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Best स्वामीजी Shayari, Status, Quotes, Stories

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Pankaj Singh Chawla

वो दिल ही दिल नही जो तुझसे मिलने की फरियाद न करें मैं तुम्हे भूलकर जिंदा रहूँ ऐसा कभी खुदा न करें #कान्हा #माँ #आशीर्वाद #स्वामीजी #yqbaba #yqdidi #kishu #YourQuoteAndMine Collaborating with Twinkle Sharma

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जो तुम हो गई मिट्टी तो मुझ संग प्रीत कौन लगाएगा,
बावरी बन आपने श्याम की होश कौन गवायेगा, वो दिल ही दिल नही 
जो तुझसे मिलने की फरियाद न करें 
मैं तुम्हे भूलकर जिंदा रहूँ 
ऐसा कभी खुदा न करें 

#कान्हा #माँ #आशीर्वाद #स्वामीजी 
#yqbaba #yqdidi #kishu    #YourQuoteAndMine
Collaborating with  Twinkle Sharma

Nilesh Konde Deshmukh

Learning Hub

अभिजित त्रिपाठी

जो राष्ट्रभक्ति से  भर दे सबको, ऐसा सुरभित छंद बनो।
सूरज गर तुम  नहीं बन सको, जुगनू ही  कोई मंद बनो।
जाति - पंथ  को   जोड़  सके,  ऐसा  पावन   बंध  बनो।
उठो!  मेरे  अब  युवा  साथियों, सभी  विवेकानंद  बनो।

©अभिजित त्रिपाठी #विवेकानंद #स्वामी #स्वामीजी #सूरज #जुगनू #जाति #पंथ #छंद #युवा

Kavi Pradeep Swami

कवि प्रदीप स्वामी

©Kavi Pradeep Swami #कविप्रदीप #प्रदीपस्वामी #स्वामीजी

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 11 ।।श्री हरिः।। 8 - अर्चावतार 'स्वामी दयानन्दजी बच्चे थे, तभी वे समझ गये थे कि मूर्ति भगवान् नहीं है और आप........।' 'आप स्वामी दयानन्दजी की बात नहीं कर रहे हैं' उन विद्वान को बीच में ही रोक कर मैंने कहा - 'आप तो बालक मूलशंकर की बात कर रहे हैं इस समय। स्वामी दयानन्दजी तो वे बहुत पीछे हुए और आप भी जानते हैं कि स्वामी होने के बाद भी कई वर्षों तक दयानन्दजी शिवमूर्ति की पूजा करते रहे हैं।'

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 11

।।श्री हरिः।।
8 - अर्चावतार

'स्वामी दयानन्दजी बच्चे थे, तभी वे समझ गये थे कि मूर्ति भगवान् नहीं है और आप........।' 

'आप स्वामी दयानन्दजी की बात नहीं कर रहे हैं' उन विद्वान को बीच में ही रोक कर मैंने कहा - 'आप तो बालक मूलशंकर की बात कर रहे हैं इस समय। स्वामी दयानन्दजी तो वे बहुत पीछे हुए और आप भी जानते हैं कि स्वामी होने के बाद भी कई वर्षों तक दयानन्दजी शिवमूर्ति की पूजा करते रहे हैं।'

Narendra Singh Yadav

तीर्थ दर्शन / राजसत्ता सुख दिलाने वाला है मां पीतांबरा सिद्धपीठ, 1935 में हुई थी मातृ शक्ति की आराधना नवरात्र पर्व में देश के विभिन्न मंदिरों पर भक्तों का तांता लगा हुआ है। इस मौके पर आपको मध्यप्रदेश के दतिया जिले में स्थित मां पीतांबरा के मंदिर के बारे में बता रहे हैं। इस सिद्धपीठ की स्थापना 1935 में स्वामीजी के द्वारा की गई। यहां पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी या अटल बिहारी वाजपेयी हो या फिर राजमाता विजयाराजे सिंधिया ही क्यों न हो सभी ने माता का आशीर्वाद प्राप्त किया।। ऐेसा माना जाता है कि इस स्थान पर आने वाले की मुराद जरूर पूरी होती है, उन्हे राजसत्ता का सुख जरूर मिलता है। मंदिर के बारे में महत्वपूर्ण बातें राजसत्ता दरबार मध्यप्रदेश के दतिया जिले में स्थित मां पीतांबरा को राजसत्ता की देवी माना जाता है। इसी रूप में भक्त उनकी आराधना करते हैं। राजसत्ता की कामना रखने वाले भक्त यहां आकर गुप्त पूजा अर्चना करते हैं।

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 तीर्थ दर्शन / राजसत्ता सुख दिलाने वाला है मां पीतांबरा सिद्धपीठ, 1935 में हुई थी मातृ शक्ति की आराधना नवरात्र पर्व में देश के विभिन्न मंदिरों पर भक्तों का तांता लगा हुआ है। इस मौके पर आपको मध्यप्रदेश के दतिया जिले में स्थित मां पीतांबरा के मंदिर के बारे में बता रहे हैं। इस सिद्धपीठ की स्थापना 1935 में स्वामीजी के द्वारा की गई। यहां पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी या अटल बिहारी वाजपेयी हो या फिर राजमाता विजयाराजे सिंधिया ही क्यों न हो सभी ने माता का आशीर्वाद प्राप्त किया।। ऐेसा माना जाता है कि इस स्थान पर आने वाले की मुराद जरूर पूरी होती है, उन्हे राजसत्ता का सुख जरूर मिलता है।

मंदिर के बारे में महत्वपूर्ण बातें

राजसत्ता दरबार

मध्यप्रदेश के दतिया जिले में स्थित मां पीतांबरा को राजसत्ता की देवी माना जाता है। इसी रूप में भक्त उनकी आराधना करते हैं। राजसत्ता की कामना रखने वाले भक्त यहां आकर गुप्त पूजा अर्चना करते हैं।

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 9 || श्री हरि: || 13 - ज्ञानी आत्मारामाश्च मुनयो निर्ग्रन्था अप्युरुक्रमे।। कुर्वन्त्यहैतुकीं भविंत इत्थम्भूतगुणो हरि:।।

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 9

|| श्री हरि: ||
13 - ज्ञानी

आत्मारामाश्च मुनयो निर्ग्रन्था अप्युरुक्रमे।।
कुर्वन्त्यहैतुकीं भविंत इत्थम्भूतगुणो हरि:।।

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 9 || श्री हरि: || 3 - भरोसा भगवान का 'वह देखो!' याक की पीठ पर से ही जो कुछ दिखाई पड़ा उसने उत्फुल्ल कर दिया। अभी दिनके दो बजे थे। हम सब चले थे तीर्थपुरी से प्रात: सूर्योदय होते ही, किंतु गुरच्याँग में विश्राम-भोजन हो गया था और तिब्बतीय क्षेत्र में वैसे भी भूख कम ही लगती है। परन्तु जहाँ यात्री रात-दिन थका ही रहता हो, जहाँ वायु में प्राणवायु (आक्सिजन) की कमी के कारण दस गज चलने में ही दम फूलने लगता हो और अपना बिस्तर समेटने में पूरा पसीना आ जाता हो, वहाँ याक क

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 9

|| श्री हरि: ||
3 - भरोसा भगवान का

'वह देखो!' याक की पीठ पर से ही जो कुछ दिखाई पड़ा उसने उत्फुल्ल कर दिया। अभी दिनके दो बजे थे। हम सब चले थे तीर्थपुरी से प्रात: सूर्योदय होते ही, किंतु गुरच्याँग में विश्राम-भोजन हो गया था और तिब्बतीय क्षेत्र में वैसे भी भूख कम ही लगती है। परन्तु जहाँ यात्री रात-दिन थका ही रहता हो, जहाँ वायु में प्राणवायु (आक्सिजन) की कमी के कारण दस गज चलने में ही दम फूलने लगता हो और अपना बिस्तर समेटने में पूरा पसीना आ जाता हो, वहाँ याक क

Anil Siwach

|| श्री हरि: || 13 - ज्ञानी आत्मारामाश्च मुनयो निर्ग्रन्था अप्युरुक्रमे।। कुर्वन्त्यहैतुकीं भविंत इत्थम्भूतगुणो हरि:।। 'तुम काश्मीर से स्वास्थ्य सुधार आये?' श्रीस्वामीजी ने समीप बैठे एक हृष्ट-पुष्ट संम्भ्रान्त नवयुवक से पूछा। 'जी, अभी परसों ही घर लौटा हूँ। लगभग छ: महीने लग गये वहाँ। बड़ा रमणीक प्रदेश है।' युवक संभवत: बहुत कुछ कहना चाहता था।

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|| श्री हरि: ||
13 - ज्ञानी

आत्मारामाश्च मुनयो निर्ग्रन्था अप्युरुक्रमे।।
कुर्वन्त्यहैतुकीं भविंत इत्थम्भूतगुणो हरि:।।

'तुम काश्मीर से स्वास्थ्य सुधार आये?' श्रीस्वामीजी ने समीप बैठे एक हृष्ट-पुष्ट संम्भ्रान्त नवयुवक से पूछा।
'जी, अभी परसों ही घर लौटा हूँ। लगभग छ: महीने लग गये वहाँ। बड़ा रमणीक प्रदेश है।' युवक संभवत: बहुत कुछ कहना चाहता था।
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