Nojoto: Largest Storytelling Platform

Best उदासियाँ_the_journey Shayari, Status, Quotes, Stories

Find the Best उदासियाँ_the_journey Shayari, Status, Quotes from top creators only on Gokahani App. Also find trending photos & videos abouthappy journey images with love, my love for you is a journey quote, quotes on journey of life with friends, love is like a journey poem, safe journey prayer to my love,

  • 6 Followers
  • 167 Stories

Madhu Kashyap

Akanksha Nandan

Abhinav shukla

Harsh

तुम्हे माँगा मैंने हर वो चौखट से जिसे लोग खुदा कहता है ,
संवारा तुझे ऐसे जैसे ज़ुल्मत-ए-शब में आसमा को सितारे
 सवारते है,
तेरा मिलना ना मिलना ये तो थी तकदीर की बात,

पर निचोड़ा जो तूने मेरे सुकून-ए-रूह मेरे अंदर बैठा शक्श 
उसका हिसाब माँगता है !

©Harsh Raj #alone #लव #उदासियाँ_the_journey #writing #WritingForYou #writerscommunity

Mo k sh K an

#mokshkan #mikyupikyu #main_raz_raz_hizr_manavaan #उदासियाँ_the_journey मैं_ऱज़_ऱज़_हिज़्र_मनावाँ  #Hindi

read more
सुबह सवेरे जाग के जब भी आँख ये मैंने खोली है
अज़ानों की सरगम बन कर तू ही मुझ से बोली है 

भक्ति तू, ममता तू मेरी, तू मुर्शीद ,तू पीर है 
तू ही नदिया, तू ही सागर ,तू सहील, तू तीर है 
दिया भी तू, बाती भी तू, तू चंदन, तू रोली है 
सुबह सवेरे जाग के जब भी आँख ये मैंने खोली है 

तू रहबर है, राह भी तू है, तुझ तक चल कर जाना हैं 
खो कर शायद खुद को तुझ में ख़ुदा को मैंने पाना है 
खुली हथेली मन्नत की तू, भरे दुआ जो झोली है 
सुबह सवेरे जाग के जब भी आँख ये मैंने खोली है 

सब फ़ानी है पानी है, बहना है बह जाना है 
राख़ हुआ जब मैं मुझमें बस तू ही रह जाना है 
ना जाने किसने यूँ मुझ में तू साँसों सी घोली है 
सुबह सवेरे जाग के जब भी आँख ये मैंने खोली है 

सुबह सवेरे जाग के जब भी आँख ये मैंने खोली है
अज़ानों की सरगम बन कर तू ही मुझ से बोली है

उदासियाँ 3 
मैं ऱज़ ऱज़ हिज़्र मनावाँ
@ वज़द

©Mo k sh K an #mokshkan 
#mikyupikyu 
#main_raz_raz_hizr_manavaan 
#उदासियाँ_the_journey 
#मैं_ऱज़_ऱज़_हिज़्र_मनावाँ  
#Nojoto 
#Hindi

Mo k sh K an

मैं_ऱज़_ऱज़_हिज़्र_मनावाँ  #उदासियाँ_the_journey #mokshkan #mikyupikyu #Hindi

read more
नूर में तेरे ढल कर मुर्शिद महक रही है भोर
और वज़द की सबा शाद है मेरे चारों ओर 

अज़ानों में घोल के शर्बत चहके तेरे नाम 
अरदसों की मिश्री मीठी तुझसे मेरे राम 
आज पतंग के चाल चाश्नी बाँध के तुझ से डोर
नूर में तेरे ढल कर मुर्शिद महक रही है भोर 

इत्र धिक्र का साँसों में जो मनके बन कर चलता है 
और लहू भी रगों में मेरी तस्बीह बन कर ढलता है 
तू मिस्बाह जो मेरे दीन की ओर भी तू है छोर
नूर में तेरे ढल कर मुर्शिद महक रही है भोर 

सज़दे में तुझको पाता हूँ तुझ में ही खो जाता हूँ
तुझ से ही तो मैं चलता हूँ और तुझ तक ही जाता हूँ
ना वक़्त की ज़िद है चलती ना दुनिया का जोर
नूर में तेरे ढल कर मुर्शिद महक रही है भोर 

नूर में तेरे ढल कर मुर्शिद महक रही है भोर
और वज़द की सबा शाद है मेरे चारों ओर 

उदासियाँ ३ @  मुर्शिद मेरे

©Mo k sh K an #मैं_ऱज़_ऱज़_हिज़्र_मनावाँ  
#उदासियाँ_the_journey 
#mokshkan 
#mikyupikyu 
#Nojoto 
#Hindi

Mo k sh K an

शायद
यही नियति है
कि बुत बन जाओ
और बैठने दो उन पंछियों को 
अपने ऊपर
जो बीट किया करते हैं 

बस बुत बन जाओ 
और अपनी पथराई आँखों से निहारो
निकलता दिन, ढ़लती शाम,बदलता वक़्त 
गुजरते लोग
ठहरे जज़्बात 

ना धूप का शिकवा करो
ना छावं का गिला 
ना जुगनुओं का सदक़ा करो
ना तितलियों का ज़िक्र
बस बुत बन जाओ
शायद 
यही नियति है 

उदासियाँ 3 @ नियति

©Mo k sh K an #mokshkan 
#mikyupikyu 
#उदासियाँ_the_journey 
#Nojoto 
#Hindi

Mo k sh K an

चल सूरज से बात करें, ले माँग जरा सी धूप 
और रात के सपने ले कर फटकें मिलकर सूप 

धान भूसी अलग करें गुलदस्ते नए सजाएँ
किसी ख़्वाब के पँखों में रंग आसमान के आएं
काज़ल की सरहद से कब तक बाँधें उनकी चूप
चल सूरज से बात करें, ले माँग जरा सी धूप 

दाँतों में ना फँसे किरिच और ज़ुबाँ ना कट जाए 
इतनी शिद्दत से फटकें की हर एक कौंणी हट जाए 
तिनका तिनका हो कुंदन हो गहरा जितना कूप
चल सूरज से बात करें, ले माँग जरा सी धूप 

और हवा में उड़ती भूसी महके संदल शहतीरों से 
ताबीजों की बन कर क़ासिद करे वो सजदा पीरों से
ताज़ तख़्त का छोड़ तगफुल साथ चले जो भूप 
चल सूरज से बात करें, ले माँग जरा सी धूप 

गंगा में जो वक़्त बहे डूब के सागर बन जाए 
संग बदरा के फारिग हो कर अम्बर पर भी तन जाए 
पासे ढंग बदल कर पूछें है कौन खेलता जूप 
चल सूरज से बात करें, ले माँग जरा सी धूप 

उदासियाँ 3 @  माँग जरा सी धूप

©Mo k sh K an #mokshkan 
#उदासियाँ_the_journey 
#mikyupikyu 
#Nojoto 
#Hindi

Mo k sh K an

और जरा सी धूप हो थोड़ी और अम्बर भी नीला हो 
नई कोपलें से पेड़ों पर बिखरा रंग रंगीला हो 

सरसों में हो खुसरफुसर और खेतों में भी बात चले 
पहन चाँदनी की पायल फिर खनक खनक के रात चले 
पहन के अचकन चाँदी की सूरज छैल छबीला हो 
और जरा सी धूप हो थोड़ी और अम्बर भी नीला हो 

नए नवेले पानी में जो जिक्र बर्फ़ का तारी हो 
सर्दी को सर्दी लगने की कभी कभी तो बारी हो 
हरी डूब से लीपा आँगन मख़मल और शानीला हो 
और जरा सी धूप हो थोड़ी और अम्बर भी नीला हो 

एक अंगड़ाई धनक बिखेरे और धरा फिर खिल जाए 
कभी तो ऎसा हो चुपके से आसमान से मिल पाए 
कब तक पैरों का माथा रोज ओस से गीला हो 
और जरा सी धूप हो थोड़ी और अम्बर भी नीला हो 

मुश्क तेरी परछाई बन कर कुछ साँसों में बस जाए
लम्स तेरा जो सिहरन बन कर रोम रोम में रस जाए 
खाख़ मेरी जब हवा बने बस तू मुझ में सीला हो 
और जरा सी धूप हो थोड़ी और अम्बर भी नीला हो 

उदासियाँ@ और जरा सी धूप हो थोड़ी

सीला - फ़सल कट चुकने के बाद
 खेत में बचे और बिखरे हुए अनाज के दाने

©Mo k sh K an #mokshkan 
#mikyupikyu 
#उदासियाँ_the_journey 
#Nojoto 
#Hindi

Mo k sh K an

चल फिर से हम धूप सजाएँ चीनी के गुलदानों में
क्यों सीलन का राज रहे मिट्टी से लिपे मकानों में 

आँगन में उम्मीद रंगोली बन कर झूमे फ़ाग 
खिड़की पर जब चूम हवाएँ बजे घंटियाँ राग 
थिरक पड़ें पर्दे शिद्दत से कलफ़ हुए जो तानों में 
चल फिर से हम धूप सजाएँ चीनी के गुलदानों में 

रेशम की एक डोर बाँध कर उड़ती पतंग उडारी है 
चर्खी पर लिपटी जो उलझन माँझे सी दो धारी है 
कुछ तो ऐसी इस्मत हो जो बिकती नहीं दुकानों में
चल फिर से हम धूप सजाएँ चीनी के गुलदानों में 

रात अशर्फ़ी जुगनू की खन-खन से महके नूर 
और सहर की पेशानी पर रहमत लिखे ग़फ़ूर
इत्र इबादत का मिश्री सा घुलता रहे जो कानों में
चल फिर से हम धूप सजाएँ चीनी के गुलदानों में 

और रवां हो लहरों सा जब इश्क़ में डूबा फ़र्श 
हाथ थाम कर उसका झूमे महबूबों सा अर्श 
मरहम सी क़ामिल हो कहानी चढ़ी चाश्नी शानों में 
चल फिर से हम धूप सजाएँ चीनी के गुलदानों में 

क्यों सीलन का राज रहे मिट्टी से लिपे मकानों में
चल फिर से हम धूप सजाएँ चीनी के गुलदानों में 

उदासियाँ ३ @ चल फिर से हम धूप सजाएँ

©Mo k sh K an #mokshkan 
#mikyupikyu 
#उदासियाँ_the_journey 
#Nojoto 
#Hindi
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile