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Priya's poetry life

#smog

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KRISHNA

#smog

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writer babu

#smog

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Vickram

#smog वो तुम्ही थे जिसने अपनी हमेशा मदद की,,

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qais majaz,dark

#smog

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क्या तू भी ये गुनाह करेगा
इश्क़ में खुद को फ़ना करेगा
मत कर इस टूटे दिल पे नज़र
नीम शब में खुद की आहों फुगा सुना करेगा 
जिन राहो पे फूल महज़ दिख रहे है अभी
हाल वो होगा के खार खुद चुना करेगा
खिड़की से तकेगा राहों को
खो जाएगा किसी की आहों में
किसी को गर अपना आईना करेगा
सुनाता हूँ पैगाम इश्क़ का बुरा है दोस्त अंजाम इश्क़ का 
सारी रात आएगी याद महज़ तारे ही तो गिना करेगा
मत कर ये कारोबार रायगा है ये रोज़गार
रोएगा गर दिलों का सौदा करेगा
जाने किस परी की परछाई
जाम के साथ शाम में फ़िर नज़र आई
एक के चार नज़र आएंगे गर इतना नशा करेगा
स्याह शब है ग़म की, ये नहीं कोई मेहताब
मोहब्बत की बातो से अब उदास क्यों हो जाते है जनाब
तुझे लगा था बहुत मज़ा करेगा
जा रेल की पटरियों पे है इक परी चेहरा जिसका है रंग तेरी तरह सुर्ख गहराई
शायद उसे इंतेज़ार हो तेरा
देखना चाहती है वो तेरे सर पे सहरा
अब जल्दी कूच कर, वर्ना ता उम्र पछताएगा अब देर ज़रा करेगा
और आँखें भरा करेगा
ले जा साथ इस फ़कीर की दुआ
हिफाज़त करे तेरी खुदा
मौला तेरा भला करेगा

©qais majaaz,3rdmaster #smog

qais majaz,dark

#smog

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Tum nurse ho acha 
To meri nabz dekho
Beemar to nhi hu mai 
Acha bahane se aya hu

Aate jaate samandar ko ese dekhta 
Ek samandar h mujhme bhi regta 
Jese samandar ka hu Mai devta

रूह फ़ना है जिस्म हल्के हैं
आँखों से सिर्फ अश्क़ ढलके हैं
सब इक दुसरे से लड़ते है
जैसे आ गए हो तेखाने में
ये गर इंसान है तो अच्छे है फ़िर शराबी मैखाने में
किसान परेशान आज का इंसान बेरोजगार भुखमरी का शिकार
वहां शराब छलकती अमीर के पैमाने में
ऐ खुदा सुन दुआ जो ताज ओ तख़्त पलट दे
ऐसा कोई मसीहा पैदा कर इस ज़माने में
ये उदास चेहरे अनपढ़ बादशाह पढ़ना ना जाने
धर्म के नाम पे दंगे मिलते है नज़राने में
और ये झूठी मिडिया कोई दबा दो इनका टेटुआ
इन्हे कोई सनद हासिल है सच को छुपाने में
बहुत सहल है बस्ती में आग लगाना
किसी का घर ढाना,सुन हरामखोर
तेरी सारी ज़िन्दगी गुज़र जाएगी एक आशियाना बनाने में
अभी झुलसी है राख़ है बस आशियाने की
अभी एक मुद्दत लगेगी वक्त आने में फ़िज़ा आने में
इंकलाब का कोई चराग जलाने में
गहरी तन्हाई और स्याह रात में निकलते है कुछ जज़्बात
तु अभी और शराब डाल दे खाली पैमाने में

©qais majaaz,3rdmaster #smog

qais majaz,dark

#smog

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गोदी मिडिया 5
ये सारी गोदी मीडिया लगती है मुझे चूतिया
किसी ने आराधना की तो किसी ने पढ़ी दुआ
ये कहती है फ़िर के मुस्लिमो ने थूक दिया
आम इंसान की दलील लगती है इन्हे मटमेली
अंधभक्तों की जुबां लगे दूधिया
ले master आ गया मैदान में
इन पे फ़िर मैंने थूक दिया
अंधभक्ति करते हो नेताओं की
दिमाग में पड़ गई है क्या गठिया
सुबह सुबह कर देते हो शुरू धर्मों की राजनीति 
अफीम चख ली है या मार के आ गए हो सुबह ही मुठिया
रगड़ दू इन्हे पत्थरो में
छोड़ आऊ क्या खण्डरो में
या खींच लूँ इस मीडिया की चुटिया
जाहिलाना इरादे इनके
ये reporting क्या ख़ाक करेंगे
मज़लूमो से लेते है चुटकीयाँ
मिला ज़रा आँख दे दूँ हलक में हाथ
लाया हूँ खुराक तसल्ली बख्श करता हूँ इलाज क्योंकि इन्हे हो गया है समाज में नफरत फैलाने का पीलिया
देदो जाहिल नेताओं के हाथ में इन का हाथ पीले करो इन के हाथ
मानती नहीं ये गोदी मीडिया जैसे कुत्तो से मिलने को तरसे कुतिया

©qais majaaz,3rdmaster #smog

qais majaz,dark

#smog

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उदास शामें 
दिल में अभी एक शौर बपा है
कुछ मुझ में उलझा हुआ है
आईने से मुझे यूँ कौन घूरता है
जाने कौन सा शख्स मेरी रूह में पोशिदा है
कभी साद है आज कल बे आवाज़ है
कभी संजीदा कभी रंजीदा है
रात के गहरे सन्नाटे में कुछ कहता है
दिल की लाखों परतों के नीचे दबा रहता है
पत्ता कोई गिरे तो किसी के आने का वहम सा रहता है
मन मैं है आखिर कौन वो जो इतना सहमा रहता है
कल्ब के किसी खंडर में यादों का मजमा रहता है
ऐ मेरी तहरीरो को पढ़ने वालो 
क्या तुमने किसी का टूटा हुआ मकाँ देखा है
पहले चिंगारी फ़िर राख़ और फ़िर धुँआ देखा है
गहरी अफसुर्दगी का क्या कोई कुआँ देखा है
इख़्तियार में ना हो क्या ऐसा ज़िन्दगी का जुआ देखा है 
एक जाम की उदास शाम फ़िर शायद इस के बाद सहर ना हो
डूबता हुआ सूरज मुझसे कहता है
तुम शायद उकता जाओ ऐ राहगीरो
ये यादें ख़ामोशी तन्हाई और उदासी
इन से तो मेरा गहरा रिश्ता रहता है

©qais majaaz,3rdmaster #smog

qais majaz,dark

#smog

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जिसने भूख देखी हो
वो दाने दाने की क़ीमत जानता है
जिसने सही हो नफरते वही तो मोहबत जानता है
जिस शख्स से देखे है हादसे
असल मायनो में वही तो गुरबत जानता है
जिसे मिली हो अच्छी परवरिश
वही तो बुज़ुर्गो की खिदमत जानता है

ye fiza ye subha ki saba,, ye gulshan upvan madhosh karta hai ye haseen panghat
Is nayab gulshan me hai titliyo ka jamghat,, bhanvre kaliyan daaliya karti hai guftgu,, masti me koyal gaati hai ku ku,, aur khushbue bikherti hai qudrat yahan har su,,

dil karta h in labo k jaam peeta rahu
Aarzu h meri k in zulfo tale jeeta rahu

Ye kuch nishaaniya mere paas rehne do
Guzri hui kuch kahaniya  mere paas rehne do
Mere sath gamgeen  tum bhi ho jaaogi
Ye gham mera hai ise tanha mujhe hi sehne do
Chalaki aap apnd paas rakhiye huzoor
Mujhme tum ek naadani rehne do
Aaj javaan ho kar tagaful karte ho
Mere paas vahi bachpan ki prem kahani rehne do
Dilo me nafrat ki aag tumne khud lagai h
Mere paas tum kagaz ki kashti aur barish ka paani rehne do
Talkh alfaaz khoob tum bolo
Tabdeel lazeez tehreero me kr dunga
Jao tum na sun sakoge Chodo meri ishq bayani rehne do
Ye uns ulfat ishq mohbat
Tum aankho se samjh hi na sake
Kya kahun mai ab zabaani rehne do
Us dareena kitab ko mat kholo, sookha ek gulab h usme 
Samajh jaoge tum ishq mera ab us bat ko jaani rehne do

©qais majaaz,3rdmaster #smog

qais majaz,dark

#smog

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और हो 2(rockstar)
मेरी बेबसी का बयान है
पीछे गमो की आग आगे शमशान है
जाने इस लम्हे क्या कर जाऊँ
हद से गुज़र जाऊ या मर जाऊ
और हो और हो नासाज़ से साज़ का शौर हो 
ज़िन्दगी खोगई कहीं,जूँ पतंग की कटी डोर हो
फ़िर महव ए ख्वाब में देखा खुद को बर्बाद
इस अफसुर्दगी की नहीं है कोई मियाद 
खुर्शीद आ गया सर पे गिर गई साये की दीवार 
रह गई फकत ख़्वाबों की राख़
और आग का धुँआ,जाने क्या हो गई इस्याँ
और हो और हो नासाज़ से साज़ का शौर हो 
चुरा के ले जाए मुझे यहाँ से खुशियों के जहाँ में
अँधेरे से निकाल के रोशन आईने के दरमियान में
कोई कहीं तो ऐसा चोर हो,खार में लिपटा गुलाब है
पीया जिसे पानी समझ के,वो निकला ज़हराब है
फकत यादें है यख बस्ता,किसी से रहा ही नहीं वास्ता
कभी था तेरी गलियों से मेरा राब्ता
किस्मत ने बना दिया मुझे फ़कीर रास्ते का
यानि मैं इक असीर गुरबत के क़ैदखाने का,किस्मत और वक्त चाहे जितने सितम कर ले
लेकिन ये एक भी अंदाज़ जानते नहीं इस दीवाने का
दौर ए हाज़िर का मजाज़ हूँ 
और मैं क़ैस हूँ गुज़रे ज़माने का
 ग़म का बादल जब भी छाएगा,मैं रास्ता पकड़ लूंगा मैखाने का
इस ज़माने से मैं मावरा
सड़को पे भटकता आवारा,फ़िज़ाओ से जैसे टकरा जाता है भंवरा
अपनी धुन में चलता जाता है कोई सूफ़ी
या बंजारा
रातो का हूँ शैदाई में,एक इल्म छुपा है तन्हाई में
एक आतिश है इस कलम की परछाई में,कभी कभी खुद का ही हूँ हरजाई मैं
कलम खुद खो जाती है शहनाई में,कभी हर शख्स खो जाता है तहरीरो की गहराई में
अब तो वहां तक पहुंचा दे मौला
कहीं लाश ना बन जाए हम उसकी जुदाई में

©qais majaaz,3rdmaster #smog
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