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Pawan Munda
मोरनी तेरी रुप मन मोहक तन मन तुझ में हरसाएं पंख फैला कार नाचे जब तू गरजे मेघा बरसाएं बूंदे नाच तेरी देख देख कर झूमे गाए सारे वनराज प्रेम सागर में डूब के झूमे हिरण,उल्लू और गजराज चमकदार पंखों बीच धारी गोल गोल मनमोहक गोला शौभे कान्हा के मुकुट में धन्य हुआ प्रभु गिरिधर ©Pawan Munda मोरनी तेरी रुप मनमोहक
मोरनी तेरी रुप मनमोहक #कविता
read moreParasram Arora
प्यार के चटक रंग. खूबसूरत से शॉकेस में और भी सुंदर लग रहे हैँ. मोह की इस मनमोहक ऋतु में वहशी तमन्ना वक़्त के तेज़ बहाव में बहने लगी हैँ ©Parasram Arora प्यार के चटक रंग
प्यार के चटक रंग
read moreParasram Arora
ज़ब भी तुम हंसोगे तुम्हारी हंसी तुम्हारे चेहरे को वीजातीय बना देगी क्योंकि अब तक तुम्हारा साथ रहा हैँ रुदन से और तुम्हारा हंसी से कभी परिचय ही नही हुआ अगर गल्ती सेंभी तुम हँसने की कोशिश करोगे तों उस हंसी पर तुम्हारे रुदन की छाप जरूर होगी.... फिर तुम्हारी हंसी मे न नेसर्गीकता होगी नु कोई स्वछंदता की झलक दिखाई देगी क्योंकि वो हंसी तुंहरे ह्रदय की गहराइयों से नही निकल कर ... तुम्हारे आहत ह्रदय की छटपटाहट को छूती हुई तुम्हारे दर्द की पसलियो से रिस्ती हुई बाहर आई हुई लगेगी ©Parasram Arora हंसी और रुदन #Seating
Kumar vishal rawat
बारिशें तेरी याद दिलाती है तुझे बारिशो में भीगते जो देखा था तेरी खनकती कंगन ,तेरी छनकती पायल तू नाचती मोरनी के जैसी ©Kumar vishal rawat #तू नाचती मोरनी के जैसी😍
#तू नाचती मोरनी के जैसी😍
read morePushpendra Pankaj
दोष नहीं है देना किस्मत को , संभवतः कर्मों में रही कमी । अब उठ ,कर पुन: प्रयास , व्यर्थ है आँख में लाना नमी ।। ©Pushpendra Pankaj रुदन ना कर ,प्रयास कर
रुदन ना कर ,प्रयास कर #कविता
read morepooja d
का आवडत असावी त्याला नाकात मोरनी अन ओठांवर लाली ।। शृंगाराच माझ्यापेक्षा जास्त त्यालाच समजतंय हल्ली ।। #शृंगार_रस #मोरनी #ओठांवर #लाली #प्रेम #चारोळी #मराठीचारोळी
#शृंगार_रस #मोरनी #ओठांवर #लाली #प्रेम #चारोळी #मराठीचारोळी
read moreDurgesh Tiwari..9451125950
वैधानिक रुदन- 🕉️🙏🙏.. मेरा मानना हैं कि तात्विक पुरुषों के रुदन हेतु कम से कम एक दिन सुनिश्चित किया जाना चाहिए। ताकि वे भी "पुरुष रुदन"के दिवस पर अपनी वेदना को समाजोन्मुखी कर के पुरुषों के पाषाण ह्रदय के रूढ़िवादी आवरण का परित्याग कर सके। अगर ये भी न हो सके तो कम से कम एक हताश पुरुष के लिए एक ऐसा कन्धा जरूर होना चाहिए जिस पर वो अपना माथा टेक के रो सके। तत्कालीन समाज मे इस मामले स्त्रियों को अपनी अंतर्वेदना प्रकट करने के बहुत से कंधे होते है जैसे- माँ,पिता,भाई,बहन,पति और एक विशुद्ध प्रेमी। परन्तु एक पुरूष इसलिए अपना रोना नही रोकता की वह बहुत मजबूत और पाषाण ह्रदय वाला है वह इसलिए अपना रोना रोकता हैं कि उसके आसपास कमजोर कन्धों का कारवां होता हैं। एक पिता कंधे पर अपने बेटे को गांव का पूरा मेला दिखाने में कभी नही थकता परन्तु बेटे के आंखों में आँसू देखकर एक पिता खुद रोने के लिए कन्धा तलाशने लगता हैं। खैर...मुझे लगता हैं कि पुरुषों के रोने का उचित समय एकांत ही हैं जिसमे वे स्वयं से ही प्रश्न करे और स्वयं ही अपने भावो के अनुरूप उत्तर भी दे। पुरुषों में रोने की कला वैधानिक होती हैं ये अपनी वेदना से किसी की स्वतंत्रता पर आंच नही आने देते,पुरुष छुप छुपकर,घुट घुटकर,और मुँह पर हाथ रख कर रोते हैं ताकि इनकी रोने की कला गैर-वैधानिक न हो जाये। मैं समझता हूँ कि जब मुझे जीते जी ये समाज रोने के लिए कन्धा नही दे सका तो मरने के बाद क्या कन्धा देगा। मुझें खुशी हैं कि मैं तुम्हारी स्मृति में अपनी अंतर्वेदना लिख रहा हूँ और तुम्हारे ग़ैर मौजूदगी में मेरी यही लिखी गयी पंक्तियां मेरे मरने के बाद मुझे कन्धा देगी। कहो! कैसी हो तुम उस जहां में..... मैं इस जहां से प्रेम अर्पण कर रहा हूँ। सादर प्रणाम। 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 ©Durgesh Tiwari..9451125950 वैधानिक रुदन(S🕉️D)
वैधानिक रुदन(S🕉️D) #Life
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