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Mahima Jain
कुछ कहती है सुनो, भक्षक नहीं इसके रक्षक तुम बनो। जिस प्यार से सींचा है प्रकृति ने धरती को, उसी प्यार से इसका विस्तार तुम करो। माना कठिन है राहें मुश्किलें है डगर में, मगर हिम्मत रखो और आगे तुम बढ़ो।। 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें..🙏 💫Collab with रचना का सार..📖 🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों को रचना का सार..📖 के प्रतियोगिता:-138 में स्वागत करता है..🙏🙏 *आप सभी 6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा।
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read moreInsprational Qoute
वर्तमान का दर्पण भविष्य में दिखाती है सच,प्रकृति से बड़ा कोई मुंसिफ नही, प्रकृति की खामोशी सब बयाँ कर जाती है,इसे मूक समझना तेरा मुनासिब नही, सुव्यवस्थित सुविधाओं का सु-स्वाद रसपान करवाती है, ऐसा इसका निस्वार्थ भाव है, बहती जो सलिल समीर अविरल सम वारि इस प्रकृति से बढ़ता जा रहा तेरा अलगाव है, विनिर्माण की आड़ में अंधाधुंध करते तुम जीवन की चादर से फिर खिलवाड़, ढाया कहर कुदरत का,कोई बच न पायेगा,प्रकृति रही आज नक़ाब उघाड़। 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें..🙏 💫Collab with रचना का सार..📖 🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों को रचना का सार..📖 के प्रतियोगिता:-138 में स्वागत करता है..🙏🙏 *आप सभी 6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा।
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read moreAsha Giri
प्रकृति का स्वभाव ही है शाँत रहना, मन की उद्विग्नताओं को तज हृदय निर्मल रखना। संगोपन करना हर जीव-जन्तु का,जो आश्रित है धरती पे। माँ की तरह पोषण करना उनका जो है शिशु से। खामोशी पर न जाओ प्रकृति की,ये क्रोधित भी होती है। पर्वत,पहाड़,नदियाँ,समुद्र,हवा,सूर्य,वर्षा की नित क्रियाओं को करके भंग बदला लेती हैं।। 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें..🙏 💫Collab with रचना का सार..📖 🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों को रचना का सार..📖 के प्रतियोगिता:-138 में स्वागत करता है..🙏🙏 *आप सभी 6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा।
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read morePrerit Modi सफ़र
प्रकृति की ख़ामोशी में भी कई सदाएँ आती हैं कुछ चीख़ती हैं कुछ चुपके से कह जाती हैं ये पर्वत झील झरने वादियाँ दरख़्त ये हवाएँ अपनी अपनी दास्ताँ सदियों की सुनाती हैं एक रहती है प्रकृति तेरे अंतस में भी विलीन जो अनहद है अंतर्मन का वो शंखनाद बजाती हैं 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें..🙏 💫Collab with रचना का सार..📖 🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों को रचना का सार..📖 के प्रतियोगिता:-138 में स्वागत करता है..🙏🙏 *आप सभी 6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा।
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read moreDR. SANJU TRIPATHI
पंचतत्वों से निर्मित ये नश्वर काया प्रकृति ने ही दिया उपहार में जीवन। पल पल मनुष्य करता रहता है अपने स्वार्थ के लिए प्रकृति का दोहन। प्रकृति की ख़ामोशी खामोश रहकर भी हमको समझाने का करती रहती है प्रयत्न। जब पार होती सहनशीलता की सीमाएं प्रकृति स्व-अस्तित्व बचाने को करती है यत्न। कभी ख़ामोशी से कभी रौद्र रूप दिखाकर सबको अपनी अहमियत बताती है। फिर भी जब नहीं समझता है मूर्ख इंसान तो नए नए रूपों में कहर बरपाती है। 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें..🙏 💫Collab with रचना का सार..📖 🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों को रचना का सार..📖 के प्रतियोगिता:-138 में स्वागत करता है..🙏🙏 *आप सभी 6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा।
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read moreAnil Prasad Sinha 'Madhukar'
प्रकृति की ख़ामोशी, अपने आप में कहती कहानी है, आने वाले किसी विनाशकारी प्रलय की निशानी है। कुछ भी हो प्रकृति हर हाल में, अपना संतुलन बनाती है, मानवीय भूल के कारण, ये अपना रौद्र रूप दिखाती है। प्राकृतिक संपदाओं का संरक्षण, हर हाल में करना होगा, वरना ख़ामियाजा भुगतने को, हमें तैयार रहना होगा। 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें..🙏 💫Collab with रचना का सार..📖 🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों को रचना का सार..📖 के प्रतियोगिता:-138 में स्वागत करता है..🙏🙏 *आप सभी 6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा।
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