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JALAJ KUMAR RATHOUR

#letter आदरणीय शिक्षक, मैं नही जानता आपका आभार किन लफ्जो से करूँ, मुझे ज्ञात नही मैं क्या होता गर आपका आर्शीवाद मेरे साथ ना होता। मुझे नही पता थे रास्ते और मन्जिल पर आज कुछ लायक है। आपका ये नालायक शिष्य ,जिन्दगी के हर पडाव में आपकी शिक्षाये काम आ रही है। आप सभी गुरूजनो का में आभार व्यक्त करता हूँ कि आप मेरे जीवन में आये और हर मुसीबत में लडने का मुझे साहस दिया। ह्रदय की गहराइयों से व आपके डंडो की पिटाइयों से मिलने वाले सबक से आपका धन्यवाद ! "खुद को जलाकर दूसरो को रोशन करने वाले सूरज के अदब को

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आदरणीय शिक्षक, 
मैं नही जानता आपका आभार किन लफ्जो से करूँ, 
मुझे ज्ञात नही मैं क्या होता गर आपका आर्शीवाद  मेरे साथ  ना होता। मुझे नही पता थे रास्ते और मन्जिल पर आज कुछ लायक है। आपका ये नालायक शिष्य ,जिन्दगी के हर पडाव में आपकी शिक्षाये काम आ रही है। आप सभी गुरूजनो का में आभार व्यक्त करता हूँ कि आप मेरे जीवन में आये और हर मुसीबत में लडने का मुझे साहस दिया। ह्रदय की गहराइयों से व आपके डंडो की पिटाइयों से मिलने वाले सबक से आपका धन्यवाद !
"खुद को जलाकर दूसरो को रोशन करने वाले सूरज के अदब को अक्सर झुक जाता है । चाँद, 
मेरे जैसे हजारों नालायको को लायक बनाने वाले सभी भास्कर रूपी शिक्षको को मेरा प्रणाम !
 आपको शिक्षक दिवस की शुभकामनाये
........आपका शिष्य #जलज_कुमार #letter आदरणीय शिक्षक, 
मैं नही जानता आपका आभार किन लफ्जो से करूँ, 
मुझे ज्ञात नही मैं क्या होता गर आपका आर्शीवाद  मेरे साथ  ना होता। मुझे नही पता थे रास्ते और मन्जिल पर आज कुछ लायक है। आपका ये नालायक शिष्य ,जिन्दगी के हर पडाव में आपकी शिक्षाये काम आ रही है। आप सभी गुरूजनो का में आभार व्यक्त करता हूँ कि आप मेरे जीवन में आये और हर मुसीबत में लडने का मुझे साहस दिया। ह्रदय की गहराइयों से व आपके डंडो की पिटाइयों से मिलने वाले सबक से आपका धन्यवाद !
"खुद को जलाकर दूसरो को रोशन करने वाले सूरज के अदब को

JALAJ KUMAR RATHOUR

#rakshabandhan #बूढी_राखी_और_बहन आज रक्षाबन्धन का दिन था सब लोग खुश थे पर लाल साहब सुबह से ही परेशान नजर आ रहे थे उदासी उनके चेहरे पर इस प्रकार बैठी थी जैसे चन्दन के पेड पर सर्प कुण्डली मार कर बैठ जाता है।वैसे भी लाल साहब उम्र के 60 सावन देख चुके थे।और शारीरिक रूप से कमजोर भी हो गये थे। हाँ थोडे दिन पहले ही उनको पैर में मोच भी लगी थी इस कारण से भी वो परेशान थे पर उनके उदास चेहरे का कारण कुछ और था वो अपनी बैठक वाले रूम में बैठे थे तभी किसी लडके ने उनके दरवाजे पर दस्तक दी।लाल साहब के पौत्र(नाती)

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#बूढी_राखी_और_बहन
आज रक्षाबन्धन का दिन था सब लोग खुश थे पर लाल साहब सुबह से ही परेशान नजर आ रहे थे उदासी उनके चेहरे पर इस प्रकार बैठी थी जैसे चन्दन के पेड पर सर्प कुण्डली मार कर बैठ जाता है।वैसे भी लाल साहब उम्र के 60 सावन देख चुके  थे।और शारीरिक रूप से कमजोर भी हो गये थे। हाँ थोडे दिन पहले ही उनको पैर में मोच भी लगी थी
इस कारण से भी वो परेशान थे पर उनके उदास चेहरे का कारण कुछ और था वो अपनी बैठक वाले रूम में बैठे थे तभी किसी लडके ने उनके दरवाजे पर दस्तक दी।लाल साहब के पौत्र(नाती) ने तुरन्त दरवाजा खोला एक नौजवान लडका बाहर दरवाजे पर एक कागज का बैग लिये खडा था नाती को वो बैग देकर वो लडका बोला ये आपके पापा की बुआ ने दिल्ली से भेजा है
नाती ने वो लाल साहब को देते हुये कहा ये पापा की बुआ ने दिल्ली से भेजा है नाती रिश्तो की धागो से अबोध था लाल साहब पहले तो अचम्भित हुये कुछ देर वाद वो बैग उन्होने खोला तो एक अजीब प्रकार की खुशी उनके चेहरे पर झलक रही थी हो भी क्यो ना कोशो दूर बैठी उनकी बहन ने उन्हे राखी के रूप में ढेर सारा प्यार भेजा था दूरियाँ और जिम्मेदारियो ने भाई बहन के दरमियाँ स्नेह को कम कर दिया था पर मिटा न पाई थीं। लाल साहब राखियो को देखकर अपने जवानी के दिनो में खो गये थे जब पहली बार शादी के बाद बहन आई थी और उनके सीने से लिपट कर रोई थी और हर बार राखी पर बुलाने की कसम माँगी थी पर परिस्थितयाँ हर लम्हा इन्सान का साथ कहाँ देती है वो दिन याद करके लाल साहब की आँखे भर आई तभी अचानक नाती ने कहा दादा जी आप रो रहे हो लाल साहब बोले बेटा रो नही रहा ये तो बस किसी का प्यार है जो झलक रहा है लाल साहब ने नाती से पूछा किसने दिया ये बैग
नाती बोला बाहर एक भईया आये थे जब लाल साहब ने बाहर देखा तो कोई नही था लाल साहब ने उस फरिश्ते को धन्यवाद कहा
लाल साहब की नजर बैग में रखे खत पर पडी लाल साहब ने काँपते हाथो से उस खत को उठाया और पढना शुरू किया...
"प्रिय भईया ,
बहुत दिन हो गये तुमसे मिले और तुम्हारी कलाई पर राखी बाँधे हुये
अब इन नजरो में तुम्हारी तस्वीर भी धुधँली सी होने लगी है कई बार सोचा मिलने आ जाऊँ पर जिम्मेदारियाँ हमेशा पैर पकड लेती है पर हर बार तुम्हे याद करके आँसू पौछ लेती हूँ आज ये राखी भेज रही हूँ अगर आने में देर हो जाये ये समझना ये भी मेरी तरह बूढी हो गयी है पर तुमसे स्नेह की डोरियाँ कमजोर नही हुई 
      आपकी बहन -लाडली
लाल साहब मुस्कराते हुये राखी को देखते है और बोल पडे मेरी लाडो की #बूढी_राखी
और राखी को हाथ पर बाँधकर नाती को पास बिठाकर अपनी बेटी का इन्तजार करने लगे....
..#जलज_कुमार #rakshabandhan 
#बूढी_राखी_और_बहन
आज रक्षाबन्धन का दिन था सब लोग खुश थे पर लाल साहब सुबह से ही परेशान नजर आ रहे थे उदासी उनके चेहरे पर इस प्रकार बैठी थी जैसे चन्दन के पेड पर सर्प कुण्डली मार कर बैठ जाता है।वैसे भी लाल साहब उम्र के 60 सावन देख चुके  थे।और शारीरिक रूप से कमजोर भी हो गये थे। हाँ थोडे दिन पहले ही उनको पैर में मोच भी लगी थी
इस कारण से भी वो परेशान थे पर उनके उदास चेहरे का कारण कुछ और था वो अपनी बैठक वाले रूम में बैठे थे तभी किसी लडके ने उनके दरवाजे पर दस्तक दी।लाल साहब के पौत्र(नाती)

JALAJ KUMAR RATHOUR

प्रेम परिपूर्ण हर किसी का होता नहीं, उदाहरण हैं कहानी कृष्ण और राधा की, एक बाँसुरी के पीछे राधा थी दीवानी संसार बचाने को अपना संसार दांव पर लगा बैठी रुकमनी, पूछता हूँ प्रश्न आज जमाने से यही, कि अगर सिया के राम हो सकते हैं, तो रुकमनी के कृष्ण क्यूँ नहीं, प्रेम तो रुकमनी को भी कृष्ण से था,

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सुबह के 7:30 बजे थे हम स्कूल की प्रार्थना करके लौटने ही वाले थे त्यो ही प्रिन्सीपल सर ने माइक पर खाँसते हुये कहा 15 अगस्त के प्रोग्राम के लिये जिसको भी नाम देने है वो कठेरिया जी और पातीराम जी को अपने नाम लिखा दे 
आज तक कभी किसी प्रोग्राम में हिस्सा नही लिया अब भी साथ चाहिए था एक दोस्त का जो बना चिंटू
हम दोनो ने सर को अपना नाम लिखवा दिया सर ने कहा ,बेटा  लन्च के बाद आ जाना हम मान चुके थे हमारा चयन हो गया है।खुशी चेहरे पर रसगुल्ले की चासनी की तरह टपक रही थी हो भी क्यू ना ये लोगो के लिये सिर्फ प्रोग्राम ही था पर हमारे लिये किसी को आखिरी बार हक से देखने का मौका था 
लन्च की बैल बची मैं और चिन्टू सीढीयो की बाधाओ को पार करते हुये जा पहुँचे नये काॅमर्स हाल में सब लोग बैठे थे शायद हम थोडा लेट हो गये थे थोडी देर बाद चिन्टू का नाम बुला वो गया और उसने कुमार सर की कविता गाई ....कोई दीवाना कहता है.....
सर ने पूरी ना सुनकर उससे मना कर दिया मैं पूरी तरह Hopeless  
हो गया था मेरा गला सूख गया था मेरा नाम बुला मैं गया और बोलने लगा......सीमा पर एक जवान .....
सर टोकते हुये बोले कहानी ना सुनाओ गीत गाओ मैने रूककर बोला सर लाइन्स के बाद गीत है सर हसँने लगे ये कैसा गीत अगर यही वाकया आज हुआ होता तो कहता सर ये गीत का Prime mover है किसी चीज को स्टार्ट करने के लिये उपयोगी चीज prime mover कहलाती है तो  हाँ मैनें गीत शुरू किया..
कि बलिदान को आँसुओ से धोना नही तुझको कसम है माँ मेरी रोना नही है।सब लोग तालियाँ बजा रहे थे मेरा चयन एक दम पक्का हो गया था वैसे मैने UPSC तो clear नही किया था मगर मेरे लिये ये उससे कम भी ना था पर मेरे चेहरे पर खुशी ना थी 
15अगस्त 2014 का दिन था सभी देशभक्ति से ओत-प्रोत थे मैं भी था पर नजरे लोहे के बडे जालीदार गेट पर टिकी थी हाँ कुबूल करता हूँ इन्तजार था मुझे किसी का, हो भी क्यू ना यार मेरे लिये उसका चेहरा Boost का काम करता था
भाई मैं अकेला ही नही हर कोई अपनी dream girl को देखरहा था
8 बजे ध्वजा रोहण हुआ हर कोई कोशिश कर रहा था की वो ऐसी जगह बैठे कि अपनी हीर से नयन चार कर सके पर प्रिन्सीपल सर खलनायक बन गये और उन्होने सब को दूर दूर बैठा दिया ....
प्रोग्राम की शुरूआत माँ सरस्वती की वन्दना से हुयी फिर देश भक्ति गीत ,हनुमान चालीसा , व बेटी पढाओ के सन्देश के साथ समापन होने वाला था मुझे याद आया कि मेरा नाम तो बुला ही नही लग रहा था मानो एक ख्वाव टूटने की कगार पर था मैं पातीराम सर के पास गया उन्हे याद आया फिर उन्होने कठेरिया सर से मुझे भेजने को कहा प्रिन्सीपल सर ने भी अनुमति दे दी 
मेरे हाथ मैं माइक था मेरे मित्र वो और उसकी सहेलिया मेरे सामने थे मैने आँखे बन्द की पर हल्की खुली थी मैनें गाना शुरू किया कि बलिदान को आँसुओ से धोना नही तुझको कसम है माँ मेरी रोना नही है..मैं गाना गाते वक्त सिर्फ उसके और उसकी चश्मे वाली सहेली को देख रहा था चश्मे वाली सहेली का निक नेम बैट्ररी था वैसे उसे देखने का कोई intention नही था...... 
पर जब जब पगलिया को देखता तो बैट्ररी के चश्मे का reflection पड जाता ।
मैं फिर भी उस पगली के कानो की बाली को ,लवो की लाली को ,निहारे जा रहा था। उसके बाल सूरज की रोशनी में सोने की तरह चमक रहे थे वो बार बार इनको कानो के पीछे ले जाने की नाकामयाब कोशिश कर रही थी अन्ततः उसने अपने  "क्लेचर" अरे वो जिससे लडकियाँ अपने आवारगी कर रहे वालो को कल्चर सिखाती है तो हाँ उसने क्लेचर को अपने दाँतो और होठो के बीच दबाकर अपने दोनो हाथो से बालो को घुमाया ही था त्यो ही तालियो की गडगडाहट बजने लगी उस समय दिल में वही गुस्सा था जो किसी हसीन ख्बाब के टूटने पर होता है।
प्रिन्सीपल सर ने पीठ थपथपाते हुये मुझे एक सौ रूपये का ईनाम दिया मैं सभी गुरूजनो का आर्शीवाद को लेकर अपने यारो के बीच आ चुका था पर मेरा दिल उस पगली की उस अदा ने चुरा लिया था कुछ  देर बाद प्रसाद वितरण हुआ सब अपने घर चले गये वैसे  मैं रात भर रोज पढने के लिये जागता था पर उस रात मैं सिर्फ उसके ख्यालो मे मगरूर था 
अगली सुबह स्कूल  जा रहा था सडक पार करने के बाद आवाज आयी रूक जा यार, मैं पीछे मुडा वो ही थी चेहरे पर एक चमक और दिल में एक सुकून आ जाता था जब भी ये दिल उसकी आवाज और साथ पाता था
उसने congratulation कहा और बोली अच्छा गाया । बस उसका  इतना कहना मेरे लिये आॅस्कर अवार्ड से कम नही था
हम काॅलेज तो साथ पहुँचे थे पर क्लास में उसे पहले जाने दिया पाँच मिनट बाद मैं गया वो और उसकी सहेली बैट्ररी साथ बैठी थी बैट्ररी बोली तूने कैसे गाया मैने इशारा पगली की तरफ करते हुये कहा बस तेरे चश्मे के reflection   ने हिम्मत दे रखी थी
उसे, वो मेरा पहला इशारा था दोस्ती को मोहब्बत में बदलने का 
काश वो समझ पाती..
.#जलज_कुमार" प्रेम परिपूर्ण हर किसी का होता नहीं, 
उदाहरण हैं कहानी  कृष्ण और राधा की, 
एक बाँसुरी के पीछे राधा थी दीवानी
संसार बचाने को अपना संसार दांव पर लगा बैठी रुकमनी, 
पूछता हूँ प्रश्न आज जमाने से यही, 
कि अगर सिया के राम हो सकते हैं, 
तो रुकमनी के कृष्ण क्यूँ नहीं, 
प्रेम तो रुकमनी को भी कृष्ण से था,

JALAJ KUMAR RATHOUR

बे आबरू हुई वो रोटी से रू-ब-रू होने को,

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बे आबरू  हुई वो रोटी से रू-ब-रू होने को,
जिस्म की भूख ने मिटाया आज पेट की भूख को, 
.... #जलज_कुमार बे आबरू  हुई वो रोटी से रू-ब-रू होने को,

JALAJ KUMAR RATHOUR

सरहद पर तैनात सिपाही की बचपन बाली लोहड़ी की याद.............. फिर से आज वही पिंड बिच महफ़िल साजानी है, दुल्ला भट्टी की कहानी सबको सुनानी है, सारे गाँव में गुड तिलकुट बटवानी है, ए पाजी मैनू बचपन वाली लोहडी फिर से मनानी है, लकड़ियो के बीच आग में सारी नफ़रत जलानी, एक दूजे के दिल में एहतराम की कलियाँ खिलानी , भूलगये है जो गोविंद साहब को,

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सरहद पर तैनात सिपाही की बचपन बाली लोहड़ी की याद.............. 
फिर से आज वही पिंड बिच महफ़िल साजानी है, 
दुल्ला भट्टी की कहानी सबको सुनानी है, 
सारे गाँव में गुड तिलकुट बटवानी है, 
ए पाजी मैनू बचपन वाली लोहडी फिर से मनानी है, 
लकड़ियो के बीच आग में सारी नफ़रत जलानी, 
एक दूजे के दिल में एहतराम की कलियाँ खिलानी , 
भूलगये है जो गोविंद साहब को, 
उनको फिर से उनकी वीरता की याद दिलानी है, 
ए पाजी मैनू बचपन वाली लोहडी फिर से मनानी है, 
चने दा साग और मक्के दी रोटी बेबे नू हाथो से खानी है, 
बापू से पैसे ले रेवडी गजक  लानी है, 
कन्डे लकड़ियो का टाल लगा आग जलानी है, 
ए पाजी मैनू बचपन वाली लोहडी फिर से मनानी है, 
यारो अब कहाँ वो बीती यादें फिर से आनी है, 
सोचकर उनको अब सिर्फ आँखो बिच पानी है, 
कहाँ अब वो पिंड दी छोरी मेरी दीवानी है, 
ए पाजी मैनू बचपन वाली लोहडी फिर से, 
मेरे गाँव बिच मनानी है, 
...... #जलज_कुमार
#लोहडी
#सैनिक
लोहड़ी दी लख-लख बधाई सरहद पर तैनात सिपाही की बचपन बाली लोहड़ी की याद.............. 
फिर से आज वही पिंड बिच महफ़िल साजानी है, 
दुल्ला भट्टी की कहानी सबको सुनानी है, 
सारे गाँव में गुड तिलकुट बटवानी है, 
ए पाजी मैनू बचपन वाली लोहडी फिर से मनानी है, 
लकड़ियो के बीच आग में सारी नफ़रत जलानी, 
एक दूजे के दिल में एहतराम की कलियाँ खिलानी , 
भूलगये है जो गोविंद साहब को,

JALAJ KUMAR RATHOUR

मैं नही जानता आपका आभार किन लफ्जो से करूँ मुझे ज्ञात नही मैं क्या होता गर आपका आर्शीवाद ना मेरे साथ होता , मुझे नही पता था रास्ता और मन्जिल, पर आज कुछ लायक है आपका ये नालायक शिष्य, जिन्दगी के हर पडाव में आपकी शिक्षाये काम आ रही है, आप सभी गुरूजनो का में आभार व्यक्त करता हूँ , कि आप मेरे जीवन में आये , और हर मुसीबत में लडने का मुझे साहस दिया

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मुझे अपने टीचर से कहना है कि मैं नही जानता आपका आभार किन लफ्जो से करूँ
मुझे ज्ञात नही मैं क्या होता गर आपका आर्शीवाद ना मेरे साथ  होता ,
मुझे नही पता था रास्ता और मन्जिल,
पर आज कुछ लायक है आपका ये नालायक शिष्य,
जिन्दगी के हर पडाव में आपकी शिक्षाये काम आ रही है,
आप सभी टीचर का में आभार व्यक्त करता हूँ ,
कि आप मेरे जीवन में आये ,
और हर मुसीबत में लडने का मुझे साहस दिया
धन्यवाद !
खुद को जलाकर दूसरो को रोशन
करने वाले सूरज के अदब को अक्सर झुक जाता है चाँद
मेरे जिन्दगी को सवाँरने वाले सभी भास्कर रूपी गुरूओ को मेरा प्रणाम !
 आपको शिक्षक दिवस की शुभकामनाये
........आपका शिष्य #जलज_कुमार मैं नही जानता आपका आभार किन लफ्जो से करूँ
मुझे ज्ञात नही मैं क्या होता गर आपका आर्शीवाद ना मेरे साथ  होता ,
मुझे नही पता था रास्ता और मन्जिल,
पर आज कुछ लायक है आपका ये नालायक शिष्य,
जिन्दगी के हर पडाव में आपकी शिक्षाये काम आ रही है,
आप सभी गुरूजनो का में आभार व्यक्त करता हूँ ,
कि आप मेरे जीवन में आये ,
और हर मुसीबत में लडने का मुझे साहस दिया

JALAJ KUMAR RATHOUR

खर्च कर दी हमने जिंदगी अपनी चंद सिक्को में, शायद मिल सके खुशी मेरे अपनो के हिस्सों में, कैद ना हो उनके सपने ख्वावो की गुल्लकों, बस इसी लिए टूटने पर भी खुद को जोड़ता रहा में...... #जलज_कुमार

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ओंस की बूँद चेहरे पर पड़ रही थी। खर्च कर दी हमने जिंदगी अपनी चंद सिक्को में, 
शायद मिल सके खुशी मेरे अपनो के हिस्सों में, 
कैद ना हो उनके सपने ख्वावो की गुल्लकों, 
बस इसी लिए टूटने पर  भी खुद को जोड़ता रहा में...... #जलज_कुमार

 #NojotoQuote खर्च कर दी हमने जिंदगी अपनी चंद सिक्को में, 
शायद मिल सके खुशी मेरे अपनो के हिस्सों में, 
कैद ना हो उनके सपने ख्वावो की गुल्लकों, 
बस इसी लिए टूटने पर  भी खुद को जोड़ता रहा में...... #जलज_कुमार

JALAJ KUMAR RATHOUR

खर्च कर दी हमने जिंदगी अपनी चंद सिक्को में, शायद मिल सके खुशी मेरे अपनो के हिस्सों में, कैद ना हो उनके सपने ख्वावो की गुल्लकों, बस इसी लिए टूटने पर भी खुद को जोड़ता रहा में...... #जलज_कुमार

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खर्च कर दी हमने जिंदगी अपनी चंद सिक्को में, 
शायद मिल सके खुशी मेरे अपनो के हिस्सों में, 
कैद ना हो उनके सपने ख्वावो की गुल्लकों, 
बस इसी लिए टूटने पर  भी खुद को जोड़ता रहा में...... #जलज_कुमार

 #gif खर्च कर दी हमने जिंदगी अपनी चंद सिक्को में, 
शायद मिल सके खुशी मेरे अपनो के हिस्सों में, 
कैद ना हो उनके सपने ख्वावो की गुल्लकों, 
बस इसी लिए टूटने पर  भी खुद को जोड़ता रहा में...... #जलज_कुमार

JALAJ KUMAR RATHOUR

सुहानी, जैसा नाम बिलकुल वैसी ही, पागल, और बेफिक्र, जब भी मिलो तो जिंदगी की परेशानीयों से कोशो दूर रहती, और हँसी तो जैसे चलता फिरता कार्टून नेटवर्क चैनल..पहली बार जब GLA university में मिली तो यही बोली थी शर्माओ ना जलज खुल कर बोलो... और आज कल" मुंह बन्द रख अपना " का ताना देती है सच्ची में सोचा नही था की खुदा मुझे इतनी अच्छी,

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सुहानी, 
जैसा नाम बिलकुल वैसी ही, पागल,  और बेफिक्र, 
जब भी मिलो तो जिंदगी की परेशानीयों से  कोशो दूर रहती, 
और हँसी तो जैसे चलता फिरता कार्टून नेटवर्क  चैनल..पहली बार जब GLA university में मिली तो यही बोली थी  शर्माओ ना जलज खुल कर बोलो...
और आज कल" मुंह बन्द रख अपना " का ताना देती है
सच्ची में सोचा नही था की खुदा मुझे इतनी अच्छी, 
 care करने वाली फ्रेंड, सिस्टर और मेंटर से मिलवायेगा।
l जिंदगी का क्या है ये यूँ ही गुज़र जाएगी 
मगर सच में जो यादें तेरे साथ बनायी है हमे ताउम्र हंसायेगी।  तुझे एक बात कहूंगा की जिंदगी हमारा हर वक्त इन्तहाम लेती है और जिंदगी की इस दौड़ में जीतता वही है जो इसका सामना करता है मगर कभी कभी सामना करने वाला कमजोर पड जाता है मगर मुझे उम्मीद ही नहीं पूर्ण विश्वास है की तू प्रत्येक कठनाई को आसानी से पार का लेगी मगर तुझे जब भी  किसी अपने की जरूरत हो तो मुझे याद करना ,मुझे उम्मीद है की मैं तेरी उम्मीदों पर खरा उतरुँगा... 
तेरा शुक्रिया मुझे अपना समझने के लिए, 
मुझ पर विश्वास जताने के लिए, 
मुझे डाटं डपट कर सिखाने के लिए, 
मेरी मुसीबतो में मेरा साथ निभाने के लिए, 
और "तू पागल हो गया है क्या?"बताने के लिये, 
और SORRY 😔 मुझसे जाने अनजाने में हुई गलतियो के लिए....
और शुक्रिया मेरे बेबाक हँसी की वजह बनने के लिए
शुक्रिया #उनका हाल बताने के लिये, 
और शुक्रिया DEI का सफ़र सुहाना बनाने के लिए, 
...........#Thank u #Suhani... (Motu) 😂
 #जलज_कुमार _राठौर #NojotoQuote सुहानी, 
जैसा नाम बिलकुल वैसी ही, 
पागल,  और बेफिक्र, 
जब भी मिलो तो जिंदगी की परेशानीयों से  कोशो दूर
रहती, 
और हँसी तो जैसे चलता फिरता कार्टून नेटवर्क  चैनल..पहली बार जब GLA university में मिली तो यही बोली थी  शर्माओ ना जलज खुल कर बोलो...
और आज कल" मुंह बन्द रख अपना " का ताना देती है
सच्ची में सोचा नही था की खुदा मुझे इतनी अच्छी,

JALAJ KUMAR RATHOUR

बेमानी सी लगती थी ये सारी कायनात जब तू हमे अपनी बाहों के घेरे में समेटती थी ..... #जलज_कुमार

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एक शाम थी ढली,  रोशन थी गली... बेमानी सी लगती थी ये सारी कायनात, 
जब तू हमे अपनी बाहों के घेरे में समेटती थी
..... #जलज_कुमार #NojotoQuote बेमानी सी लगती थी ये सारी कायनात
जब तू हमे अपनी बाहों के घेरे में समेटती थी
..... #जलज_कुमार
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