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Mo k sh K an
जो तुमने कहा मैंने सुना और समझा तुम्हारी बात सही है सोलह आने सही ज़िन्दगी ना जी सके तो ज़िंदा ही क्या रहे मगर,मैं गलत भी नहीं कि जब पैर ही सफर से आशना नही तो मंज़िलें की आज़माइश क्यों हो तो चलो यूँ करते हैं कि तुम मेरा पता बन जाओ मैं तुम्हारा सफ़र और निकल चलते हैं दोनों एक नदी बन कर उफ़क़ के पार आफ़ताब से बातें करने ..... मुझे मालूम है कि सही गलत की ना जाने कितनी दहलीजें है जो सोच पर हावी हो जाती हैं और कभी जवाबों पर सवाल उठाती हैं कभी फैसलों पर उँगलियाँ जो कभी सलीब बन जाती हैं तो कभी बेड़ियाँ रोज़ों के बाद ही ईद मुक़म्मल होती है जो तुम को कुबूल हो तो मैं फिर मोमिन बन जाऊँ कुछ शाइस्ता बातें @ एक सवाल मेरा , एक जवाब तेरा ©Mo k sh K an #शाइस्ता #Shaishta #mokshkan
Mo k sh K an
अगर तुम मेरा पता होती तो शायद में राह नहीं होता अगर तुम मेरी क़ासिद होती मैं गुमशाद भी नहीं होता और शायद मिल ही जाता ख़ुद से तुम्हारे इत्र की खुश्बू से लिपटा हुआ तुम्हारे हाथों के उन्स से सराबोर मुक़म्मल और मज़ीद बिल्कुल उस चादर की तरह जो औलिया के पैरों पर शाद होती है अगर तुम मेरा पता होती ©Mo k sh K an #mikyupikyu #mokshkan #Shaishta #rain
#mikyupikyu #mokshkan #Shaishta #rain #कविता
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मैं तुम्हें लिखना चाहता हूं एक नई हदीस की तरह जिसके हर हर्फ की तर्जुमानी ख़ुदा हो मैं तुम्हें सुन्ना चाहता हूँ शबद की तरह जो रूह में सुकूँ शाद करे मैं तुम्हें समझना चाहता हूँ उस अक़्स की तरह जो आईने में उतर कर मैं हो जाए मैं तुम्हें देखना चाहता हूँ उस नूर की तरह जो दिन में धूप और रात को चाँदनी में मयस्सर हो मैं तुम्हें सोचना चाहता हूँ इस तरह कि फिर कुछ सोचने को बाँकी ना रहे रुहीना @ कुछ शाइस्ता बातें ©Mo k sh K an #mokshkan #ruhina #Shaishta
Mo k sh K an
कुछ इश्क़ सा है तुमसे मगर ख़ामोश और तुम्हें ओढ़ कर सोने को जी करता है रात दर रात चाँदनी के नीचे सितारों के साथ कि अगर ख़्वाब भी आएँ तो तुम्हारे हों और नींद भी टूटे तो तुम नज़र आओ कुछ इश्क़ सा है तुमसे मगर ख़ामोश शाइस्ता @ कुछ इश्क़ सा ©Mo k sh K an #Shaishta #BlownWish
Mo k sh K an
अबके जब तुम आसमान में उड़ना पीछे कभी ना मुड़ना दर्द सभी कर देना धूप दुख सारे पी लेना यादों का ताबीज़ बना कर पंखों पर सी लेना रूह से अपनी बन कर ख़ुश्बू शिद्दत से तुम जुड़ना अबके जब तुम आसमान में उड़ना पीछे कभी ना मुड़ना छालों पर ज़ुर्रत मढ़ लेना चोटों पर अंगारे नूर तेरा है कितना उजला देखें चंदा तारे सुई घड़ी की जितना भागें पीछे कभी ना छुड़ना अबके जब तुम आसमान में उड़ना पीछे कभी ना मुड़ना अबके जब तुम आसमान में उड़ना पीछे कभी ना मुड़ना शाइस्ता @ अबके जब तुम आसमान में उड़ना ©Mo k sh K an #Shaishta #mokshkan #Hindi #Nojoto
Mo k sh K an
जब सूरज की बात चली तो निकला तेरा ज़िक्र तेरे पीछे मैं भी लट्टू साँसें मेरी धिक्र कहाँ नहीं तू मुझमें, सोचूँ, रोज आइना कहता है अक़्स मेरा है,पर तो मुझमें नूर तेरा ही रहता है साया तेरा सरमाया तो फिर हो कैसी फ़िक्र जब सूरज की बात चली तो निकला तेरा ज़िक्र सच तू कितना माहिर है, नींदों में भी ज़ाहिर है हर चेहरे में तू दिखता है, क्या तू कोई साहिर है और मैं कमला पुरवाई सा पैर मेरे बेफ़िक्र जब सूरज की बात चली तो निकला तेरा ज़िक्र जब सूरज की बात चली तो निकला तेरा ज़िक्र तेरे पीछे मैं भी लट्टू साँसें मेरी धिक्र उदासियाँ 2 @ मन मौला ©Mo k sh K an #उदासियाँ_the_journey #Shaishta #mokshkan #mikyupikyu #Sunrise
Mo k sh K an
तू सुबह हो तो मैं जागूँ बन पैर मेरे तो मैं भागूँ बन रूह मेरी तो जी लूँ में बन साँसें तू तो पी लूँ मैं तू रोज दुआ जो माँगूं मैं तू सुबह हो तो मैं जागूँ मैं तू सहील हो तो ठहरूँ में तू दरिया हो तो लहरूँ मैं तू लगन जो हो तो मैं लागूँ तू सुबह हो तो मैं जागूँ शाइस्ता @ जागूँ मैं ©Mo k sh K an #mokshkan #Shaishta
Mo k sh K an
सूरज के कानों में फूंकें चल कुछ ऐसा मंतर बह जाए बन नूर की नदिया चाहूँ ओर निरंतर रात सितारों को संग चल लेकर घर जुगनू के जाएँ और रौशनी के रेशम से चिलमन आज सजाएँ रहे ना कोई साँझ सहर में फ़र्क़ ना कोई अंतर सूरज के कानों में फूंकें चल कुछ ऐसा मंतर पौंध इल्म की चल रोपें हम मिलकर हाथ हथेली में बूझे तो क्या राज़ है आख़िर इस बेबाक़ पहेली में ना है कोई जादू टोना ना ही कोई जंतर सूरज के कानों में फूंकें चल कुछ ऐसा मंतर सपनों को चल धूप दिखाएँ और नमी उड़ जाने दें ज़ुर्रत के डैनों से सिलकर आसमान मुड़ जाने दें कथनी और करनी में बाँकी रहे ना काल कालांतर सूरज के कानों में फूंकें चल कुछ ऐसा मंतर सूरज के कानों में फूंकें चल कुछ ऐसा मंतर बह जाए बन नूर की नदिया चाहूँ ओर निरंतर उदासियाँ @ मंतर ©Mo k sh K an #MereKhayaal #उदासियाँ_the_journey #zen #mikyupikyu #shaishta #Nojoto #Hindi
Mo k sh K an
चल धूप छाँव से आगे चलकर सूरज के घर जाते हैं और पिटारी एक नूर की वहाँ से भर कर लाते हैं थोड़ा जुगनू को दे देंगे, कुछ तितली को बाँटेंगे संग फूलों के मिल कर के हम रंग खुशी के छाँटेंगे एक दूजे का हाथ पकड़ कर हम हर राह निभाते हैं धूप छाँव से आगे चलकर सूरज के घर जाते हैं तकली पर उम्मीद चढ़ा कर रेशम फिर से बुनते हैं हो बादल जितने भी गहरे, हम रोशनी चुनते हैं आज अंधेरों के घर में चल एक दीप जलाते हैं धूप छाँव से आगे चलकर सूरज के घर जाते हैं तेरा मेरा सब साझा है, एक रब है एक राह है संग संग साझे पैर चलेंगे दिल में जब तक चाह है पानी बादल सा एक रिश्ता चल हम आज निभाते हैं धूप छाँव से आगे चलकर सूरज के घर जाते हैं उदासियाँ@सूरज के घर शाइस्ता 12 ©Mo k sh K an #उदासियाँ_the_journey #poem #Poetry #Nojoto #Hindi #shaishta
Mo k sh K an
संग सूरज के चलते जा, धूप धरा पर मलते जा संग मौसम के चले चला चल, ढंग घड़ी के ढ़लते जा संग सूरज के चलते जा, धूप धरा पर मलते जा छोड़ रास्ते भवँर पड़े जो, तुझको दरया बनना है और उफ़क़ के आगे जा कर आसमान सा तनना है नूर तेरा रंग रात बदल दे, आफ़ताब सा जलता जा संग सूरज के चलते जा, धूप धरा पर मलते जा तू साहिल है, लहरें आ कर तुझ पर ही थम जाएगीं आ कर तेरे सज़दे में वो इरहम में रम जाएँगी रेत रवानी की बन कर तू कतरा कतरा गलते जा संग सूरज के चलते जा, धूप धरा पर मलते जा तेरे संग वो भी चलता है,जो दुनिया खूब चलता है फूँक बुझे हुए तारे में साँसें, उसकी नब्ज़ चलता है ताप सोख कर तू उसका अब लावे सा गलते जा संग सूरज के चलते जा, धूप धरा पर मलते जा तेरे अंदर क़ायनात है, कभी कभी तो बातें कर भर जाएगी पूरी दुनिया साझे अपने खाते कर इश्क़ निभा फूलों का जैसा और बहारें फलते जा संग सूरज के चलते जा, धूप धरा पर मलते जा उदासियाँ@ धूप धरा पर मलती जा शाइस्ता ©Mo k sh K an #poem #Poetry #Hindi #mokshkan #Love #Shaishta