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लेख श्रृंखला
White शिक्षक जीवन हमारा गुरु शिष्य के रिश्तों से सम्पूर्ण होता है हर एक शिक्षक जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण होता है । जीवन के शुरुवात से लेकर आखिरी वक्त तक हमारे कुछ सीखने का हुनर हमारे अंदर एक जुनून भरता है माता पिता ही हमारे सबसे महत्वपूर्ण गुरु कहलाते हैं हर किसी के सीखने का सिलसिला यहीं से शुरू होता है स्कूल की शुरूवती शिक्षा हो या स्नातक की डिग्री हो अगर गुरु न हों कभी तो जीवन हमारा स्थूल हो जाता है हर एक शिक्षक ही मार्गदर्शक कहलाए जाते हैं हमारे उनके क्षत्रक्षाया में ही हर कोई अपना एक मुकाम छूता है गुरु के बिना जीवन की कल्पना भी करना उचित नहीं हर एक शिक्षक हमारे जीवन को अलग मुकाम देता है ©Gaurav Prateek #teachers_day #शिक्षकदिवसकीहार्दिकशुभकामनायें #गुरु_ज्ञान_की_मूरत #गुरु_और_शिष्य #गुरु_की_महिमा #गुरुदेव शायरी हिंदी शायरी हिंदी में शेरो शायरी Khushi_ bhaliyan31 Ziya angel rai पूजा सक्सेना ‘पलक’ @Gudiya***** Umme Habiba
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आदर्श नागरिक नम्र विनम्र हृदय जिसका व्यवहार प्रेम का मूलक है। जो राग,द्वेष से दूर रहे विधि,विज्ञान,ज्ञान संपूरक है। निज अधिकारों की ख़ातिर ना दूजे का अपमान करे! कर्तव्य बोध भी उसके उर सबकी उन्नति का पूरक है। "अपने कर्तव्य और उत्तरदायित्व" का भलीभाँति निर्वहन किया जाए तो आपके अधिकार आपको सुख देंगे। #पाठकपुराण की ओर से सुप्रभातम साथियो #आदर्श_नागरिक के लिए चार पंक्तियाँ लिखी है। क्योंकि मुझे तो लगता है कि एक बेहतरीन नागरिक और इंसान के लिए सिर्फ़ और सिर्फ़ दो शब्दों को आत्मसात करने की ज़रूरत है.....😊 "अपने कर्तव्य और उत्तरदायित्व" का भलीभाँति निर्वहन किया जाए तो आपके अधिकार आपको सुख देंगे। वर्तमान में सारी जंग अधिकारों की है अधिकतर को लगता है कि उनके हक़ का जितना मिलना चाहिए उन्हें नही मिला। भ्रष्टाचार भी इसी महत्वाकांक्षी मनोवृत्ति की देन है। एक बात और है जो ये कि आपराधिक मानसिकता में बढ़ोतरी
#पाठकपुराण की ओर से सुप्रभातम साथियो #आदर्श_नागरिक के लिए चार पंक्तियाँ लिखी है। क्योंकि मुझे तो लगता है कि एक बेहतरीन नागरिक और इंसान के लिए सिर्फ़ और सिर्फ़ दो शब्दों को आत्मसात करने की ज़रूरत है.....😊 "अपने कर्तव्य और उत्तरदायित्व" का भलीभाँति निर्वहन किया जाए तो आपके अधिकार आपको सुख देंगे। वर्तमान में सारी जंग अधिकारों की है अधिकतर को लगता है कि उनके हक़ का जितना मिलना चाहिए उन्हें नही मिला। भ्रष्टाचार भी इसी महत्वाकांक्षी मनोवृत्ति की देन है। एक बात और है जो ये कि आपराधिक मानसिकता में बढ़ोतरी
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आदर्श पत्रकार। सत्य का संधान करने जो निकलता। नित्य अपने मार्ग में मिथ्या कुचलता। राष्ट्रहित में हर क़दम निर्भीक होकर! न्याय की जो तर्कसंगत बात करता। वर्जनाओं से न डर डर मुह छिपाता। सर्जनाओं की क़लम रखता हमेशा। लोकहित में जो बनाता क्रान्ति पथ! घृष्ट से लड़ता उजागर भ्रष्ट करता। #पाठकपुराण की ओर से शुभसंध्या साथियो आज मेरे मन में बस एक ही विचार आया कि हमारे देश को #आदर्श_पत्रकार ही दुनिया में सम्मान दिलाते हैं। वही समाज में बदलाब लाते हैं। मैं ऐसे कर्मठ पत्रकारों के सम्मान में ये पंक्तियां सौंपता हूँ। आपके मन तक पहुँचे तो मेरा उत्साहवर्धन कीजियेगा न भी पहुँचे तो मेरा मन रखलिजियेगा। 😊🙏 : ये सिपाही तो क़लम हाथों में लेकर। चौकसी करता है जो प्रतिक्षण हमारी। भूकम्प,आँधी,बाढ़,बारिश में भी बाहर! जो युद्ध के मैदान में पल पल उतरता। हर घटी घटना को लाकर हमको देता।
#पाठकपुराण की ओर से शुभसंध्या साथियो आज मेरे मन में बस एक ही विचार आया कि हमारे देश को #आदर्श_पत्रकार ही दुनिया में सम्मान दिलाते हैं। वही समाज में बदलाब लाते हैं। मैं ऐसे कर्मठ पत्रकारों के सम्मान में ये पंक्तियां सौंपता हूँ। आपके मन तक पहुँचे तो मेरा उत्साहवर्धन कीजियेगा न भी पहुँचे तो मेरा मन रखलिजियेगा। 😊🙏 : ये सिपाही तो क़लम हाथों में लेकर। चौकसी करता है जो प्रतिक्षण हमारी। भूकम्प,आँधी,बाढ़,बारिश में भी बाहर! जो युद्ध के मैदान में पल पल उतरता। हर घटी घटना को लाकर हमको देता।
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सुनो! तुमने मुझे एक विचार दिया है। हमारी जीवनशैली को चार आश्रमों में विभक्त किया गया है। 1. ब्रह्मचर्य जीवन के पहले 25 साल। 2. गृहस्थ जीवन के अगले 25 साल। 3. वानप्रस्थ जीवन के आगे 25 साल। 4. सन्यास जीवन के अंतिम 25 साल। वैज्ञानिक जीवनशैली थी। चारों के लिए 4 पुरुषार्थ निश्चित किए... 1.धर्म, 2.अर्थ, 3.काम, 4.मोक्ष । एक संतुलित और शानदार जीवन। OPEN FOR COLLAB ✨ #ATतलाश • A Challenge Aesthetic Thoughts! ♥️ इस खूबसूरत चित्र को अपने प्यारे शब्दों से सजाएं|✨ Transliteration: Fir se talaash hai mujhe (Again I'm in search of)
OPEN FOR COLLAB ✨ #ATतलाश • A Challenge Aesthetic Thoughts! ♥️ इस खूबसूरत चित्र को अपने प्यारे शब्दों से सजाएं|✨ Transliteration: Fir se talaash hai mujhe (Again I'm in search of)
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मैं भोर की एक किरण अंधकार से भरा जगत सारा। हे कृष्ण!कर सकूँ उजाला गर तुम दे दो कुछ सहारा। मैं पानी की एक बूंद प्यास से व्याकुल हर कण्ठ हारा। हे गोविंद!तृप्त कर सकूँ गर तुम बन जाओ कोई धारा। मैं टिमटिमाता एक जुगनू पकड़ने दौड़ता हर हाथ मुझे। हे कान्हा! कृपा कर तुम बना दीजिए इक मशाल मुझे। सुप्रभातम साथियो...😊💐 #गुरु_और_शिष्य का नाता भी परस्पर मित्रवत ही होता है। एक दूसरे से मन की उलझनें सुलझाने के लिए तत्पर रहते हैं। शास्त्रों के अनुसार गुरु की गरिमा का अध्ययन किया जाए तो कृष्ण मुझे शानदार लगते हैं। एकमात्र वही हैं जो कहते हैं कि "मैं वासुदेव" जगत के सभी भूतों (प्राणियों) के हृदय में निवास करता हूँ। तुम अपने बुद्धिकौशल से मुझपर माया का आवरण डाल कर उसी के भक्त हो जाते हो। माया के भक्त होना ही कर्म की गति को आगे बढ़ाता है। तो मैं "कर्मण्डेयवाधिकारस्ते" का सूत्र देता हूँ। कुछ लोग इसे
सुप्रभातम साथियो...😊💐 #गुरु_और_शिष्य का नाता भी परस्पर मित्रवत ही होता है। एक दूसरे से मन की उलझनें सुलझाने के लिए तत्पर रहते हैं। शास्त्रों के अनुसार गुरु की गरिमा का अध्ययन किया जाए तो कृष्ण मुझे शानदार लगते हैं। एकमात्र वही हैं जो कहते हैं कि "मैं वासुदेव" जगत के सभी भूतों (प्राणियों) के हृदय में निवास करता हूँ। तुम अपने बुद्धिकौशल से मुझपर माया का आवरण डाल कर उसी के भक्त हो जाते हो। माया के भक्त होना ही कर्म की गति को आगे बढ़ाता है। तो मैं "कर्मण्डेयवाधिकारस्ते" का सूत्र देता हूँ। कुछ लोग इसे
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तमाम उम्र हमने लगा दी दूसरों की कमी गिनाने में, काम की चीज़ें नदारद की हमने अक़्सर जी चुराने में। कभी ख़ुद लुट गए तो कभी ताक लगा कर बैठे रहे! तुम अक़्सर दूसरों के आशियाने लूट कर लाने में? मोहब्बत की न इश्क़ किया वफ़ा ढूंढते रहे फिर भी! अक़्सर प्यार के नाम पर तुम अपना जी बहलाने में। अब आया रमज़ान तुम ख़ुदा को याद कर तो रहे हो! तौबा करलो अपने गुनाहों से जो पाए दिल दुखाने में। तुम हश्र के दिन तो सच कहने की तौफ़ीक़ रखना! "पाठक" अब दिमाग़ न लगाना किसी को बहकाने में। शिक्षा का निश्चित उद्देश्य एवं स्तर भी तय किया जाना चाहिए। किस स्तर के बालक में कितनी योग्यता होनी चाहिए। आज स्नातक भी अच्छा पत्र नहीं लिख सके,तो क्या यह सम्पूर्ण देश का अपमान नहीं है? एक चपरासी की नौकरी के लिए एमबीए, इंजीनियर लाइन में लगें और किसी को भी शर्म नहीं आए! वाह, शिक्षा अधिकारियों को डूबकर मर जाना चाहिए। नकली शिक्षा के सहारे 90-95 प्रतिशत नम्बर प्राप्त करने की होड़ और फिर भी निकम्मेपन का रेकॉर्ड छात्र का तो जीवन उजाड़ देता है। आज कॉलेज, स्कूलें, अधिकारी मिलकर किस प्रकार का ‘शिक्षा उद्य
शिक्षा का निश्चित उद्देश्य एवं स्तर भी तय किया जाना चाहिए। किस स्तर के बालक में कितनी योग्यता होनी चाहिए। आज स्नातक भी अच्छा पत्र नहीं लिख सके,तो क्या यह सम्पूर्ण देश का अपमान नहीं है? एक चपरासी की नौकरी के लिए एमबीए, इंजीनियर लाइन में लगें और किसी को भी शर्म नहीं आए! वाह, शिक्षा अधिकारियों को डूबकर मर जाना चाहिए। नकली शिक्षा के सहारे 90-95 प्रतिशत नम्बर प्राप्त करने की होड़ और फिर भी निकम्मेपन का रेकॉर्ड छात्र का तो जीवन उजाड़ देता है। आज कॉलेज, स्कूलें, अधिकारी मिलकर किस प्रकार का ‘शिक्षा उद्य
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भोजन के सात्विक होने पर जोर देने का मुख्य कारण, यही था कि हमारे शास्त्र कहते है जैसा खावै अन्न! वैसा पाबै मन्न। अपना अपना नज़रिया है! कहके वास्तविकता को, छुपाया तो जा सकता है,मिटाया नही। जैसी दृष्टि वैसा दर्शन। देवी "अनुसुइया" ने अपने हाथ में जल लिया और त्रिदेव पर डाला! तीनों के तीनों छः माह के बालक बनगए उनकी पत्नी ढूंढती फिरें। शक्ति,सरस्वती,और लक्ष्मी जब विद्या अध्ययन कर अपने विषय में पारंगत हो गयीं तो उनको लगा कि सृष्टि में तीनों देवों के अलावा अब उनकी टक्कर का कोई नही जिसने इतनी उच्च शिक्षा प्राप्त की हो और मनमाना आचरण करने लगीं। पत्नियों के मुह कौन लगे तीनों को ही मेडल दे दिया कि तुमसा कोई नही है इस दुनिया में सर्वश्रेष्ठ बन गई हो। तभी नारद जी से ख़बर मिली कि "अनुसुइया" का व्यवहार अपने पति के साथ आज की तारीख़ में शानदार है। अब एक स्त्री दूसरी की तारीफ़ कहाँ झेल पाती है। 😁😝😝💕☕ तीनों की तीनों अड़ गयीं और पत्नियों की जिद्
शक्ति,सरस्वती,और लक्ष्मी जब विद्या अध्ययन कर अपने विषय में पारंगत हो गयीं तो उनको लगा कि सृष्टि में तीनों देवों के अलावा अब उनकी टक्कर का कोई नही जिसने इतनी उच्च शिक्षा प्राप्त की हो और मनमाना आचरण करने लगीं। पत्नियों के मुह कौन लगे तीनों को ही मेडल दे दिया कि तुमसा कोई नही है इस दुनिया में सर्वश्रेष्ठ बन गई हो। तभी नारद जी से ख़बर मिली कि "अनुसुइया" का व्यवहार अपने पति के साथ आज की तारीख़ में शानदार है। अब एक स्त्री दूसरी की तारीफ़ कहाँ झेल पाती है। 😁😝😝💕☕ तीनों की तीनों अड़ गयीं और पत्नियों की जिद्
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गुरु और शिष्य का नाता दुनिया में सबसे श्रेष्ठ है। मन बुद्धि आत्मा तक जिसकी पकड़ होती है। वह गुरुजी ही होते है। जब भी उनके साथ कुछ उपेक्षित किया जाए तो, उन्हें बहुत दुःख होता है। और रूठे इष्टदेव का कोपभागी बन, ख़ामियाजा भुगतना ही पड़ता है। आप सभी को परशुराम जयंती की शुभकामनाएं। कैप्शन पढ़ ही डालिये...💐 क्रमशः- 02 #गुरु_और_शिष्य हमारे शास्त्र और पुराण तो गुरु शिष्य के दृष्टांतो से भरे पड़े हैं। सृष्टि के आरंभ से यह परंपरा हमने ही दुनिया को दी। इसका प्रमाण हमारा ऋग्वेद है।जिसे दुनिया के प्रमुख शोध संस्थान प्राचीनतम ग्रंथ मान चुके हैं। सनातम परम्परा से आज की अधुनिकता तक हमने गुरु और शिष्य के शानदार उदाहरण देखे है। आदित्य और अंगिरा ऋषि से शुरू हुई ये परम्परा सूर्य शिव वृहस्पति इंद्र तक आई उसके बाद ब्रह्मा जी से धन्वंतरि, प्रजापति, मनु, विश्वकर्मा, और मनीषियों को प्राप्त हुई। : महर्षि परशुराम भी शिव के शिष्य बनकर शास्त्र और शस्त्र दोनों में पारंगत हुए। ऐसा बिल्कुल भी नही है कि विद्या और ज्ञान पर केवल पुरुष सत्ता का एकाधिकार था। माता सरस्वती, सती, लक्ष्मी, विद्या, शस्त्र, और प्रबन्धन के ज्ञान की श्रेष्ठ धारक बनीं। इन्ही के साथ यह परंपरा गुरुकुलों तक आई और कई अन्य शानदार विदुषी विश्व को मिलीं। केकई, हो या मंदोदरी, तारा, से लेकर अहिल्या, विश्वआरा, अपाला, घोषा, गार्गी, लोपामुद्रा, मैत्रेयी, सिकता, रत्नावली द्रोपती इत्यादि प्राचीन नाम हैं तो वहीं जीजाबाई, लक्ष्मीबाई, गुरुभक्त कालीबाई, सरोजनी नायडू , अमृता प्रीतम, इंदिरा गांधी,से लेकर दीपा महता तक इस इतिहास की साक्षी हैं।
हमारे शास्त्र और पुराण तो गुरु शिष्य के दृष्टांतो से भरे पड़े हैं। सृष्टि के आरंभ से यह परंपरा हमने ही दुनिया को दी। इसका प्रमाण हमारा ऋग्वेद है।जिसे दुनिया के प्रमुख शोध संस्थान प्राचीनतम ग्रंथ मान चुके हैं। सनातम परम्परा से आज की अधुनिकता तक हमने गुरु और शिष्य के शानदार उदाहरण देखे है। आदित्य और अंगिरा ऋषि से शुरू हुई ये परम्परा सूर्य शिव वृहस्पति इंद्र तक आई उसके बाद ब्रह्मा जी से धन्वंतरि, प्रजापति, मनु, विश्वकर्मा, और मनीषियों को प्राप्त हुई। : महर्षि परशुराम भी शिव के शिष्य बनकर शास्त्र और शस्त्र दोनों में पारंगत हुए। ऐसा बिल्कुल भी नही है कि विद्या और ज्ञान पर केवल पुरुष सत्ता का एकाधिकार था। माता सरस्वती, सती, लक्ष्मी, विद्या, शस्त्र, और प्रबन्धन के ज्ञान की श्रेष्ठ धारक बनीं। इन्ही के साथ यह परंपरा गुरुकुलों तक आई और कई अन्य शानदार विदुषी विश्व को मिलीं। केकई, हो या मंदोदरी, तारा, से लेकर अहिल्या, विश्वआरा, अपाला, घोषा, गार्गी, लोपामुद्रा, मैत्रेयी, सिकता, रत्नावली द्रोपती इत्यादि प्राचीन नाम हैं तो वहीं जीजाबाई, लक्ष्मीबाई, गुरुभक्त कालीबाई, सरोजनी नायडू , अमृता प्रीतम, इंदिरा गांधी,से लेकर दीपा महता तक इस इतिहास की साक्षी हैं।
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आज हमको किसी भी प्रश्न का हल ढूंढना हो तो इंटरनेट है ना! शिक्षा,चिकित्सा,तकनीकी,वाणिज्य,या साहित्य कुछ भी हो। हम कुछ सेकंड्स में ही यथा स्थान जानकारी प्राप्त कर लेते है। इसी जानकारी के भरोसे चल पड़ते है ख़ुद को साबित करने। जीवन के दृष्टिकोण व्यापक हैं अथवा संकीर्ण,समय का पाबंद, विनम्र,धैर्यवान आदि गुण संपन्न है अथवा नहीं यह जरूरी नही। आज कल विद्यार्थी कई अर्थो में शिक्षक से अघिक जानता है। अत: उसका श्रद्धालु होना बहुत कठिन है।वह जागरूक है, विषय के प्रति,किन्तु विषय को जीवन का अंग नहीं मानता। अत: मूल्यों के बारे में चिन्ता मुक्त स्वभाव से स्वच्छन्द और विस्मय में भी है। इसी विस्मय के कारण सही समय पर सही निर्णय नही ले पाता अपने साथ अपनों का भी अहित करता है। यह समझे बिना कि भीतर की और बाहर की जीवनशैली को संतुलित किए बिना वह सफल नहीं होगा। : गुरू शिष्य के लिए कार्य नहीं करता। न ही शिष्य के कर्म बन्ध काटता है। गुरू शिष्य के साथ भी नहीं चलता। केवल मार्ग दिखाता है। गुरू ही शिष्य को अद्वितीय होने का रहस्य समझाता है। बाहरी और भीतरी जीवन को संतुलित रखना सिखाता है।
इसी विस्मय के कारण सही समय पर सही निर्णय नही ले पाता अपने साथ अपनों का भी अहित करता है। यह समझे बिना कि भीतर की और बाहर की जीवनशैली को संतुलित किए बिना वह सफल नहीं होगा। : गुरू शिष्य के लिए कार्य नहीं करता। न ही शिष्य के कर्म बन्ध काटता है। गुरू शिष्य के साथ भी नहीं चलता। केवल मार्ग दिखाता है। गुरू ही शिष्य को अद्वितीय होने का रहस्य समझाता है। बाहरी और भीतरी जीवन को संतुलित रखना सिखाता है।
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