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Ek villain
यूक्रेन पर उसके आक्रमण को 50 से अधिक दिन बीत गए हैं लेकिन रूसी हमले रोकने का कोई संकेत नहीं मिल रहा है यूके ने नाटो देश से मिली मदद के नाम पर जिस तरह बहादुरी के प्रति रखे तो उसके चलते उसको अपनी रणनीति और लक्ष्यों में परिवर्तन करना पड़ता है लगता है जब तक यूक्रेन के पूर्व हिस्से पर कब्जा करना चाहता है उसकी मंशा यूक्रेन के सैन्य ढांचे और नागरिक प्रति निष्ठा को ध्वस्त करने में लगती है जो कि रूस और यूक्रेन के बाद में कोई प्रगति नहीं हुई इसलिए यह लगता है कि यदि युद्ध अगर महीने नहीं खींचा तो कम से कम कुछ हफ्ते तक जरूर चल सकता है रूसिया खन्ना ने दुनिया भर में भारी उथल-पुथल मच आई दुनिया अब कोविड-19 ही पूरी तरह नहीं उबर पाई इस महामारी ने विश्व अर्थव्यवस्था पर घातक प्रभाव डाला और बढ़ा दिया वास्तव में इन दोनों देशों के प्रभाव में कई देशों को कंगाली के कगार पर पहुंचा दिया यह दुनिया भी पहुंचेगी ©Ek villain #दबाव मुक्त भारत की विदेश नीति #Light
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भारत की नीति सदैव ही बड़ी दो वैश्विक शक्तियों के इधर तटस्थ रहने की रही है दूसरे देशों में संबंध रखने के लिए एक प्रभावी प्रोटोकॉल बनाया पंचशील वैसे तो 3 से संबंधित निधि थी पर बाद में इसको अनेक देशों ने अपनाया वासुदेव कुटुंबकम भारत का सूत्र वाक्य है स्वतंत्रता के 75 साल के साथ देश में ईस्ट इंडिया फास्ट की विदेशी नीति के व्यक्त करने का वृद्ध आत्मविश्वास और आशीर्वाद मौजूद है भारत अपने लिए स्वयं निर्णय लेता है और अपनी स्वतंत्र विदेश नीति को किसी भी आ दोहन या दबाव के अधीन नहीं कर सकता वह अमेरिका के मना करने भी रूस के विमान और इंधन खरीदना है अमेरिका द्वारा रूस के विरुद्ध पेश किए गए प्रस्ताव पर भारत तटस्थ रहने का सहायक लाता है ©Ek villain #Dark #भारत की सफल विदेश नीति इससे बेहतर बनाती है
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आप देखो अवसर समझने की आदत शीर्षक से प्रकाशित राज्य शासन के आलेख में विकराल होती अवसरवादी राजनीति का वास्तविक एवं कुमार चेहरा दर्शाया गया भारत में एक परंपरा राजनीतिक आम सहमति यही रही है कि अंतरराष्ट्रीय मामले में देश में एक सुर सुनाई पड़े लेकिन मोदी सरकार के दौरान राजनीतिक विपक्ष ने इन परंपराओं को भी ध्वस्त कर दिया इसका कारण तो यह दिखता है कि अगर राष्ट्रीय राजनीति में सरकार के खिलाफ कोई कारगर बुद्धा ना मिले नहीं चलती विपक्ष को ऐसे मुद्दे का सहारा लेना पड़ रहा है जिन से जुड़ी परिस्थितियों पर तो ही भारत सरकार का कोई नियंत्रण भी नहीं है रूस यूक्रेन का मामला ऐसा पहला फर्क नहीं है जब ऐसी मुश्किल के सामने विपक्ष ने रचनात्मक सहयोग के बजाय आवेदन विरोध में उपजे अवसर आज को इस प्रकार बनाया है अब राजनीति दलों और विशेषकर कांग्रे जैसे उस जिम्मेदार दल को जिसने कितने देशों तक केंद्रीय सत्ता संभाली हो कम से कम उसे अंतरराष्ट्रीय संबंधों की नजाकत को समझना चाहिए वास्तव में विदेशी बंद शतरंज की ऐसी बरसात की तरह होते हैं जो पल प्रतिपल बदलते घटनाक्रम में अपनी चाल बहुत समझदारी से चलनी पड़ती है यह भावनाओं की वजह अवैध कार्यों को व्रत देनी पड़ जाती है लेखक महोदय ने उचित ही कहा है कि जब दुनिया के ताकतवर देशों ने अपने नागरिकों को उनके जो छोड़ दिया था तब मोदी सरकार द्वारा पूरे घटनाक्रम की गहन निगरानी के चार केंद्रीय मंत्रियों के नेतृत्व में ऑपरेशन बचाओ अभियान चलाया गया था ©Ek villain #विदेश नीति की नजाकत को समझें विपक्ष #MusicLove
#विदेश नीति की नजाकत को समझें विपक्ष #MusicLove #Society
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पिछले कुछ अर्से से दुनिया बड़े उत्तल पुथल भरे दौर से गुजर रही है रूस यूक्रेन युद्ध से हलचल को और बढ़ा दिया इससे कुछ पुरानी साझेदारी दावा पर लग गई है यह तमाम नए रिश्ते उभरते नजर आ रहे हैं वैश्विक ढांचे की जटिलता इतनी बढ़ गई है कि 2 मित्र देश एक पड़ाव पर साथ दिखते हैं तो अलग बढ़ाओ पर उनके हितों का टकराव होने लगता है ऐसे में सभी देशों को अपनी विशेष निधि बड़ा बदलाव करना पड़ रहा है भारत के लिए बदलाव की यह चुनौती इसका कारण विकराल हो गई है रूस के साथ जहां हमारे ऐतिहासिक पर ग्रहण रिश्ते हैं वह भी ज्ञात कुछ दशकों के दौरान अमेरिका सहित पश्चिमी देशों के साथ हमारे संबंध नहीं उठाई पर पहुंचे यूरोप में करीब महीने भर से जंग ने इन दोनों के गुणों में दरार उतरकर कहीं ज्यादा बढ़ गई है इसके चलते दुनिया के तमाम देशों को किसी ना किसी पल में खड़ा होना पड़ रहा है ऐसे धर्म संकट की स्थिति में भारत के पल में खुलकर खड़े हुए और अपने हितों को पोषित करने में सफल रहा है हमारी विदेश नीति के पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों का ख्याल होना आदमी कामयाबी को बीते दिन पाकिस्तान प्रधानमंत्री इमरान खान ने सार्वजनिक सभा में भारतीय विदेश नीति को बुरी बुरी प्रशासन की थी पाकिस्तान जैसे देश में एक ऐसी तरफ दुर्बल है यह कहना गलत नहीं होगा कि भारतीय विदेश नीति की इस सफलता में भारत के बढ़ते कदम ही अहम भूमिका रही है भारत गिनती के उन देशों में चीन के प्रधानमंत्री रोज और यूक्रेन दोनों के राष्ट्रपति कई बार बात हुई है इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने दोनों देश से संवाद के माध्यम से समाधान निकालने की बात कही है इतना ही नहीं जहां भारत रूस पर प्रतिबंध लगाकर उसे अलग थलग करने के प्रयास का समर्थन नहीं कर रहा है वहीं उसे रूस को हिदायत देने में भी गुजरने की ©Ek villain #कठिन दौर में कारागार विदेश नीति #waiting
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भारत के नए चीफ ऑफ नेवल स्टाफ ने अपना पदभार ग्रहण करते ही पहली विदेश यात्रा गांधी से आरंभ की है 18 से 20 अप्रैल के दौरान हुई यात्रा में इन्होंने मालदीव के राष्ट्रपति विदेश मंत्री रक्षा मंत्री चीफ ऑफ डिफेंस ओर से मुलाकात की भारत ने मालदीव नेशनल डिफेंस फोर्स कोस्ट गार्ड फील्ड की तारीख में मरम्मत के लिए मदद देना जारी रखा है जिसके परिणाम है आज मोदी भारत के साथ हिंद महासागर की सुरक्षा और विशेष रूप से उनकी समृद्धि को कायम रखने में उसे प्रोत्साहित करने के लिए एक जिम्मेदार राष्ट्र के रूप में खड़ा दिखाई दे रहा है भारत की किसी भी प्रकार की कूटनीति और आर्थिक सहायता देने की नीति के पीछे पड़ोसी देश को एक जिम्मेदार है कई अवसरों पर भारत ने सफलता नहीं मिल पाई परंतु भारत ने इस प्रयास को नहीं छोड़ा और दक्षिण एशिया में अपने पड़ोसी राष्ट्रों के लिए मानव संसाधन विकास रणनीति की अपनी विदेश नीति के लिए एक महत्वपूर्ण घटक के रूप में अपना है जिसका मतलब यह है कि भारत अपने पड़ोसी देश श्रीलंका बांग्लादेश नेपाल और भूटान के पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी कोस्ट गार्ड और अधिकारियों को क्षमता निर्माण और विकास के लिए लगातार काम करता रहा है ©Ek villain #मजबूत होती भारत प्रथम की नीति #SunSet
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संजय गुप्ता ने अपने आलेख में खतरे में पड़ी विश्व में शांति यूक्रेन जंगल का विश्लेषण किया है उन्होंने बताने का प्रयास किया है कि किस तरह अमेरिका और रूस और यूक्रेन की आखिरी वक्त आने विश्व युद्ध का माहौल खड़ा कर दिया अमेरिका सीरियल के दौरान सोवियत संघ के विघटन के बाद भी रोज को अपना शत्रु मानता आया है विखंडन के उपरांत अस्तित्व में आए देश को बुलाकर अमेरिका के इस माध्यम से रूस को धरने की रणनीति और इसका कारण रूप में पैदा हुई असुरक्षा की भावना ने आज यूक्रेन को इस विनाश के मुहाने पर ला खड़ा किया है पूर्व सोवियत संघ जुड़े होने के कारण रूस अपनी भावनाओं में यूक्रेन से जुड़ी हुई हैं अपनी सुरक्षा को लेकर रोज अपनी भावनाएं पहले से बताया था आया है जिसे अमेरिका ने नाटो देशों में अपनी शक्ति के दम में अनदेखा किया है ऐसे में रूस के लिए ना चाहते हुए भी अतिक्रमण की आंतरिक अन्य कोई विकल्प शेष नहीं बचा था जहां तक भारत की स्थिति की बात है तो संकट में अमेरिका की विश्वसनीयता को स्पष्ट किया है लेख में भारत की भूमिका को लेकर बिल्कुल ठीक कहा है कि वर्तमान में भारत के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूत स्थिति के कारण दोनों महाशक्ति है उसे अपने पक्ष में करना चाहती हैं लेकिन किसी और से बचना चाहिए ताकि भविष्य में भारत के पक्ष में रहेगी ©Ek villain #यूक्रेन पर भारत की सही नीति #mahashivratri
#यूक्रेन पर भारत की सही नीति #mahashivratri #Society
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परिवर्तनशील विश्व में भारत की क्या रणनीति है और क्या होनी चाहिए यह वर्तमान समय में भी सभी के लिए उत्सुकता का विषय है ज्यादा से ज्यादा लोग इसे जाना चाहते हैं ऐसे में यदि वर्तमान समय में भारत की विदेश नीति की कमान थामे विदेश मंत्री सुवर्णा जयशंकर ही की इस नीति के बारे में लिखे तो किया ही क्या सकते हैं पाठक के सुनहरा मौका होगा ऐसे जयशंकर के लिए पुस्तक परिवर्तनशील विश्व में भारत की रणनीति अवसर देती है उनकी अंग्रेजी में लिखी द इंडियन व का हिंदी अनुवाद है विदेशी मामलों को लेकर जयशंकर के विशेषज्ञ और अनुभव पर किसी तरह का प्रश्न नहीं उठाया जा सकता मैं अमेरिका चीन सिंगापुर और चेक गणराज्य में भारत के राजदूत रह चुके हैं इसके अलावा भी उन्होंने अलग-अलग भूमिका निभाई है लंबे राजनीतिक अनुभव के बाद से विदेशी मंत्री के रूप में सीधे विदेश नीति का कमान संभाल रहे हैं यह पुस्तक उन के विस्तृत अनुभव के साथ ही भारतीय संस्कृत को लेकर उनके स्पष्ट समझ को दर्शाती है अवध की संख्या में जब से मैं किताब की शुरुआत करते हैं तो इसे राष्ट्रीय की स्पष्ट और पुस्तक कितनी गहरी से वैश्विक स्तर पर कूटनीति के महत्व को देखने वाली है उन्होंने पुरानी अनदेखी के उदाहरण के साथ वर्तमान में चीन और पाकिस्तान को लेकर आवश्यकता है ©Ek villain #भारत की विदेशी नीति को समझने की राय #adventure
#भारत की विदेशी नीति को समझने की राय #adventure #Society
read moreAditya Kumar Bharti
सम्मान हमेशा यह नीति नहीं है दोहरी,इसे कहते हैं दोगली। याद रहे इसी वैक्सीन की कीमत पर आपकी सरकार बनेगी अगली।। ©Aditya Kumar Bharti #सरकार की दोगली नीति
#सरकार की दोगली नीति
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राजीव सास ने अपने आलेख में एक ही खलनायक नहीं इस युद्ध का महरु होती है और उसमें से अमेरिका और पीछे लूंगा ना टॉपर सूचियां मां पर का बिल्कुल इस पर तहसील के सामने रखी है उन्होंने सरल तरीके से स्पष्ट किया कि किस प्रकार अमेरिका अपने धनबल सैन्य बल के माध्यम से लगातार देशों में नए किस्म का उपनिवेशवाद फैलाना चाहता है अमेरिका ने अपने हितों के लिए अपने जिहादी आतंकवाद को बढ़ावा दिया दुनिया भर में तानाशाह का साथ दिया और जब अपने स्वार्थ निकल गया तो उसने उन सभी देशों में किसी न किसी बहाने हमला करवा दिया मैंने बहुत दवा करा दिया और रूस अमेरिका की दुश्मनी पुरानी है सोवियत संघ के विघटन के बाद भी अमेरिका शांत नहीं हो रहा था और उसके खिलाफ जानबूझकर यह कोई पहली बार नहीं हुआ है कि चीन भारत को चीन पर हमला कर देना अभी से अधिक ताकतवर नहीं ©Ek villain #अमेरिका की दोहरी नीति #Moon
Ek villain
कई अंतरराष्ट्रीय सर्वेक्षण में भारत को रहने के लिए दुनिया के 72 देशों में गिना गया है लेकिन हैरानी की बात यह है कि पिछले कुछ वर्षों से साडे आठ लाख से ज्यादा लोगों ने भारतीय नागरिकता छोड़ दिया है भारत सरकार के अनुसार 30 सितंबर 2021 तक नागरिकों ने भारत की नागरिकता छोड़ दी है वर्ष 2016 से 2020 के बीच 10645 विदेशी नागरिकों ने भारत की नागरिकता के लिए आवेदन किया इसमें पाकिस्तान से 782 और अफगानिस्तान से 795 नागरिक शामिल थे यह आंकड़े अपनी तस्वीर खुद बयान करते हैं भारत के प्लेन कर अमेरिका जाने वाले 44% भारतीय बाद में वहां के नागरिक हासिल करने वहीं बस गए कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जाने वाले 33% भारतीय भी ऐसा ही करते हैं ब्रिटेन सऊदी अरब कुवैत संयुक्त अरब अमीरात कतार सिंगापुर आदि देशों में भी बड़ी संख्या में भारतीय बसे हैं गृह मंत्रालय के अनुसार 125 करोड़ भारतीय नागरिक विदेश में ही रह रहे हैं जिसमें 30 लोग और सीआईएसएफ ऑफ इंडिया कार्ड धारक है देश में चुनाव लड़ने की संपत्ति खरीदी है सरकारी कार्यालय में काम करने का अधिकार नहीं होता पढ़ाई बेहतर आर्थिक संबंधों को देखते हुए बड़ी संख्या में लोग करते हैं पढ़ाई के लिए विदेश जाने वाले लोगों में करीब 80% लोग वापस नहीं लौटते करियर की संभावनाओं को देखते हुए अच्छे अवसर मिलने के कारण विदेश में बस जाते हैं ©Ek villain # विदेश में बसने की बढ़ती प्रवृत्ति #fog