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Best विनय_आजाद Shayari, Status, Quotes, Stories

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“भंवर” मैं खुद को ऐसे आजमाता हूं चोट खा खा कर मुस्कुराता हूं मेरी आंखों में दिन निकलता है रात को कहकशाँ बनाता हूं मैं मुश्किलों में हंसना जानता हूं

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✍️ बिगाड़ा ✍️ शराफत की इबादत ने बिगाड़ा मुझे अपनी ही आदत ने बिगाड़ा ✍️✍️ ना कुछ बिगड़ा जमाने भर से मेरा जो भी बिगड़ा मेरे घर ने बिगड़ा ✍️✍️ मुझे आता कहां था मुस्कुराना

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🌹🌹जय श्री श्याम🌹🌹 हर जगह हसरतें ना बहने दो ताल्लुक जितना निभे रहने दो #विनय_आजाद #writervinayazad #ताल्लुक #हसरतें

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🌹🌹जय श्री श्याम🌹🌹
हर जगह हसरतें ना बहने दो
ताल्लुक जितना निभे रहने दो

©writervinayazad 🌹🌹जय श्री श्याम🌹🌹
हर जगह हसरतें ना बहने दो
ताल्लुक जितना निभे रहने दो
#विनय_आजाद #writervinayazad #ताल्लुक #हसरतें

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✍️हीरे का आदमी✍️ चांद तारों में उतर कर देखा मैंने ख्वाबों में रात मर के देखा देखा ठहरे हुए परिंदे को आदमी को मैंने उड़ते देखा आसमानों में फूल खिल रहे थे और जमीनों पे चांद रोशन थे मैंने देखा फकीरों के सर पर

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✍️हीरे का आदमी✍️
चांद तारों में उतर कर देखा
मैंने ख्वाबों में रात मर के देखा
देखा ठहरे हुए परिंदे को
आदमी को मैंने उड़ते देखा
आसमानों में फूल खिल रहे थे
और जमीनों पे चांद रोशन थे
मैंने देखा फकीरों के सर पर
सोने चांदी के ताज रोशन थे
मैंने देखा बुढ़ापा मौज में था
जवां बचपन को सिसकते देखा
मैंने गिद्धों को महल में देखा
और कौवों को चमन में देखा
मैंने देखा अकेला हंस रहा था
कारवां को मैंने रोते देखा
मैंने देखा महल सोने का “विनय”
उसमें हीरे का आदमी देखा

©writervinayazad ✍️हीरे का आदमी✍️
चांद तारों में उतर कर देखा
मैंने ख्वाबों में रात मर के देखा
देखा ठहरे हुए परिंदे को
आदमी को मैंने उड़ते देखा
आसमानों में फूल खिल रहे थे
और जमीनों पे चांद रोशन थे
मैंने देखा फकीरों के सर पर

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#कुर्सी ये कुर्सी चीच ही ऐसी है आश‌ करती है मेरी गलती नहीं कोई ये नाश करती है 👏👏 ये अपने आप में तो खूब मौज करती है मगर जो पूजता उसको निराश करती है 👏👏 ये बस मक्कार को जीने की मौज देती है

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#कुर्सी
ये कुर्सी चीच ही ऐसी है आश‌ करती है
मेरी गलती नहीं कोई ये नाश करती है
👏👏
ये अपने आप में तो खूब मौज करती है
मगर जो पूजता उसको निराश करती है
👏👏
ये बस मक्कार को जीने की मौज देती है
ये हर एक काम की सह को उदास करती है
👏👏
ये सीदे सादे आम जन को पीस देती है
मगर हेवानियत को खूब पास करती है
👏👏
ये कुर्सी कर रही है जो भी हो रहा है विनय
मेरा क्या दोष विनय कुर्सी पाप करती है

©writervinayazad #कुर्सी
ये कुर्सी चीच ही ऐसी है आश‌ करती है
मेरी गलती नहीं कोई ये नाश करती है
👏👏
ये अपने आप में तो खूब मौज करती है
मगर जो पूजता उसको निराश करती है
👏👏
ये बस मक्कार को जीने की मौज देती है

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✍️ जिंदगी ✍️ कई गठरी दु:खों की बांधकर घर से चले थे बड़ी मुश्किल से सिमटे हम जो बिखर के चले थे ✍️✍️ चले उस राह पर जिस पर महज संघर्ष साहिल हम अपने इल्म को इमां को घर करके चले थे ✍️✍️ कई पैरों में थे कांटे कई राहों में थे पत्थर

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✍️ जिंदगी ✍️
कई गठरी दु:खों की बांधकर घर से चले थे
बड़ी मुश्किल से सिमटे हम जो बिखर के चले थे
✍️✍️
चले उस राह पर जिस पर महज संघर्ष साहिल
हम अपने इल्म को इमां को घर करके चले थे
✍️✍️
कई पैरों में थे कांटे कई राहों में थे पत्थर
सर्द ऋतु के थपेड़े थे फटे सीने के थे अस्तर
✍️✍️
बोझ नाकामियों का सर नजर थक जाती थी अक्सर
यूं ही बदनामियों का डर आह दब जाती थी अक्सर
✍️✍️
चले थे आंधियों में हम विनय दीपक जलाने
गुलामी की वो जंजीरें कतल करके चले थे
✍️✍️
उड़े आकाश में पंछी के जैसे मुस्कुराए
जहां बैठे वहां तारों के जैसे छिलमिलाए
✍️✍️
वहां तक बांट दे खुशियां जहां तक हाथ जाए
हम अपनी नस्ल को ऐसे नस्ल करके चले थे
✍️✍️
जिए जो भी वो मेरी जिंदगी को गुनगुनाए
हम अपनी जिंदगी को वो गजल करके चले थे

©writervinayazad ✍️ जिंदगी ✍️
कई गठरी दु:खों की बांधकर घर से चले थे
बड़ी मुश्किल से सिमटे हम जो बिखर के चले थे
✍️✍️
चले उस राह पर जिस पर महज संघर्ष साहिल
हम अपने इल्म को इमां को घर करके चले थे
✍️✍️
कई पैरों में थे कांटे कई राहों में थे पत्थर

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✍️✍️ मैं भी उड़ जाऊंगा ! एक रोज, भरोसा है मुझे !! ✍️✍️ आसमानों में ! शहर भी है, या धोखा है मुझे !!

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✍️✍️
मैं भी उड़ जाऊंगा !
एक रोज,
भरोसा है मुझे !!
✍️✍️
आसमानों में !
शहर भी है,
या धोखा है मुझे !!

©writervinayazad ✍️✍️
मैं भी उड़ जाऊंगा !
एक रोज,
भरोसा है मुझे !!
✍️✍️
आसमानों में !
शहर भी है,
या धोखा है मुझे !!

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“स्नेह” स्नेह बहुत घातक रस है ये जिससे हो जाता है ...! उसकी गालियां भी मीठे अंगूर के समान रसीली और स्वादिष्ट लगती है ....!! #विनय_आजाद #yqdidi #yqhindi #writervinayazad #स्नेह #रस #गाली #अंगूर

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“स्नेह”
स्नेह बहुत घातक रस है
ये जिससे हो जाता है ...!
उसकी गालियां भी
मीठे अंगूर के समान
रसीली और स्वादिष्ट लगती है ....!!

©writervinayazad “स्नेह”
स्नेह बहुत घातक रस है
ये जिससे हो जाता है ...!
उसकी गालियां भी
मीठे अंगूर के समान
रसीली और स्वादिष्ट लगती है ....!!
#विनय_आजाद #yqdidi #yqhindi #writervinayazad #स्नेह #रस #गाली #अंगूर

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#किस्सा मैं खुद को आजमाना चाहता हूं एक तसव्वुर पुराना चाहता हूं 💕💕 आप पल भर के लिए आ जाओ मैं पल भर मुस्कुराना चाहता हूं 💕💕 मुझे अपनी ही आंख चुभ रही है

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#किस्सा
मैं खुद को आजमाना चाहता हूं
एक तसव्वुर पुराना चाहता हूं
💕💕
आप पल भर के लिए आ जाओ
मैं पल भर मुस्कुराना चाहता हूं
💕💕
मुझे अपनी ही आंख चुभ रही है
मैं खुद को खुद भुलाना चाहता हूं
💕💕
एक किस्सा जो नया है अभी तक
वो मैं तुमको सुनाना चाहता हूं
💕💕
मेरे सीने में एक घुटन है विनय
आओ कुछ गुनगुनाना चाहता हूं

©writervinayazad #किस्सा
मैं खुद को आजमाना चाहता हूं
एक तसव्वुर पुराना चाहता हूं
💕💕
आप पल भर के लिए आ जाओ
मैं पल भर मुस्कुराना चाहता हूं
💕💕
मुझे अपनी ही आंख चुभ रही है

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✍️✍️ खत्म हो जायेंगे ये लोग मोहब्बत करके हंस के जीते हैं मगर जीते हैं ये मर-मर के ✍️✍️ हमने देखे हैं पत्थरों में दिल धड़कते विनय

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✍️✍️
खत्म हो जायेंगे ये लोग
मोहब्बत करके
हंस के जीते हैं मगर जीते हैं
ये मर-मर के
✍️✍️
हमने देखे हैं पत्थरों में
दिल धड़कते विनय
हमने देखे हैं जिगर कितने
संगमरमर के

©writervinayazad ✍️✍️
खत्म हो जायेंगे ये लोग
मोहब्बत करके
हंस के जीते हैं मगर जीते हैं
ये मर-मर के
✍️✍️
हमने देखे हैं पत्थरों में
दिल धड़कते विनय
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