब खोजा हर प्रश्न का उत्तर, बार बार वापस पहाड़ लौट जाने का उत्तर मिला। डटा रहा फिर भी में रोज़ी रोटी की आस में, थाली में सब मिला अपने पहाड़ की खुशबू गायब थी।छलके आंसू वीरान पड़े घर की याद में, फंस गया मैं कहीं दोराहे की बाड़ में। गिरा, टूटा, रोया और फिर उठा इसी चाह में, पहाड़ में मैं नहीं तो क्या हुआ। मेरा पहाड़ है मेरी हर एक सांस में। #पहाड़