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Alok Vishwakarma "आर्ष"
प्रेमगीत के ताल, बीनें धमनी धागन जाल । जिसमें खोवता मन चाल, मनुदीप्ति के जवल प्रवाल ।। प्रेमगीत के ताल, बीनें धमनी धागन जाल । जिसमें खोवता मन चाल, मनुदीप्ति के जवल प्रवाल ।। #yqdidi #जवल #प्रवाल #प्रेमगीत #lovequotes #alokstat
प्रेमगीत के ताल, बीनें धमनी धागन जाल । जिसमें खोवता मन चाल, मनुदीप्ति के जवल प्रवाल ।। #yqdidi #जवल #प्रवाल #प्रेमगीत #lovequotes alokstat #essentiallydeep #alokstates
read moreतुषार"आदित्य"
गति अवरोधक बहुत हुए,अब एक "प्रणेता" देना है। नेताओ को शहर नही,अब शहर को नेता देना है। गति अवरोधक बहुत हुए,अब एक "प्रणेता" देना है। नेताओ को शहर नही,अब शहर को नेता देना है।
गति अवरोधक बहुत हुए,अब एक "प्रणेता" देना है। नेताओ को शहर नही,अब शहर को नेता देना है।
read more#suman singh rajpoot
"डर" शब्द छोटा है राह और ख़ुशी दोनों का अवरोधक है! चाहे किसी प्रकार का डर हो! अपनों का हो पराये का हो सामाजिक हो ऑफिशयल हो। "डर" लहज़ा और अंदाज़ दोनों को बदल देता है। यदि सही हैं तो दिल दिमाग़ दोनों से डर मुक्त होना चाहिए! एक भूत का डर इंसान को एक जगह रख देता है या पीछे भागने पर मजबूर कर देता है। "डर"दूसरों की इक्षा के अनुसार चलना सीखा देता है। ©#suman singh rajpoot #intezaar "डर" शब्द छोटा है राह और ख़ुशी दोनों का अवरोधक है! चाहे किसी प्रकार का डर हो! अपनों का हो पराये का हो सामाजिक हो ऑफिशयल हो। "डर" ल
#intezaar "डर" शब्द छोटा है राह और ख़ुशी दोनों का अवरोधक है! चाहे किसी प्रकार का डर हो! अपनों का हो पराये का हो सामाजिक हो ऑफिशयल हो। "डर" ल #Motivational
read moreSujit Kumar Kar
World is supposed to revolve And We are supposed to evolve कौरव हार गए क्योंकि अर्जुन को जीतना था युधिष्ठिर चुप रहे क्योंकि अर्जुन को जीतना था भीम ने घटोत्कच को मरने दिया क्योंकि अर्जुन को जीतना
कौरव हार गए क्योंकि अर्जुन को जीतना था युधिष्ठिर चुप रहे क्योंकि अर्जुन को जीतना था भीम ने घटोत्कच को मरने दिया क्योंकि अर्जुन को जीतना #मंदिर #कविता #YourQuoteAndMine #महाभारत #अच्युतानंदमिश्र
read moreSunita D Prasad
#अभिव्यक्ति एक कला.... भाषा के प्रारूप से पहले खोज लिए थे हमने साधन..अभिव्यक्ति के ! १) अभिव्यक्ति की श्रृंखला में.. रखना चाहूँगी सर्वप्रथम उन अनाम चित्रकारों को दिया था उकेर, जिन्होंने.. अनुभवों और संवेदनाओं को कंदराओं के निष्प्राण पाषाणों पर....। वे अभिव्यक्ता.. हैं उन भित्ति चित्रों में.. आज भी..! वे प्रस्तर.. हैं लेते निश्वास..आज भी..! २) फिर इस श्रृंखला में.... रखना चाहूँगी प्रेम में लिखे गए उन असंख्य प्रेम-पत्रों को जो हैं प्रमाण.. प्रेमियों की भावप्रवणता के..! और जिनको.. करते ही स्पर्श, हो उठती हैं स्पंदित मृत शिराएँ हृदय की.. आज भी..! ३) इसी श्रृंखला में.... रखना चाहूँगी प्रत्येक लेखक और कवि को जिसने.. असीम अभिव्यक्ति के लेशमात्र में ही.. रख लिया स्वयं को अस्तित्वमय..! और कर लिया अपनेआप को सदा के लिए स्थापित एक कलाकार के रूप में..।। वस्तुतः... अभिव्यक्ति एक कला जो ठहरी और अभिव्यक्ता एक कलाकार..!! --सुनीता डी प्रसाद💐💐 #अभिव्यक्ति एक कला.... भाषा के प्रारूप से पहले खोज लिए थे हमने साधन..अभिव्यक्ति के ! १) अभिव्यक्ति की श्रृंखला में..
#अभिव्यक्ति एक कला.... भाषा के प्रारूप से पहले खोज लिए थे हमने साधन..अभिव्यक्ति के ! १) अभिव्यक्ति की श्रृंखला में.. #yqbaba #yqdidi #yqpowrimo
read moreHarlal Mahato
pllss read in caption🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏। ©Harlal Mahato "मत सोच मां एक नारी है" मां ही तो सृष्टि में अग्रणी है धरा को धरे मां जननी है मां रचना में स्वयं न्यारी है मत सोच मां एक नारी है।(१)
"मत सोच मां एक नारी है" मां ही तो सृष्टि में अग्रणी है धरा को धरे मां जननी है मां रचना में स्वयं न्यारी है मत सोच मां एक नारी है।(१) #माँ #maa #nojotopoetry #nojotohindi
read moreMahfuz nisar
मैं विरोधी हूँ, विरोध हूँ,उनसबके मैं उनके भी विरुद्ध हूँ। मैं विरोधी हूँ, पीने वालों का, जो किसी के मेहनत का खून पीते हैं, वो जो सबक सिखाने की बात करते हैं, जो औरत के लिए हद की बात करते हैं, जाति सी मवाद की बात करते हैं, वर्ण की रक्त पिपासू नाग डसते हैं, जो पुरानी रीति की खाट चढ़ते हैं, किताबों को दीमक बनाने वालों का, मुझमें बैठे कुब्रे नासूर का, मानस बने भसमाशुर का, विरोध हूँ,उनसबके जो चुपचाप तमाशा देखते हैं, खबरों से हाथ सेंकते हैं, समय का पासा फेंकते हैं, जो बोलने की ज़रूरत नहीं समझते हैं, जो बोलते हैं, पर सऊर् नहीं उनमें, जो बोलते हुए लड़खडाते हैं, और जो कोशिश ही नहीं करते, मैं उनके भी विरुद्ध हूँ, जो मुँह चुराते हैं रसुख के डर से, जो जीभ हिलाते हैं,रत्ती भर से, जो लार गिराते हैं,कुछ काग़ज़ों पर, कुछ मामूली ईस्तेहारों पर, वैशाखी बनी कलमगारों पर, नंगी राजनीति के खेलाड़ो पर, मैं विरोध हूँ आपके भी अगर आप ने एक ग़लत स्याही की बूंद काग़ज़ की सफ़ेदी को खराब करने में लगाई है, मैं विरोध हूँ मेरे, अगर मैंने शब्दों की भित्ति परछाई भी झुठाई है। ✍महफूज़ मैं विरोधी हूँ, विरोध हूँ,उनसबके मैं उनके भी विरुद्ध हूँ। मैं विरोधी हूँ, पीने वालों का, जो किसी के मेहनत का खून पीते हैं, वो जो सबक सिख
मैं विरोधी हूँ, विरोध हूँ,उनसबके मैं उनके भी विरुद्ध हूँ। मैं विरोधी हूँ, पीने वालों का, जो किसी के मेहनत का खून पीते हैं, वो जो सबक सिख
read moreDurga Shakti
जय श्री कृष्णा जय माता दी अगर समृद्ध भारत की सोच रखनी है तो हर युवा को इस तरह से रहना होगा जैसे 1,
जय श्री कृष्णा जय माता दी अगर समृद्ध भारत की सोच रखनी है तो हर युवा को इस तरह से रहना होगा जैसे 1, #nojotophoto
read moreNadbrahm
मिथिला इतिहास के एक बड़े हिंस्से में अपने उत्कर्ष पतन के अनगिनत किस्सों को समेटे है। वैदिक काल मे जो क्षेत्र मानव विकाश के लिए विमर्श , संवाद व विद्या साधना की भूमि रही है। ज्ञान का प्रभाव ऐसा की दुनियां के समस्त विद्वान अपने ज्ञानी होने के सामाजिक प्रमाण हेतु जनक सभा मे आकर अपनी विद्वता सिद्ध करते थे। वैदिक उपनिषद के तत्व ज्ञान का प्रवाह ऐसा की वहाँ का राजा स्वयं को राज पद , संपदा व सामाजिक मान अपमान से मुक्त यहाँ तक कि इस भौतिक देह की सीमाओं से भी मुक्त था। इसी ज्ञान के आधार पर मिथिला के सभी सम्राट विदेह कहलाते थे बिना देह अर्थात भौतिक सीमाओं से परे ज्ञान पुंज। उसी धरती पर कणाद, गौतम,अष्टावक्र जैसे तत्व ज्ञानी का ज्योति फैला। संख्या, मीमांसा के सिद्धि की ये धरती भी काल क्रम में अपने पराभव को नही रोक पाई। काल चक्र में माता जानकी की ये भूमि विप्पनता, अशिक्षा व दरिद्रता का दंश झेलने लगी। राजनीतिक वेदी पर इस क्षेत्र का विखंडन भी भारत व नेपाल के हिस्से में हो गया। इस अंतहीन यात्रा में ज्ञान भले लोप हुआ पर लोक कलाएं आज भी अपने मिथिला के अस्तित्व का गीत सब को सुनाती है। भित्ति चित्र व अहिपन ( अल्पना ) से बढ़ते हुए आज मिथिला पैंटिग उसी मिथिला की खास संस्कृति के किस्से सुनाती है। यह पैंटिग हर पर्व त्योहारों में मिट्टी पर बनी, आँगन में बनी, मिट्टी के घर को लेब कर उस के दीवारों को सजाया नव जीव आवाहन की प्रक्रिया में भी तांत्रिक पैंटिग बन कोहबर( नव विवाहिता के लिए विशेष कमरा) में नव दंपति में लिए उत्तम ऊर्जा का संवाहक बानी । आज मिथिला से बाहर फैसन का भी रूप ले चुकी हमारी संस्कृति की ये अंतहीन कहानी है। हाँ मिथिला की बाते युगों से पुरानी है। #मिथिला #root #culture_and_civilisation #untoldstory ©BK Mishra मिथिला इतिहास के एक बड़े हिंस्से में अपने उत्कर्ष पतन के अनगिनत किस्सों को समेटे है। वैदिक काल मे जो क्षेत्र मानव विकाश के लिए विमर्श , संवाद
मिथिला इतिहास के एक बड़े हिंस्से में अपने उत्कर्ष पतन के अनगिनत किस्सों को समेटे है। वैदिक काल मे जो क्षेत्र मानव विकाश के लिए विमर्श , संवाद #untoldstory #अनुभव #root #culture_and_civilisation
read moreKP STORY HD
KP NEWS HD कंवरपाल प्रजापति समाज ओबीसी for the ©KP NEWS HD इस पर्व का संबंध शिव जी से है और 'हर' शिव जी का नाम हैं इसलिए हरतालिका तीज अधिक उपयुक्त है. महिलाएं इस दिन निर्जल व्रत रखने का संकल्प लेती ह
इस पर्व का संबंध शिव जी से है और 'हर' शिव जी का नाम हैं इसलिए हरतालिका तीज अधिक उपयुक्त है. महिलाएं इस दिन निर्जल व्रत रखने का संकल्प लेती ह #astrologynormal
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