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Best पदार्थ Shayari, Status, Quotes, Stories

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ओम नमः शिवाय

Ravi Raj

यह पदार्थ कभी भी खराब नही हटा है #पदार्थ #amazingfacts #Youtubeshorts #शहद #लालकिला #usfulfacts_3.5

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Somnathsah✓

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जब ईश्वर ने आपको खाने के लिए इतने अच्छे अच्छे #पदार्थ दिए हैं 
तो फिर आप, हम निर्दोष जीवों की #हत्या कर ,
 मांस खाकर हमे परेशान क्यों करते हो।

आओ बने #शाकाहारी 😊🚩🕉️🙏🏻
Let's become #vegetarian ️......

©Somnath Sahu

'मनु' poetry -ek-khayaal

पदार्थ

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सकल ब्रम्हाण्ड, समस्त ऐश्वर्य, पदार्थ ही है, तो ईश्वर 
पदार्थ से परे कैसे ?
' मनु ' पदार्थ

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 3 – अकुतोभय हिरण्यरोमा दैत्यपुत्र है, अत: कहना तो उसे दैत्य ही होगा। उसका पर्वताकार देह दैत्यों में भी कम को प्राप्त है। किंतु स्वभाव से उसका वर्णन करना हो तो एक ही शब्द पर्याप्त है उसके वर्णनके लिये - 'भोला!' वह दैत्य है, अत: दत्यों को जो जन्मजात सिद्धियां प्राप्त होती हैं, उसमें भी हैं। बहुत कम वह उनका उपयोग करता है। केवल तब जब उसे कहीं जाने की इच्छा हो - गगनचर बन जाता है वह। अपना रूप भी वह परिवर्तित कर सकता है, जैसे यह बात उसे स्मरण ही

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8

।।श्री हरिः।।
3 – अकुतोभय

हिरण्यरोमा दैत्यपुत्र है, अत: कहना तो उसे दैत्य ही होगा। उसका पर्वताकार देह दैत्यों में भी कम को प्राप्त है। किंतु स्वभाव से उसका वर्णन करना हो तो एक ही शब्द पर्याप्त है उसके वर्णनके लिये - 'भोला!'

वह दैत्य है, अत: दत्यों को जो जन्मजात सिद्धियां प्राप्त होती हैं, उसमें भी हैं। बहुत कम वह उनका उपयोग करता है। केवल तब जब उसे कहीं जाने की इच्छा हो - गगनचर बन जाता है वह। अपना रूप भी वह परिवर्तित कर सकता है, जैसे यह बात उसे स्मरण ही

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12 ।।श्री हरिः।। 14 – ममता 'मैं अरु मोर तोर तैं माया। जेहि बस कीन्हे जीव निकाया।।'

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12

।।श्री हरिः।।
14 – ममता

'मैं अरु मोर तोर तैं माया।
जेहि बस कीन्हे जीव निकाया।।'

tehzibasheikh👩‍💻

Rajasic Foodये आहार शरीर और मस्तिष्क को कार्य करने के लिए प्रेरित करते हैं। इनका अत्यधिक सेवन शरीर में अतिसक्रियता, बेचैनी, क्रोध, चिड़चिड़ापन, अनिद्रा इत्यादि लाते हैं Iअतिस्वादिष्ट खाद्य पदार्थ राजसिक हैं Iउदाहरण - मसालेदार भोजन, प्याज, लहसुन, चाय, कॉफी और तले हुए खाद्य पदार्थ I

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Rajasic Food
ये आहार शरीर और मस्तिष्क को कार्य करने के लिए प्रेरित करते हैं। इनका अत्यधिक सेवन शरीर में अतिसक्रियता, बेचैनी, क्रोध, चिड़चिड़ापन, अनिद्रा इत्यादि लाते हैं Iअतिस्वादिष्ट खाद्य पदार्थ राजसिक हैं Iउदाहरण - मसालेदार भोजन, प्याज, लहसुन, चाय, कॉफी और तले हुए खाद्य पदार्थ I Rajasic Foodये आहार शरीर और मस्तिष्क को कार्य करने के लिए प्रेरित करते हैं। इनका अत्यधिक सेवन शरीर में अतिसक्रियता, बेचैनी, क्रोध, चिड़चिड़ापन, अनिद्रा इत्यादि लाते हैं Iअतिस्वादिष्ट खाद्य पदार्थ राजसिक हैं Iउदाहरण - मसालेदार भोजन, प्याज, लहसुन, चाय, कॉफी और तले हुए खाद्य पदार्थ I

tehzibasheikh👩‍💻

1. कार्बोहाइड्रेट कार्बोहाइड्रेट के रूप में स्टार्च या मंड प्रमुख भोज्य पदार्थ हैं जो कई तरह के खाद्य पदार्थ में पाया जाता है। आलू, साबूदाना, चावल, साबूत आनाज, पास्ता, रोटी, मक्का आदि में पर्याप्त मात्रा में कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है। इसे खाने से शरीर को उर्जा मिलती है तथा यह पाचन में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। –

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1. कार्बोहाइड्रेट
कार्बोहाइड्रेट के रूप में स्टार्च या मंड प्रमुख भोज्य पदार्थ हैं जो कई तरह के खाद्य पदार्थ में पाया जाता है। आलू, साबूदाना, चावल, साबूत आनाज, पास्ता, रोटी, मक्का आदि में पर्याप्त मात्रा में कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है। इसे खाने से शरीर को उर्जा मिलती है तथा यह पाचन में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। –

ALOK Sharma

#OpenPoetry

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#OpenPoetry कर सकते धारण जिसको, वो ही धर्म है 
समाहित गुण अंदर जो,  वो ही धर्म है 

जैसे जल का बहना, सबकी प्यास बुझाना 
जैसे आग का जलना, ऊष्मप्रकाश को फैलाना
जैसे हवा का चलना, जीवन की सांसो में बसना 
जैसे मिट्टी का होना , पुष्प वनस्पति का उगना  

लेखक का लिखना धर्म है, गायक का गाना धर्म है 
काम हैं अलग अलग हम इंसानो के जो, वो ही धर्म है 

समस्त पदार्थ निहित इस सुंदर प्रकृति में 
सभी का अपना अपना गुण जो, वो ही धर्म है 
हर प्राणी केवल अपने गुणों से है जाना जाता  
कर्म प्रधान जीव पदार्थ का जो , धर्म वही है माना जाता #openpoetry

Priyanka NP

......✍️ महत्वपूर्ण कथन- धर्म को गुण भी कह सकते हैं। यहाँ उल्लेखनीय है कि धर्म शब्द में गुण अर्थ केवल मानव से संबंधित नहीं। पदार्थ के लिए भी धर्म शब्द प्रयुक्त होता है यथा पानी का धर्म है बहना, अग्नि का धर्म है प्रकाश, उष्मा देना और संपर्क में आने वाली वस्तु को जलाना। धर्म सार्वभौमिक होता है। पदार्थ हो या मानव पूरी पृथ्वी के किसी भी कोने में बैठे मानव या पदार्थ का धर्म एक ही होता है। उसके देश, रंग रूप की कोई बाधा नहीं है। इसीलिए धर्म कभी बदलता नहीं है। . . . . आधुनिक समय का सबसे बड़ा रहस्य। आपकी

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इंसानियत ही वास्तविक धर्म  है। ......✍️
महत्वपूर्ण कथन- 
धर्म को गुण भी कह सकते हैं। यहाँ उल्लेखनीय है कि धर्म शब्द में गुण अर्थ केवल मानव से संबंधित नहीं। पदार्थ के लिए भी धर्म शब्द प्रयुक्त होता है यथा पानी का धर्म है बहना, अग्नि का धर्म है प्रकाश, उष्मा देना और संपर्क में आने वाली वस्तु को जलाना। धर्म सार्वभौमिक होता है। पदार्थ हो या मानव पूरी पृथ्वी के किसी भी कोने में बैठे मानव या पदार्थ का धर्म एक ही होता है। उसके देश, रंग रूप की कोई बाधा नहीं है। इसीलिए धर्म कभी बदलता नहीं है।
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आधुनिक समय का सबसे बड़ा रहस्य। आपकी
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