Find the Best दूत Shayari, Status, Quotes from top creators only on Gokahani App. Also find trending photos & videos aboutईश्वर का दूत, कूटनीति दूत,
CalmKazi
मौत से मुखातिब, जो हुई मेरी रूह पंगत बैठी की आगे क्या होगा ? जवाब नहीं थे बस कहने को यही था, "मुझे या तो फिर मत भेजना वापस ! या फिर बुत किसी मंदिर में रख देना । जो देखने और सुनने का है तालमेल शायद समझ जाऊँगा । खुदा का नज़रिया क्या है, वो सीख जाऊँगा" हँस पड़ा वो दूत उधर ही "नहीं सुनी ऐसी पैरवी कभी ! जो तुझे नजरिया ही देना होता, तो आज तेरे सामने मैं नहीं वो ख़ुदा ही खड़ा होता ।" Part 1 of #MautAurMain #GOD #CalmKaziWrites #YQDidi #YQBaba #death topic given by Oindrila Majumdar मुलाक़ात
Part 1 of #MautAurMain #God #calmkaziwrites #yqdidi #yqbaba #Death topic given by Oindrila Majumdar मुलाक़ात
read more3 Little Hearts
कच्चे धागे कभी मज़बूत नहीं होते, कबूतरों से अच्छे दूत नहीं होते। तू ने खुद ख़ौफ़ पैदा कर रखा है विष्णु, ये आत्मा होती है, आदमी की, भूत नहीं होते। ©Vishnuuu X #soul #भूत #आत्मा #खौफ #कबूतर #दूत #रिश्ते
प्रDeeP परमार
यारो के यार ओर #यमराज के #दूत है मौका कभी मत देना तुम #औकात दिखाने का बेटा हम #क्षत्रिय #राजपूत हैं #Heart #क्षत्रिय #राजपूत #यमराज
Anil Siwach
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 4 – कर्म 'कुछ कर्मों के करने से पुण्य होता है, और कुछ के न करने से। कुछ कर्मों के करने से पाप होता है और कुछ के न करने से।' धर्मराज अपने अनुचरों को समझा रहे थे। 'कर्म संस्कार का रूप धारण करके फलोत्पादन करते हैं। संस्कार होता है आसक्ति से और आसक्ति क्रिया एवं क्रियात्याग, दोनों में होती है। यदि आसक्ति न हो तो संस्कार न बनेंगे। अनासक्त भाव से किया हुआ कर्म या कर्मत्याग, न पुण्य का कारण होता है और न पाप का।' बड़ी विकट समस्या थी। कर्म के निर्ण
read moreAnil Siwach
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 4 – कर्म 'कुछ कर्मों के करने से पुण्य होता है, और कुछ के न करने से। कुछ कर्मों के करने से पाप होता है और कुछ के न करने से।' धर्मराज अपने अनुचरों को समझा रहे थे। 'कर्म संस्कार का रूप धारण करके फलोत्पादन करते हैं। संस्कार होता है आसक्ति से और आसक्ति क्रिया एवं क्रियात्याग, दोनों में होती है। यदि आसक्ति न हो तो संस्कार न बनेंगे। अनासक्त भाव से किया हुआ कर्म या कर्मत्याग, न पुण्य का कारण होता है और न पाप का।' बड़ी विकट समस्या थी। कर्म के निर्ण
read moreVivek Singh
सरहद पर खड़े जो वीर हैं स-जन शरीर घाव से बचाकार हमारी, लिखते जो तकदीर हैं वो ईश्वर से भेजे दूत हैं वो भारत के वीर सपूत हैं वो भारत माँ के वीर सपूत लिए हाथों में तिरंगा करते जन-मानष की रक्षा और होंठों पर नाम है गंगा यह धरती उनसे अभिभूत है वो ईश्वर से भेजे दूत हैं वीरों की यह वसुधा है देती दुश्मन को ललकार बच ना पाते बुरी नज़र वाले जब भी इसका पड़ा प्रहार वो ईश्वर से भेजे दूत हैं वो भारत के वीर सपूत हैं विवेक सिंह
Samar Ishrat Ashif
दसवीं कक्षा में जब "मुक्तिदूत" पढ़ाया गया था तब बस उस आदमी का नाम मोहनदास करमचंद गांधी है वो हमारे देश के राष्ट्रीयपिता है और प्यार से उनको बापू बोला जाता है मैं बस इतना ही जानता था। देखा जाये तो असल में बापू दूत ही तो थे दूत जिसे उर्दू में रसूल और अंग्रेजी में मैसेंजर कहा जाता है उन्होंने ही तो इस ग़ुलाम भारत को मुक्ति(अंग्रेजो से) का मार्ग दिखाया था और अपितु दिखाया ही नहीं उस पथ पर अपने जीवन के अंत तक चलते भी रहे थे। उनकी विचारधारा आज भले ही हमे बहुत धीमी और धूमिल प्रतीत होती है पर हमारे देश का अश्तित्व उसी सत्य और अहिंसा की विचारधारा पर टिका है ये विचारधारा उस बीज की तरह है जो बहुत वक़्त लेता है पेड़ बनने में पर जब वो वृक्ष बन जाता है तो सालोसाल अपना लाभ देता रहता है।अपने कुछ भटके मित्रो और सहकर्मियों के मुँह से अक्सर बापू के बारे में अपशब्द सुनने को मिल जाते है मैं भी उनको कोई जवाब नहीं देता क्योंकि बापू की विचारधारा हमे हर बात मुस्कुरा कर सहना सिखाती है और सही वक़्त पे जवाब देना भी सिखाती है। जो भटके हुए है सत्य और अहिंसा के मार्ग से, जिन्होंने दूर दूर तक ग़ुलामी की मार को कभी नहीं सहा वो कैसे बापू और उनकी विचारधारा को समझ सकते है। चाहे रावण को कितना भी विद्वान् बोला जाये या उसके मंदिर भी बना दिए जाए पर पूजे हमेशा प्रभु श्री रामचन्द्र ही जायेंगे, चाहे हम भैरो बाबा के मंदिर में कितने भी शीश झुका ले पर हमारे दिलों में और हमारे घरों में सदा माँ वैष्णो ही विराजमान रहेंगी, चाहे कितने भी फिरौन हमारी राजगद्दी पे बैठ जाए पर हम सब हमेशा पैगम्बर मूसा को ही अपना इष्ट मानेंगे,,, चाहे कितने भी गोदसेवादी आ जाये इस धरती पे पर बापू की विचारधारा ही सदा सर्वोपरि रहेगी। इंसान भले ही दुनिया से चला जाए पर उसकी विचारधारा सदा जनजन के दिलो में जिन्दा रहती है आज भी इस देश को बापू के नाम से जाना जाता है आज भी जब किसी बड़े देश का मंत्री भारत आता है तो सबसे पहले बापू की समाधी पर ही जाता है । सत्य और अहिंसा की विचारधारा इस मुल्क की आत्मा है आप भले ही शरीर को लाख मैला कर दो पर उसकी आत्मा को आप अशुद्ध नहीं कर सकते। हम सबका एक ही नारा। सत्य अहिंसा हो धर्म हमारा।। बापू की उनकी पुण्यतिथि पर शत शत नमन एक सरफिरे लेखक की कलम से.........समर।
About Nojoto | Team Nojoto | Contact Us
Creator Monetization | Creator Academy | Get Famous & Awards | Leaderboard
Terms & Conditions | Privacy Policy | Purchase & Payment Policy Guidelines | DMCA Policy | Directory | Bug Bounty Program
© NJT Network Private Limited