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AMBIKA PRASAD NANDAN
चारु चंद्र की चंचल किरनें, खेल रहीं हैं जल थल में! स्वच्छ चाँदनी बिछी हुई है ,अवनि और अंबर तल में!! पुलक प्रकट करतीं हैं धरती,हरित तृणों के नोको से! मानों झूम रहे हैं तरु भी मंद पवन के झोंकों से!! पंचवटी की छाया में है सुन्दर पर्ण कुटीर बना! उसके सम्मुख स्वच्छ शिला पर धीर वीर निर्भीक मना!! जाग रहा वह कौन धनुर्धर जबकि भुवन भर सोता है! भोगी कुसुम आयुध योगी सा बना दृष्टिगत होता है!! किस व्रत में है व्रती वीर वह निद्रा का यों त्याग किये! राज भोग के योग्य विपिन में बैठा आज विराग लिये!! बना हुआ है प्रहरी जिसका उस कुटिया में क्या धन है? जिसकी सेवा में रत उसका तन है मन है जीवन है!! मृत्युलोक मालिन्य मिटाने स्वामी संग जो आयीं है! तीन लोक की लक्ष्मी ने यह कुटी आज अपनायी है!! वीर वंश की लाज वही है फिर क्यों वीर न हों प्रहरी! विजन देश है निशा शेष है निशाचरि माया ठहरी!! #पंचवटी से #मैथिलीशरणगुप्त ##कविदिवस ©AMBIKA PRASAD NANDAN #राष्ट्रकविमैथिलीशरणगुप्तजन्मदिवस जयश्री_RAM Ashutosh Mishra shiza Dharmendra Ray Student Student हिंदी कविता
#राष्ट्रकविमैथिलीशरणगुप्तजन्मदिवस जयश्री_RAM Ashutosh Mishra shiza Dharmendra Ray Student Student हिंदी कविता
read moreएक इबादत
त्रेता का एक -एक पात्र , कण -कण मर्यादा सिखलाता है, लखनलाल का धैर्य , त्याग,निश्छल -निस्वार्थ और सेवा भाव, भाई -भाभी के प्रति समर्पण , माफ करना ! किन्तु मेरे लिए प्रभु श्री राम से भी श्रेष्ठ लक्ष्मण भईया नज़र आते है...!! जाग रहा यह कौन धनुर्धर जब कि भुवन भर सोता है ? ये पंक्तियाँ मैथिलीशरण गुप्त की रचना 'पंचवटी' से है। गुप्त जी ने यह लखनलाल के लिए लिखा है। भुवन का अर्थ होता है संसार यह कौन धनुर्धर है जो जग रहा है जबकि पूरा संसार सो रहा है ?
जाग रहा यह कौन धनुर्धर जब कि भुवन भर सोता है ? ये पंक्तियाँ मैथिलीशरण गुप्त की रचना 'पंचवटी' से है। गुप्त जी ने यह लखनलाल के लिए लिखा है। भुवन का अर्थ होता है संसार यह कौन धनुर्धर है जो जग रहा है जबकि पूरा संसार सो रहा है ?
read moreAnupama Jha
साहित्याकाश के तारे (कविता अनुशीर्षक में) #yqhindipoetry #दिनकर #मैथिलीशरणगुप्त #निराला #बच्चन #जयशंकरप्रसाद #महादेवी_वर्मा #पंत साहित्याकाश में चमक रहे असंख्य सितारे हैं काव्यों को नमन इनके ये गौरव हमारे हैं रश्मियाँ निकलती हैं "रश्मिरथी" से "उर्वशी" से होता सौंदर्य श्रृंगार है
#yqhindipoetry #दिनकर #मैथिलीशरणगुप्त #निराला #बच्चन #जयशंकरप्रसाद #महादेवी_वर्मा #पंत साहित्याकाश में चमक रहे असंख्य सितारे हैं काव्यों को नमन इनके ये गौरव हमारे हैं रश्मियाँ निकलती हैं "रश्मिरथी" से "उर्वशी" से होता सौंदर्य श्रृंगार है
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