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Anil Siwach
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12 ।।श्री हरिः।। 7 - निष्ठा की विजय 'मैं महाशिल्पी को बलात् अवरुद्ध करने का साहस नहीं कर सकता।' स्वरों में नम्रता थी और वह दीर्घकाय सुगठित शरीर भव्य पुरुष सैनिक वेश में भी सौजन्य की मूर्ति प्रतीत हो रहा था। वह समभ नहीं पा रहा था कि आज इस कलाकार को कैसे समभावें। 'मेरे अन्वेषक पोतों ने समाचार दिया है कि प्रवाल द्वीपों के समीप दस्यु-नौकाओं के समूह एकत्र हो रहे हैं। ये आरब्य म्लेच्छ दस्यु कितने नृशंस हैं, यह श्रीमान से अविदित नहीं है और महाशिल्पी सौराष्ट्र के
read moreShankar Lal Dhangar
बैंक ऑफ बड़ोदा जावरा द्वारा ग्राम चौपाल का, आयोजन किया जा रहा है सभी ग्राम किये सम्माननीय कृषक बंधुओं, से, निवेदन, है, कि वह अधिक से, अधिक संख्या में पधारे। और इस ग्राम चौपाल में ब्रांच से पधारे। अतिथियों अधिकारियों, का, अभिवादन, करें, और, बैंक संबंध, में, जानकारी, का आनंद लें, लाभ उठाये।
Anil Siwach
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 9 || श्री हरि: || 2 - शरण या कृपा? 'मेरा लडका शरण चाहता है महाराणा।' गोस्वामी श्रीगोविन्दरायजी के नेत्र भर आये थे। उनका स्वागत- सत्कार हुआ था, उनके प्रति सम्मान अर्पित करनेमें महाराणाने कोई संकोच नहीं किया था, किंतु गोस्वामीजी को तो यह स्वागत-सम्मान नहीं चाहिय। उनके ह्रदय में जो दारुण वेदना है उसे शान्त करनेवाला आश्वासन चाहिय उन्हे। 'आज़ एक वर्षसे अधिक हो गया मेरे पुत्रको भटकते। यवन सत्ताधारी चमत्कार देखना चाहता है। चमत्कार कहाँ धरा है मेरे पास और मेरा नन्ह
read moreLalit Kushwah
£@£!t... आज मेरे प्रभु रूबरू आ गए इन आँखों से अश्क़ बहने लगे... 👇 आज मेरे प्रभु रूबरू आ गए।। आज मेरे प्रभु रूबरू आ गए आज मेरे प्रभु रूबरू आ गए इन आँखों से अश्क बहने लगे इन आँखों से अश्क बहने लगे दिल ऐसा भरा भरता ही गया दिल ऐसा भरा भरता ही गया
आज मेरे प्रभु रूबरू आ गए।। आज मेरे प्रभु रूबरू आ गए आज मेरे प्रभु रूबरू आ गए इन आँखों से अश्क बहने लगे इन आँखों से अश्क बहने लगे दिल ऐसा भरा भरता ही गया दिल ऐसा भरा भरता ही गया
read moreAnil Siwach
|| श्री हरि: || 2 - शरण या कृपा? 'मेरा लडका शरण चाहता है महाराणा।' गोस्वामी श्रीगोविन्दरायजी के नेत्र भर आये थे। उनका स्वागत- सत्कार हुआ था, उनके प्रति सम्मान अर्पित करनेमें महाराणाने कोई संकोच नहीं किया था, किंतु गोस्वामीजी को तो यह स्वागत-सम्मान नहीं चाहिय। उनके ह्रदय में जो दारुण वेदना है उसे शान्त करनेवाला आश्वासन चाहिय उन्हे। 'आज़ एक वर्षसे अधिक हो गया मेरे पुत्रको भटकते। यवन सत्ताधारी चमत्कार देखना चाहता है। चमत्कार कहाँ धरा है मेरे पास और मेरा नन्हा सुकुमार लाल चमत्कार क्या जाने। यवनों के
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