Nojoto: Largest Storytelling Platform

Best गोष्ठ Shayari, Status, Quotes, Stories

Find the Best गोष्ठ Shayari, Status, Quotes from top creators only on Gokahani App. Also find trending photos & videos aboutगोष्ठी की परिभाषा, गोष्ठी का पर्यायवाची शब्द, गोष्ठी का मतलब, गोष्ठियों का अर्थ, गोष्ठी का अर्थ,

  • 1 Followers
  • 243 Stories

Anil Siwach

।।श्री हरिः।। 48 - गौ-गणना आज गोपाष्टमी है। ब्रज में आज गौ-पूजा होती है। श्रीब्रजराज आज कन्हाई की वर्षगांठ के समान ही भद्र की वर्षगाँठ पूरे उत्साह से मनाते हैं और यह सब होता है मध्यान्ह तक। सब हो चुका है। अब तो सूर्यास्त से पूर्व गौ-गणना होनी है। सम्पूर्ण ब्रज आज सुसज्ज है। प्रत्येक वीथी और चतुरष्क सिञ्चित, उपलिप्त, नाना रंगों के मण्डलों से सुचित्रित है। स्थान-स्थान पर मुक्तालड़िओं से शोभित वितान तने हैं। स्थान-स्थान पर जलपूरित पूजित प्रदीप एवं आम्रपल्लव-सज्जित कलश रखे हैं। प्रत्येक द्वार कदली

read more
।।श्री हरिः।।
48 - गौ-गणना

आज गोपाष्टमी है। ब्रज में आज गौ-पूजा होती है। श्रीब्रजराज आज कन्हाई की वर्षगांठ के समान ही भद्र की वर्षगाँठ पूरे उत्साह से मनाते हैं और यह सब होता है मध्यान्ह तक। सब हो चुका है। अब तो सूर्यास्त से पूर्व गौ-गणना होनी है।

सम्पूर्ण ब्रज आज सुसज्ज है। प्रत्येक वीथी और चतुरष्क सिञ्चित, उपलिप्त, नाना रंगों के मण्डलों से सुचित्रित है। स्थान-स्थान पर मुक्तालड़िओं से शोभित वितान तने हैं। स्थान-स्थान पर जलपूरित पूजित प्रदीप एवं आम्रपल्लव-सज्जित कलश रखे हैं। प्रत्येक द्वार कदली

Anil Siwach

।।श्री हरिः।। 26 - विनाद 'आ, दूध पीयेगा?' श्रीव्रजराज दोनों घुटनों में दोहनी दबाये गो-दोहन कर रहे हैं। पीछे कौन आकर खड़ा हुआ, यह जानने की उन्हें आवश्यकता नहीं। दाऊ, श्याम, भद्र, सूबल, तोक - कोई भी हों बाबा के लिए सब अपने ही हैं। नूपूरों की रुनझुन ध्वनि से केवल इतना समझा उन्होंने कि कोई शिशु है और वह उनके पीछे उनके कंधे को सहारा बनाकर खड़ा हुआ है। 'ले, मुख खोल तो!' बाबा ने देखा कि उनका कृष्ण अब उनके पीछे से सामने आ खड़ा हुआ है। यह अभी-अभी नींद से उठकर, मैया की आंख बचाकर गोष्ठ में चला आया है। अल

read more
।।श्री हरिः।।
26 - विनाद

'आ, दूध पीयेगा?' श्रीव्रजराज दोनों घुटनों में दोहनी दबाये गो-दोहन कर रहे हैं। पीछे कौन आकर खड़ा हुआ, यह जानने की उन्हें आवश्यकता नहीं। दाऊ, श्याम, भद्र, सूबल, तोक - कोई भी हों बाबा के लिए सब अपने ही हैं। नूपूरों की रुनझुन ध्वनि से केवल इतना समझा उन्होंने कि कोई शिशु है और वह उनके पीछे उनके कंधे को सहारा बनाकर खड़ा हुआ है।

'ले, मुख खोल तो!' बाबा ने देखा कि उनका कृष्ण अब उनके पीछे से सामने आ खड़ा हुआ है। यह अभी-अभी नींद से उठकर, मैया की आंख बचाकर गोष्ठ में चला आया है। अल

Anil Siwach

।।श्री हरिः।। 16 - ऊधमी मैया यशोदा का लाल ऊधमी बहुत है। कब क्या ऊधम करेगा, कुछ ठिकाना नहीं रहता। इससे कुछ खटपट किये बिना रहा नहीं जाता है और लड़कियों को चिढाने, तंग करने का तो जैसे इसे व्यसन है। लडकियाँ भी तो ऐसी हैं कि इससे दूर नहीं रह पाती, किन्तु इसमें बेचारी लड़कियों का क्या दोष है। यह भुवनमोहन है ही ऐसा कि इससे दूर तो पशु-पक्षी भी नहीं रह पाते, मनुष्य कैसे दूर रहेगा। गोपकुमार प्रातःकाल सूर्योदय से पूर्व ही नन्दभवन आ जाते हैं। जागते ही उन्हें कन्हाई के समीप पहुँचने की धुन चढती है। मातायें

read more
।।श्री हरिः।।
16 - ऊधमी

मैया यशोदा का लाल ऊधमी बहुत है। कब क्या ऊधम करेगा, कुछ ठिकाना नहीं रहता। इससे कुछ खटपट किये बिना रहा नहीं जाता है और लड़कियों को चिढाने, तंग करने का तो जैसे इसे व्यसन है।

लडकियाँ भी तो ऐसी हैं कि इससे दूर नहीं रह पाती, किन्तु इसमें बेचारी लड़कियों का क्या दोष है। यह भुवनमोहन है ही ऐसा कि इससे दूर तो पशु-पक्षी भी नहीं रह पाते, मनुष्य कैसे दूर रहेगा।

गोपकुमार प्रातःकाल सूर्योदय से पूर्व ही नन्दभवन आ जाते हैं। जागते ही उन्हें कन्हाई के समीप पहुँचने की धुन चढती है। मातायें

Anil Siwach

|| श्री हरि: || 9 - कुतूहली 'कनूँ। धूम्रा ने बच्चे दिये हैं।' विशाल ने धीरे से कान के समीप मुख ले जाकर कहा। 'कहाँ? तूने देखे हैं?' कन्हाई इसी समय - अभी उन्हें देख लेना चाहता है - 'कितने हैं? चल बता।' 'चण्ड वहीं बैठा है।' विशाल ने सावधान किया - 'धूम्रा अपने बच्चों के पास भी किसी को जाने नहीं देगी और चण्ड भी उधर जाने पर गुर्राता है।'

read more
|| श्री हरि: ||
9 - कुतूहली

'कनूँ। धूम्रा ने बच्चे दिये हैं।' विशाल ने धीरे से कान के समीप मुख ले जाकर कहा।

'कहाँ? तूने देखे हैं?' कन्हाई इसी समय - अभी उन्हें देख लेना चाहता है - 'कितने हैं? चल बता।'

'चण्ड वहीं बैठा है।' विशाल ने सावधान किया - 'धूम्रा अपने बच्चों के पास भी किसी को जाने नहीं देगी और चण्ड भी उधर जाने पर गुर्राता है।'

Anil Siwach

|| श्री हरि: || 8 - निर्माता 'कनूँ ! क्या कर रहा है तू?' भद्र ने पूछा समीप आकर। उसे कुछ आहट लगी थी गोष्ठ में और यह देखने आ गया था कि यहाँ कौन क्या कर रहा है। गायें, वृषभ, बछड़े-बछडियाँ सब अभी-अभी चरने को गयी हैं। कोई सेवक या सेविका अभी गोष्ठ स्वच्छ करने आयी नहीं है। केवल सद्य:प्रसूता गाये हैं अपने बच्चों के साथ और वे गोष्ठ के एक भाग में हैं। गोमय, गोमूत्र, गायों के खा लेने से बची घास जो उनके खुरों से कुचली है, पूरे गोष्ठ में फैली है। गोष्ठ इस समय अस्वच्छ है। ऐसे समय गोष्ठ में कन्हाई चुपचाप घु

read more
|| श्री हरि: || 
8 - निर्माता

'कनूँ ! क्या कर रहा है तू?' भद्र ने पूछा समीप आकर। उसे कुछ आहट लगी थी गोष्ठ में और यह देखने आ गया था कि यहाँ कौन क्या कर रहा है।

गायें, वृषभ, बछड़े-बछडियाँ सब अभी-अभी चरने को गयी हैं। कोई सेवक या सेविका अभी गोष्ठ स्वच्छ करने आयी नहीं है। केवल सद्य:प्रसूता गाये हैं अपने बच्चों के साथ और वे गोष्ठ के एक भाग में हैं। गोमय, गोमूत्र, गायों के खा लेने से बची घास जो उनके खुरों से कुचली है, पूरे गोष्ठ में फैली है। गोष्ठ इस समय अस्वच्छ है।

ऐसे समय गोष्ठ में कन्हाई चुपचाप घु

Anil Siwach

|| श्री हरि: || 3 - सचिन्त 'भद्र। बाबा भद्र कहाँ है?' ऐसा तो कभी नहीं हुआ कि श्याम गोदोहन करने गोष्ठ में जाय और भद्र उसे दोहिनी लिये न मिले। आज भद्र कहाँ गया? कन्हाई ने भद्र को इधर उधर देखा, पुकारा और फिर अपने दाहिने हाथ की दोहनी बांयें हाथ में लेते हुए बाबा के समीप दौड़ गया। राम-श्याम दोनों भाई प्रातःकाल उठते ही मुख धोकर पहिले गोदोहन करने गोष्ठ में आते हैं। प्रातःकृत्य गोदोहन के पश्चात होता है। बाबा के साथ ही भद्र सोता है। उनके साथ ही दोहनी लिए सवेरे दोनों भाइयों को गोष्ठ में मिलता है। लेकिन

read more
|| श्री हरि: ||
3 - सचिन्त

'भद्र। बाबा भद्र कहाँ है?' ऐसा तो कभी नहीं हुआ कि श्याम गोदोहन करने गोष्ठ में जाय और भद्र उसे दोहिनी लिये न मिले। आज भद्र कहाँ गया? कन्हाई ने भद्र को इधर उधर देखा, पुकारा और फिर अपने दाहिने हाथ की दोहनी बांयें हाथ में लेते हुए बाबा के समीप दौड़ गया।

राम-श्याम दोनों भाई प्रातःकाल उठते ही मुख धोकर पहिले गोदोहन करने गोष्ठ में आते हैं। प्रातःकृत्य गोदोहन के पश्चात होता है। बाबा के साथ ही भद्र सोता है। उनके साथ ही दोहनी लिए सवेरे दोनों भाइयों को गोष्ठ में मिलता है। लेकिन

Anil Siwach

|| श्री हरि: || 57 - स्नेहाश्रय 'दादा, तू बुला इन सबको।' कन्हाई हंस रहा है। मृग उसके चरणों को अपनी लाल - लाल कोमल जिव्हा से चाट लिया करते हैं बार-बार। गिलहरियां उनसे भी अधिक धृष्ट हैं। वे श्याम के अंगों को ही अपनी शय्या बनाना चाहती हैं। पक्षियों का समुदाय पृथक फुदकता-उमड़ता रहता है। इसके चारों ओर मृग बछड़ों के समान इसे बार-बार सूंघते रहना चाहते हैं। 'तू एक बच्चा लेगा कृष्ण मृग का।' दाऊ बड़े स्नेह से एक मृगी को दूर्वा खिला रहा है। मृगी का नवजात शिशु दाऊ के पास उससे सटकर बैठ गया है। 'मैं इसे घर

read more
|| श्री हरि: ||
57 - स्नेहाश्रय

'दादा, तू बुला इन सबको।' कन्हाई हंस रहा है। मृग उसके चरणों को अपनी लाल - लाल कोमल जिव्हा से चाट लिया करते हैं बार-बार। गिलहरियां उनसे भी अधिक धृष्ट हैं। वे श्याम के अंगों को ही अपनी शय्या बनाना चाहती हैं। पक्षियों का समुदाय पृथक फुदकता-उमड़ता रहता है। इसके चारों ओर मृग बछड़ों के समान इसे बार-बार सूंघते रहना चाहते हैं।

'तू एक बच्चा लेगा कृष्ण मृग का।' दाऊ बड़े स्नेह से एक मृगी को दूर्वा खिला रहा है। मृगी का नवजात शिशु दाऊ के पास उससे सटकर बैठ गया है।

'मैं इसे घर

Anil Siwach

35 - गोष्ठशायी || श्री हरि: ||

read more
35 - गोष्ठशायी 
 || श्री हरि: ||

Anil Siwach

11 - खीझ || श्री हरि: ||

read more
11 - खीझ 
 || श्री हरि: ||

Anil Siwach

9 - गायन || श्री हरि: ||

read more
9 - गायन 
 || श्री हरि: ||
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile