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सोमेश त्रिवेदी
बीज नन्हा सा दबा जो उर्वरा धरती के अंदर, पाएगा सर्वस्व इक दिन फूले फलेगा पेड़ बनकर। अभी, जैसे मां के गर्भ में मिल रहा पर्याप्त पोषण, बढ़ रहा हो शिशु कोई पल रहा हो नया जीवन। फिर चीरकर उस गर्भ को ही बाहें समेटे आएगा, पीड़ा नहीं आनंद कह लो जो ममता लपेटे आएगा। अब तक जुड़ा है अब तक समाया, तब तक रहेगी मां की ममता मां की माया, जब तक रहेगा मूल भीतर। जो मिली किरणों की आभा जागृत हुआ चेतन हुआ, बाहें फैलाए जा रहा है वर्धित हुआ जाता निरंतर। जो बीज नन्हा सा दबा था उर्वरा धरती के अंदर, पौध वो अब बन चुका है फूले फलेगा पेड़ बनकर। #NojotoQuote नन्हा बीज/ सोमेश त्रिवेदी बीज नन्हा सा दबा जो उर्वरा धरती के अंदर, पाएगा सर्वस्व इक दिन फूले फलेगा पेड़ बनकर। अभी, जैसे मां के गर्भ में
नन्हा बीज/ सोमेश त्रिवेदी बीज नन्हा सा दबा जो उर्वरा धरती के अंदर, पाएगा सर्वस्व इक दिन फूले फलेगा पेड़ बनकर। अभी, जैसे मां के गर्भ में
read moreSudeep Keshri✍️✍️
पर्वतों को पार कर, मन प्रफुल्लित हो जाता इन वादियों में आकर, फूले न समाता प्रकृति में समा कर, ईश्वर की रचना के आगे सब कुछ फीका है, हमें तो इससे सुंदर कुछ ना दिखा है, नदी, झील, झरना, पहाड़ सब है बेमिसाल, फूलों का रंग ,फलों का स्वाद कुदरत की क्या बात, पंछी हो या जंतु किसी में नहीं कोई किंतु परंतु, वृक्ष की टहनी हो या पत्ते हम तो देखते न थकते, पानी प्यास बुझाता, हवा प्राणवायु दे जाता, न कोई किसी से कम है, न कोई किसी से ज्यादा, कुदरत ने क्या संसार बनाया, मेरा तो मन फूले नहीं समाता, जब मैं खुद को इन सब के बीच पाता, लेकिन इन सब में ईश्वर की सबसे अच्छी कृति मैं ही तो हूं, जो इन वादियों के बारे में आपको बताता। मन #प्रफुल्लित हो जाता इन #वादियों में आकर, फूले न समाता #प्रकृति में समा कर, ईश्वर की रचना के आगे सब कुछ फीका है, हमें तो इससे #सुंदर कुछ ना दिखा है, #नदी, #झील, #झरना या #पहाड़ सब है #बेमिसाल, फूलों का रंग या फलों का स्वाद #कुदरत की क्या बात, पंछी हो या जंतु किसी में नहीं कोई किंतु परंतु, वृक्ष की #टहनी हो या पत्ते हम तो देखते न थकते,
मन #प्रफुल्लित हो जाता इन #वादियों में आकर, फूले न समाता #प्रकृति में समा कर, ईश्वर की रचना के आगे सब कुछ फीका है, हमें तो इससे #सुंदर कुछ ना दिखा है, #नदी, #झील, #झरना या #पहाड़ सब है #बेमिसाल, फूलों का रंग या फलों का स्वाद #कुदरत की क्या बात, पंछी हो या जंतु किसी में नहीं कोई किंतु परंतु, वृक्ष की #टहनी हो या पत्ते हम तो देखते न थकते,
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