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Parasram Arora

जीवन और कविता

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जीवन कठोर  धरातल की उपज हैँ....        ज़ब   भी जन्मा  बहा  और युगो तक चलता रहा
लेकिन कविता  एक कमज़ोर मन की. तरल अभिव्यंजना हैँ
कि ज़ब भी जन्म लेती . सांस पूरी ले भी नहीं पाती कि
मर जाती हैँ
जीवन गंध हैँ  चिठ्ठा हैँ जो इतिहास क़ो रचता हैँ  लेकिन
कविता  कोमल भावनाओं की उहापोह का रसायन हैँ 

जीवन गति हैँ कभी तीव्र कभी धीमी पर हैँ वो इस पार की
कविता उड़ान भरती  और उस पार तक ले जातीहैँ
जीवन संगम हैँ स्त्रेण और पुरुष चित्त का पऱ कविता हैँ 
स्त्रेण चित की भावनात्मक मनोदशा
कविता अकेलेपन की लाठी बनने की क्षमता रखती हैँ
जबकि जीवन परिवारों और भीड़  का चहेता बना रहता हैँ
जीवन हैँ खुली आँखों से  देखा गया सपना जबकि कविता.
कल्पनाओ  कि अवशेषों का मात्र एक झरना हैँ.

©Parasram Arora जीवन और कविता

Parasram Arora

कवि और कविता.......

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कवि  बन तुम हमेशा अपने  दिल क़े  मंजर  देखते रहे 
काश किसी दिन बाहर निकल कर  हमारे बंजर भीदेख लेते
बसंत तो  हर वर्ष  आता रहा  और तुम्हे मदहोश कर गया
काश किसी दिन तुम आकरउसहठी पतझर को देख लेते.
तन क़े लिए तो न जाने तुमने कितने  इंतज़ाम कर लिए
कश कभी अपने  मन क़े जर्ज़र भी  तुमने देख लिए  होते
तुम्हारे छन्दों की  अनुशासनहिंनता   श्रोता   कई बार देख चुके
काश कभी उस  भटकी हुई कटी  पतंग का  दर्द भी  तुम देख लेते
न जाने कितने  सपनो  की  फसल काट कर तुमने कविता. रचि
काश  स्वर्णिम संध्या क़े  उन उपेक्षित इंद्राधनुशो  को भी  देख लेते

©Parasram Arora कवि  और  कविता.......

Parasram Arora

कवि और कविता.......

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अभी ये  तय होना  बाकी है
क़ि  कविता ने  जनमाया  कवि को या.
कवि ने ही कविता को जनमाया  था.
प्रेम की   असफलताओं  ने  ही  शायद
प्रेम कविताओं  को जन्म दिया था
या फिर  अन्याय क़े खिलाफ   ज़ब संघर्ष ने
बिगुल बज़ाया  तो..  आग उगलती  कविता
ने  जन्म पाया था.... और
ज़ब  कभी  रिश्तों  मे  उग्रता  और  बंटवारे
का दौर  चला तो  नैतिक  कविताओं
ने  जन्म  पाया  था 
हर बार  कविताओं ने  अपने  आस पास  क़े
दुर्लभ और  सुलभ  विषयों  को  उठाया   तो  वो  कविता हीथीं  जिसने  कवि को जनमाया था

©Parasram Arora कवि  और  कविता.......

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