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Parasram Arora
कोई पुरखो को पानी पहुंचा रहा हैँ कोइ गंगाओ मे पाप धो रहा हैँ कोई पथर की प्रतिमाओं के सामने बिना भाव सर झुकाये बैठा हैँ धर्म के नाम पर हज़ार तरह की मूढ़ताएं प्रचलन मे हैँ धर्म से संबंध तो तब होता हैँ जब आदमी जागरण की गुणवत्ता हासिल कर लेता हैँ जहाँ जागरण होगा वहा अशांति कभी हो ही नहीं सकती क्यों कि जाग्रत आदमी विवेकी होता हैँ इर्षा क्रोध की वृतियो से ऊपर उठ चुका होता हैँ औदेखा जाय तो धर्म औऱ शांति पर्यायवाची शब्द हैँ धर्म औऱ शांति...... पर्यायवाची शब्द हैँ
धर्म औऱ शांति...... पर्यायवाची शब्द हैँ
read moreParasram Arora
खून को पानी का पर्यायवाची मत मान. लेना अनुभन कितना भी कटु क्यों न हो वो.कभी कहानी नही बन सकताहै उस बसती मे सच बोलने का रिवाज नही है यहां कोई भी आदमी सच.को झूठ बना कर पेश कर सकता है ताउम्र अपना वक़्त दुसरो की भलाई मे खर्च करता रहा वो ऐसा आदमी कुछ पल का वक़्त भी अपने लिये निकाल नही सकता है ©Parasram Arora पर्यायवाची......
पर्यायवाची...... #शायरी
read moreपथिक..
"जो राह तुझ तक न पहुंचती हो, वो मेरी मंजिल तो नहीं, मेरी मंजिल तो दर है तेरा, जहां होता है, मेरी मंजिल का सवेरा " ©पथिक.. #सवेरा#मोहब्बत का #
Kuldeep Shrivastava
चल चलते हैं किसी ऐसी जगह जहाँ कोई न तेरा हो न मेरा हो, बस! 💞 इश्क़ की रात हो औऱ मोहब्बत का सवेरा हो।💕 ©Kuldeep Shrivastava मोहब्बत का सवेरा
मोहब्बत का सवेरा #लव
read moreGurdeep Kanheri
कहाँ जाए आदमी कितना घोर अंधेरा है सूरज तो हैं लाखों मगर दिखता नहीं सवेरा है ©Gurdeep अंधेरों का सवेरा
अंधेरों का सवेरा #जानकारी
read moremanoj kumar jha"Manu"
धरती का दुःख क्यों, समझते नहीं तुम। धरा न रही अगर, तो रहोगे नहीं तुम।। सुधा दे रही है वसुधा हमें तो, भू को न बचाया, तो बचोगे नहीं तुम।। "भूमि हमारी माता, हम पृथिवी के पुत्र"* वेदवाणी कह रही, क्या कहोगे नहीं तुम।। (स्वरचित) * माता भूमि: पुत्रो अहं पृथिव्या: (अथर्ववेद १२/१/१२) धरती का दुःख हम नहीं समझेंगे तो कौन समझेगा। इसमें धरती के पर्यायवाची शब्द भी हैं।
धरती का दुःख हम नहीं समझेंगे तो कौन समझेगा। इसमें धरती के पर्यायवाची शब्द भी हैं।
read moreRan parmar
`चांद का सवेरा` खो जाता हूं सोते-सोते घर को। चांद को दिखलाता हूं पानी भरे तालाबों में। लालिमा छा जाती है सवेरे से शाम होते-होते। लाल चुनरिया छा जाती है सूरज ढलते ढलते। खूब खिलखिलाती है कवि रण की आस। ® कवि रण परमार ©Ran parmar चांद का सवेरा #SunSet