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Madhu Kashyap
अब लौट ना पाऊं कभी खुशियों के बाजार में गमों ने ऊंची बोली लगाकर खरीद लिया है मुझे बाजार में। ©Madhu Kashyap #Problems उदास #उदासियाँ_the_journey
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read moreAbhinav shukla
उम्र गुजार दी जिनकी फिक्र में, नाम तक नहीं आता मेरा उनके किसी भी जिक्र में...... ©Abhinav shukla #प्यार #जिन्दगी #यादें #उदासियाँ_the_journey #गम #तन्हाई
Harsh
तुम्हे माँगा मैंने हर वो चौखट से जिसे लोग खुदा कहता है , संवारा तुझे ऐसे जैसे ज़ुल्मत-ए-शब में आसमा को सितारे सवारते है, तेरा मिलना ना मिलना ये तो थी तकदीर की बात, पर निचोड़ा जो तूने मेरे सुकून-ए-रूह मेरे अंदर बैठा शक्श उसका हिसाब माँगता है ! ©Harsh Raj #alone #लव #उदासियाँ_the_journey #writing #WritingForYou #writerscommunity
Mo k sh K an
सुबह सवेरे जाग के जब भी आँख ये मैंने खोली है अज़ानों की सरगम बन कर तू ही मुझ से बोली है भक्ति तू, ममता तू मेरी, तू मुर्शीद ,तू पीर है तू ही नदिया, तू ही सागर ,तू सहील, तू तीर है दिया भी तू, बाती भी तू, तू चंदन, तू रोली है सुबह सवेरे जाग के जब भी आँख ये मैंने खोली है तू रहबर है, राह भी तू है, तुझ तक चल कर जाना हैं खो कर शायद खुद को तुझ में ख़ुदा को मैंने पाना है खुली हथेली मन्नत की तू, भरे दुआ जो झोली है सुबह सवेरे जाग के जब भी आँख ये मैंने खोली है सब फ़ानी है पानी है, बहना है बह जाना है राख़ हुआ जब मैं मुझमें बस तू ही रह जाना है ना जाने किसने यूँ मुझ में तू साँसों सी घोली है सुबह सवेरे जाग के जब भी आँख ये मैंने खोली है सुबह सवेरे जाग के जब भी आँख ये मैंने खोली है अज़ानों की सरगम बन कर तू ही मुझ से बोली है उदासियाँ 3 मैं ऱज़ ऱज़ हिज़्र मनावाँ @ वज़द ©Mo k sh K an #mokshkan #mikyupikyu #main_raz_raz_hizr_manavaan #उदासियाँ_the_journey #मैं_ऱज़_ऱज़_हिज़्र_मनावाँ #Nojoto #Hindi
#mokshkan #mikyupikyu #main_raz_raz_hizr_manavaan #उदासियाँ_the_journey मैं_ऱज़_ऱज़_हिज़्र_मनावाँ #Hindi
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नूर में तेरे ढल कर मुर्शिद महक रही है भोर और वज़द की सबा शाद है मेरे चारों ओर अज़ानों में घोल के शर्बत चहके तेरे नाम अरदसों की मिश्री मीठी तुझसे मेरे राम आज पतंग के चाल चाश्नी बाँध के तुझ से डोर नूर में तेरे ढल कर मुर्शिद महक रही है भोर इत्र धिक्र का साँसों में जो मनके बन कर चलता है और लहू भी रगों में मेरी तस्बीह बन कर ढलता है तू मिस्बाह जो मेरे दीन की ओर भी तू है छोर नूर में तेरे ढल कर मुर्शिद महक रही है भोर सज़दे में तुझको पाता हूँ तुझ में ही खो जाता हूँ तुझ से ही तो मैं चलता हूँ और तुझ तक ही जाता हूँ ना वक़्त की ज़िद है चलती ना दुनिया का जोर नूर में तेरे ढल कर मुर्शिद महक रही है भोर नूर में तेरे ढल कर मुर्शिद महक रही है भोर और वज़द की सबा शाद है मेरे चारों ओर उदासियाँ ३ @ मुर्शिद मेरे ©Mo k sh K an #मैं_ऱज़_ऱज़_हिज़्र_मनावाँ #उदासियाँ_the_journey #mokshkan #mikyupikyu #Nojoto #Hindi
मैं_ऱज़_ऱज़_हिज़्र_मनावाँ #उदासियाँ_the_journey #mokshkan #mikyupikyu #Hindi
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शायद यही नियति है कि बुत बन जाओ और बैठने दो उन पंछियों को अपने ऊपर जो बीट किया करते हैं बस बुत बन जाओ और अपनी पथराई आँखों से निहारो निकलता दिन, ढ़लती शाम,बदलता वक़्त गुजरते लोग ठहरे जज़्बात ना धूप का शिकवा करो ना छावं का गिला ना जुगनुओं का सदक़ा करो ना तितलियों का ज़िक्र बस बुत बन जाओ शायद यही नियति है उदासियाँ 3 @ नियति ©Mo k sh K an #mokshkan #mikyupikyu #उदासियाँ_the_journey #Nojoto #Hindi
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चल सूरज से बात करें, ले माँग जरा सी धूप और रात के सपने ले कर फटकें मिलकर सूप धान भूसी अलग करें गुलदस्ते नए सजाएँ किसी ख़्वाब के पँखों में रंग आसमान के आएं काज़ल की सरहद से कब तक बाँधें उनकी चूप चल सूरज से बात करें, ले माँग जरा सी धूप दाँतों में ना फँसे किरिच और ज़ुबाँ ना कट जाए इतनी शिद्दत से फटकें की हर एक कौंणी हट जाए तिनका तिनका हो कुंदन हो गहरा जितना कूप चल सूरज से बात करें, ले माँग जरा सी धूप और हवा में उड़ती भूसी महके संदल शहतीरों से ताबीजों की बन कर क़ासिद करे वो सजदा पीरों से ताज़ तख़्त का छोड़ तगफुल साथ चले जो भूप चल सूरज से बात करें, ले माँग जरा सी धूप गंगा में जो वक़्त बहे डूब के सागर बन जाए संग बदरा के फारिग हो कर अम्बर पर भी तन जाए पासे ढंग बदल कर पूछें है कौन खेलता जूप चल सूरज से बात करें, ले माँग जरा सी धूप उदासियाँ 3 @ माँग जरा सी धूप ©Mo k sh K an #mokshkan #उदासियाँ_the_journey #mikyupikyu #Nojoto #Hindi
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और जरा सी धूप हो थोड़ी और अम्बर भी नीला हो नई कोपलें से पेड़ों पर बिखरा रंग रंगीला हो सरसों में हो खुसरफुसर और खेतों में भी बात चले पहन चाँदनी की पायल फिर खनक खनक के रात चले पहन के अचकन चाँदी की सूरज छैल छबीला हो और जरा सी धूप हो थोड़ी और अम्बर भी नीला हो नए नवेले पानी में जो जिक्र बर्फ़ का तारी हो सर्दी को सर्दी लगने की कभी कभी तो बारी हो हरी डूब से लीपा आँगन मख़मल और शानीला हो और जरा सी धूप हो थोड़ी और अम्बर भी नीला हो एक अंगड़ाई धनक बिखेरे और धरा फिर खिल जाए कभी तो ऎसा हो चुपके से आसमान से मिल पाए कब तक पैरों का माथा रोज ओस से गीला हो और जरा सी धूप हो थोड़ी और अम्बर भी नीला हो मुश्क तेरी परछाई बन कर कुछ साँसों में बस जाए लम्स तेरा जो सिहरन बन कर रोम रोम में रस जाए खाख़ मेरी जब हवा बने बस तू मुझ में सीला हो और जरा सी धूप हो थोड़ी और अम्बर भी नीला हो उदासियाँ@ और जरा सी धूप हो थोड़ी सीला - फ़सल कट चुकने के बाद खेत में बचे और बिखरे हुए अनाज के दाने ©Mo k sh K an #mokshkan #mikyupikyu #उदासियाँ_the_journey #Nojoto #Hindi
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चल फिर से हम धूप सजाएँ चीनी के गुलदानों में क्यों सीलन का राज रहे मिट्टी से लिपे मकानों में आँगन में उम्मीद रंगोली बन कर झूमे फ़ाग खिड़की पर जब चूम हवाएँ बजे घंटियाँ राग थिरक पड़ें पर्दे शिद्दत से कलफ़ हुए जो तानों में चल फिर से हम धूप सजाएँ चीनी के गुलदानों में रेशम की एक डोर बाँध कर उड़ती पतंग उडारी है चर्खी पर लिपटी जो उलझन माँझे सी दो धारी है कुछ तो ऐसी इस्मत हो जो बिकती नहीं दुकानों में चल फिर से हम धूप सजाएँ चीनी के गुलदानों में रात अशर्फ़ी जुगनू की खन-खन से महके नूर और सहर की पेशानी पर रहमत लिखे ग़फ़ूर इत्र इबादत का मिश्री सा घुलता रहे जो कानों में चल फिर से हम धूप सजाएँ चीनी के गुलदानों में और रवां हो लहरों सा जब इश्क़ में डूबा फ़र्श हाथ थाम कर उसका झूमे महबूबों सा अर्श मरहम सी क़ामिल हो कहानी चढ़ी चाश्नी शानों में चल फिर से हम धूप सजाएँ चीनी के गुलदानों में क्यों सीलन का राज रहे मिट्टी से लिपे मकानों में चल फिर से हम धूप सजाएँ चीनी के गुलदानों में उदासियाँ ३ @ चल फिर से हम धूप सजाएँ ©Mo k sh K an #mokshkan #mikyupikyu #उदासियाँ_the_journey #Nojoto #Hindi
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